नई दिल्ली: नई दिल्ली और ओटावा के बीच बढ़ते राजनयिक तनाव के बीच सोशल मीडिया के माध्यम से फैल रही वीजा प्रतिबंध की अफवाहों के चलते कनाडा में रह रहे भारतीय छात्रों के मन में एक डर पैदा हो गया है.
कई भारतीय छात्रों के साथ-साथ वहां रहने वाले लोग भी कनाडा द्वारा वीजा और यात्रा प्रतिबंध जैसी खबरें से चिंतित हैं. इस महीने की शुरुआत में, जस्टिन ट्रूडो सरकार पूरे देश में समस्या पैदा कर रहे आवास संकट को हल करने के लिए अंतरराष्ट्रीय छात्र वीजा की सीमा तय करने पर विचार कर रही थी.
ओन्टारियो के गुएल्फ़ में रहने वाले और स्नातक कर रहे नवराज सिंह ने दिप्रिंट को बताया, “हालांकि मुझे अभी किसी भी कठिनाई का सामना नहीं करना पड़ रहा है, लेकिन वीज़ा निलंबन के कारण देश में भारतीयों पर प्रभाव पड़ने और इससे भी अधिक सोशल मीडिया पर कई सारी अफवाहें चल रही हैं.”
कनाडाई ब्यूरो ऑफ इंटरनेशनल एजुकेशन के आंकड़ों के अनुसार, कनाडा में 2022 के अंत तक दुनिया भर से 8 लाख से अधिक अंतरराष्ट्रीय छात्र पढ़ाई करने के लिए आए. इसमें से लगभग 3 लाख भारत से आए जो लगभग 40 प्रतिशत है.
कुल 2,09,930 भारतीय छात्र कॉलेजों में पढ़ रहे हैं जबकि 80,270 विश्वविद्यालय में पढ़ रहे हैं. कनाडा कॉलेजों को डिप्लोमा देने वाले संस्थानों के रूप में परिभाषित करता है जबकि विश्वविद्यालय स्नातक, मास्टर और डॉक्टरेट डिग्री देते हैं.
नागरिकता और इमिग्रेशन पर स्थायी समिति (CIMM) – कनाडा का इमिग्रेशन और शरणार्थी बोर्ड- के आंकड़ों के अनुसार ये छात्र कनाडा की अर्थव्यवस्था में प्रति वर्ष 22.3 बिलियन कनाडाई डॉलर से अधिक का योगदान देते हैं.
इस बढ़ते राजनयिक संकट से कनाडा की शिक्षा प्रणाली पर महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ने की संभावना है, जो उच्च शिक्षा के लिए आप्रवासन करने वाले भारतीय छात्रों पर बहुत अधिक निर्भर है. एक रिपोर्ट से पता चला है कि भारतीय छात्र कनाडाई छात्रों की तुलना में दोगुना योगदान देते हैं और कॉलेज प्रणाली के लिए ओन्टारियो सरकार की फंडिंग से थोड़ा अधिक योगदान देते हैं.
लेकिन, चल रहे राजनयिक विवाद ने भारतीय छात्रों को चिंतित कर दिया है. हाल ही में टोरंटो से स्नातक की पढ़ाई कर भारत लौटे अपूर्व पांडे ने कहा, “दोनों देशों के बीच घटते राजनयिक संबंध काफी चिंताजनक हैं. हालांकि, मुझे ऐसा लगता है कि चीज़ों को वास्तविकता से ज़्यादा बढ़ा-चढ़ाकर पेश किया जा रहा है.”
उन्होंने कहा, “हालांकि, मैं सच में उम्मीद करता हूं कि यात्रा प्रतिबंध नहीं लगाए जाएंगे और दोनों देशों के बीच संबंध जल्दी से ठीक हो जाएंगे.”
भारत ने गुरुवार को कनाडाई नागरिकों के लिए ई-वीजा समेत तमाम वीजा सेवाएं निलंबित कर दीं. विदेश मंत्रालय (MEA) ने भी बुधवार को कनाडा में रहने वाले भारतीय छात्रों और नागरिकों के लिए एक ट्रैवल एडवाइजरी जारी की, जिसमें उन्हें “बढ़ती भारत विरोधी गतिविधियों और राजनीतिक रूप से क्षमा किए जाने वाले घृणा अपराधों और आपराधिक हिंसा” से सावधान रहने की चेतावनी दी गई.
