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Friday, 8 November, 2024
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किसान आंदोलनकारी नाराज़, नहीं देंगे मोदी को वोट

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किसानों का एक बड़ा प्रतिनिधिमंडल पुलिस के बड़े अधिकारियों के साथ लगातार बातचीत कर रहा है और अधिकारी बड़े नेताओ के संपर्क में है.

नई दिल्ली: राजधानी के ग़ाज़ीपुर बार्डर पर किसानों का समूह दिल्ली प्रवेश के लिए आतुर था पर पुलिस प्रशासम ने उन्हें इसकी अनुमति नहीं दी. इस पर भीड़ बेकाबू हुई और पुलिस को उनको रोकने के लिए आंसू गैस और तेज़ धार पानी छोड़ कर आगे बढ़ने से रोकना पड़ा.

23 सितम्बर को हरिद्वार से शुरू हुई किसान क्रांति यात्रा का आज दिल्ली में समापन होना था परन्तु ऐसा नहीं हो सका. किसानों के प्रयास के बावजूद उनको दिल्ली में घुसने की इज़ाज़त नहीं मिली. हज़ारो की संख्या में ट्रैक्टर और ट्राली लेकर किसान दिल्ली कूच का प्रयत्न कर रहे थे.

पुलिस चाहती थी की कोई भी किसान कानून हाथ में न ले. पुलिस ने चप्पे -चप्पे पर सुरक्षा के पुख़्ता इंतज़ाम किये थे. दिल्ली -यूपी के बॉर्डर पर भारी संख्या में जवानों को तैनात किया गया था.परन्तु जब किसानों ने बैरकेडिंग को तोड़ने का प्रयत्न किया तो पुलिस ने “वाटर केनन” का इस्तेमाल किया जिससे स्थिति पर काबू किया जा सके. किसान बैरकेडिंग तोड़कर आगे जाने के लिए तत्पर थे. छुटपुट पथराव भी हुए. हालाँकि पुलिस ने स्थिति पर काबू पा लिया.

मोदी सरकार ने किसानों का वोट खो दिया हा क्योंकि उन्होंने कृषि क्षेत्र के लिए कुछ नहीं किया. भारतीय किसान युनियन नेता नरेश सिंह टिकैत ने दिप्रिंट से कहा.

टिकैत ने कहा “ इस सरकार ने किसानों के लिए कुछ नहीं किया और हम अगले चुनावों में उनकों वोट नहीं देंगे.हमारी संख्या 4 लाख के करीब है. और हमने तय किया है कि हम मोदी को वोट नहीं देंगे”.

किसानों का एक बड़ा प्रतिनिधिमंडल पुलिस के बड़े अधिकारियों के साथ लगातार बातचीत कर रहा है और अधिकारी बड़े नेताओ के संपर्क में है. लेकिन तमाम छोटे-छोटे समूह होने के कारण आम सहमति नहीं बन पायी.

बीती रात किसानों के कई समूह की उत्तर प्रदेश सरकार से बातचीत हुई. उस बातचीत कोई नतीजा नहीं निकला और किसान अपनी मांगो को लेकर अड़े हुए है.

किसान की प्रमुख मांगे

किसानों की मुख्य मांगे जिन्हें लेकर वे दिल्ली पहुंचे है उनमें स्वामिनाथन कमेटी के फार्मूले के आधार पर किसानों की आय सी-2 आधार पर तय की जाये, किसानों की कर्ज़माफी,एनसीआर में दस साल पुराने ट्रैक्टर पर प्रतिबंध का फैसला वापस लिए जाये,किसान क्रेडिट कार्ड योजना में बिना ब्याज के लोन दिलाया जाए, महिलाओं के क्रेडिट कार्ड अलग से बनाए जाएं, देश में किसानों के लिए पेंशन योजना लागू की जाए, गन्ने का भुगतान सुनिश्चित किया जाए,आवारा पशुओं से फसल को बचाने का इंतज़ाम किये जाए.

राजनीति गरमाई

किसान क्रांति यात्रा पर अब राजनीति भी गरमा रही है. किसानों को दिल्ली न आने देने के मुद्दे पर दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कहा, ‘किसानों को दिल्ली में दाखिल होने देना चाहिए. उन्हें दिल्ली में घुसने क्यों नहीं दिया जा रहा है? यह गलत है. हम किसानों के साथ हैं.’

किसानों के आंदोलन पर उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने कहा कि “इस सरकार ने किसानों से किए गए वादों को पूरा नहीं किया इसलिए यह स्वाभाविक है कि किसान विरोध करेंगे. यह दुर्भाग्यपूर्ण है और हम किसानों का पूरी तरह से समर्थन करते हैं.”

कांग्रेस नेता रणदीप सूरजेवाला ने कहा, “ महात्मा गांधी की जयंती पर मोदी सरकार ने दिखाया है कि यह भारत में स्वतंत्रता पूर्व ब्रिटिश सरकार से अलग नहीं है. तब की ब्रिटिश सरकार ने किसानों का शोषण किया और आज मोदी सरकार किसानों में आंसू गैस के गोले फायर कर रही है.”

किसानों की समस्या के निवारण के लिए उनसे गृह मंत्री राजनाथ सिंह के साथ बैठक जारी है.

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