विदेश मंत्रालय ने कहा, “कनाडा में बिगड़ते सुरक्षा माहौल को देखते हुए, खासकर भारतीय छात्रों को अत्यधिक सावधानी बरतने और सतर्क रहने की सलाह दी जाती है.”
जबकि भारतीय छात्र नई दिल्ली के प्रतिबंध से अछूते हैं, भारत की यात्रा करने के इच्छुक कई कनाडाई प्रभावित हुए हैं. टोरंटो विश्वविद्यालय के एक छात्र ने कहा, “हमारी मुख्य चिंता हमारे छात्र वीज़ा पर प्रतिबंध लगाए जाने को लेकर थी, जो अब संभव नहीं लग रहा है. हालांकि, मैं अगले महीने अपने दोस्तों को भारत ले जाने की योजना बना रहा था लेकिन उसका वीजा अटक गया है.”
उन्होंने कहा, “यद्यपि यहां किसी से कोई दुश्मनी नहीं है लेकिन कूटनीतिक स्थिति को देखते हुए मैं थोड़ा असहज महसूस कर रहा हूं. ईमानदारी से कहूं तो मेरा मानना है कि ट्रूडो इस स्थिति का इस्तेमाल वोट बैंक की राजनीति के लिए कर रहे हैं.”
दिप्रिंट की रिपोर्ट के अनुसार, ग्लोबल न्यूज कनाडा के लिए इप्सोस द्वारा इस महीने की शुरुआत में कराए गए एक सर्वेक्षण में केवल 31 प्रतिशत लोगों ने ही ट्रूडो को प्रधानमंत्री के रूप में पसंद किया, जबकि 40 प्रतिशत का झुकाव विपक्षी नेता पियरे पोइलिवरे की ओर था.
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छात्रों के प्रवास की प्रवृत्ति
जबकि कोविड महामारी के दौरान, कनाडा में अंतर्राष्ट्रीय छात्रों की जनसंख्या 6,37,860 से घटकर 2020 में 5,27,365 हो गई, महामारी के बाद से छात्रों की संख्या लगातार बढ़ रही है. साल 2022 के अंत में 8 लाख से अधिक अंतर्राष्ट्रीय छात्र, जिनमें 5,51,405 नए छात्र जुडे़ थे, कनाडा में पढ़ाई के लिए गए थे.
पिछले कुछ सालों में, कनाडा में वैध अध्ययन वीजा के साथ देश में रहने वाले भारतीय छात्रों की संख्या में वृद्धि देखी गई है. 2018 में 1,71,505, 2019 में 2,18,540, 2020 में 1,79,510, 2021 में 2,16,500 और 2022 में यह 3,19,000 तक पहुंच गया. यह डेटा कनाडा के आप्रवासन, शरणार्थी और नागरिकता विभाग (IRCC) के अनुसार है.
IRCC कनाडा सरकार का विभाग है जो आप्रवासन से संबंधित है.
इतनी बड़ी संख्या में भारतीय छात्र विश्वविद्यालय की फीस, आवास और अन्य खर्चों के माध्यम से कनाडाई अर्थव्यवस्था में योगदान दे रहे हैं और कई ओन्टारियो कॉलेजों में कनाडा की तुलना में भारत से अधिक छात्र हैं. इससे पता चलता है कि नई दिल्ली और ओटावा के बीच संबंधों में और गिरावट गंभीर परिस्थिति पैदा कर सकते हैं.
हालांकि, भारतीय छात्र समुदाय से निकटता से जुड़ा एक वर्ग है जो मानता है कि बढ़ते तनाव और भारत द्वारा कनाडा को चरमपंथियों के लिए ‘सुरक्षित पनाहगाह’ कहने के बावजूद, कनाडा भारतीय छात्रों के लिए एक आकर्षक शैक्षिक गंतव्य बना रहेगा.
शिक्षा कंसल्टेंसी कैरियर मोज़ेक के संस्थापक और निदेशक अभिजीत ज़वेरी ने दिप्रिंट को बताया: “कनाडा भारतीय छात्रों के लिए एक पसंदीदा गंतव्य बना हुआ है, और इसके शैक्षणिक संस्थानों की अपील मजबूत बनी हुई है.”
उन्होंने कहा, “कनाडा में अध्ययन करने की योजना बना रहे छात्रों के लिए, विश्वसनीय स्रोतों के माध्यम से चल रहे डेवलपमेंट के बारे में जानकारी रखना एक समझदारी भरा फैसला होगा.”
(संपादन: ऋषभ राज)
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