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Thursday, 25 April, 2024
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कश्मीर मसले को संयुक्त राष्ट्र में ले जाना बड़ी भूल थी: पूर्व विदेश मंत्री नटवर सिंह

'पाकिस्तान में सेना एक उद्योग है. फौज के पास जमीन, जायदाद, उद्योग सब कुछ है. हमें स्वीकार करना चाहिए कि पाकिस्तान में सेना का ही नियंत्रण है.'

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नई दिल्ली: भारत-पाकिस्तान का संबंध लंबे वक्त से हादसा-संभावित रहा है. यह कहना है पूर्व विदेश मंत्री के नटवर सिंह का. उनको लगता है कि दोनों देशों ने बहुत कुछ बीती बातों को संजो रखा है, इसलिए इनका भविष्य अतीत में ही सन्निहित है.

नटवर सिंह कहते हैं कि पाकिस्तान का एक सूत्री कार्यक्रम है कश्मीर, लेकिन दुनिया में ‘कश्मीर क्लांति’ (उदासीनता) है.

सिंह (87) यह भी कहते हैं कि भारत ने कश्मीर मसले को संयुक्त राष्ट्र ले जाकर बड़ी भूल की है. उनका कहना है कि इस मसले का कोई हल नहीं है क्योंकि सारे प्रयास करके देख लिए गए हैं.

नटवर सिंह ने आईएएनएस को दिए साक्षात्कार में कहा, ‘कश्मीर मसले को संयुक्त राष्ट्र में ले जाना बड़ी भूल थी. (गर्वनर जनरल) माउंटबेटन (प्रथम प्रधानमंत्री जवाहरलाल) नेहरू को वहां ले गए. हम चैप्टर-6 (संयुक्त राष्ट्र चार्टर के अध्याय-6) के तहत संयुक्त राष्ट्र गए, जो विवादों से संबंधित है. हमें चैप्टर-7 के तहत जाना चाहिए जो आक्रमण से संबंधित है.’

कोई समाधान नहीं

उन्होंने कहा कि भारत का हर प्रधानमंत्री व विदेश मंत्री सोचता है कि वह कश्मीर के मसले को हल करके भारत और पाकिस्तान के रिश्तों में सहजता ला सकता है.

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सिंह ने कहा, ‘दरअसल, कश्मीर समस्या का कोई समाधान नहीं है. सारे प्रयास करके देख लिया गया. दूसरा तथ्य यह है कि भारत और पाकिस्तान का संबंध लंबे समय से हादसा संभावित रहा है. भारत-पाक संबंध का भविष्य इस अतीत में निहित है. दोनों देशों ने बहुत कुछ संजो रखा है. मुझे दोनों देशों के संबंध में कोई बदलाव नहीं दिखता है. यह पनीर और खड़िया की तरह सरल है. यह काफी तरस की बात है.’

भारत ने इस साल सिंतबर में संयुक्त राष्ट्रमहासभा की बैठक के इतर दोनों देशों के विदेशमंत्रियों की बैठक रद्द कर दी थी. भारत ने यह फैसला जम्मू-कश्मीर में आतंकियों द्वारा सुरक्षाकर्मियों की जघन्य हत्या किए जाने और पाकिस्तान द्वारा आतंकियों और आतंकवाद का महिमामंडन करने पर लिया था.

पिछले 10 साल में कोई वार्ता नहीं

भारत और पाकिस्तान के बीच कश्मीर समेत बाकी मसलों को हल करने के लिए पिछले 10 साल में कोई संयुक्त व टिकाऊ वार्ता नहीं हुई है. हालांकि दोनों देशों के नेताओं के बीच कभी-कभी बातचीत जरूर हुई है.

भारत ने नवंबर 2008 के हमले के कुछ दिनों के भीतर ही संयुक्त वार्ता प्रक्रिया रद्द कर दी थी. इसके बाद से भारत बार-बार यह बात दोहराता आ रहा है कि पाकिस्तानी जमीन से पैदा हुआ आतंकवाद वार्ता दोबारा शुरू करने के मार्ग में बाधक है.

दोनों देश 2015 में व्यापक वार्ता शुरू करने पर राजी हुए थे, लेकिन पठानकोट एयरबेस पर आतंकी हमले के बाद इसे अस्वीकार कर दिया गया.

नटवर सिंह ने कहा कि दोनों देशों के नेताओं के बीच बैठकों से कुछ खास उम्मीद नहीं की जानी चाहिए.

दुनिया में कश्मीर क्लांति है

उन्होंने कहा, ‘वे क्या बातचीत करेंगे? आप एक इंच भी नहीं दे सकते और वे भी एक इंच नहीं दे सकते. आप मिलते हैं और हाथ मिलाते हैं लेकिन कुछ संतोषजनक बातचीत नहीं होती है. जैसा कि मैंने कहा कि हमने सब कुछ करके देख लिया. यह यथार्थ नहीं है क्योंकि अगर हम वास्तव में बहुत नजदीकी मित्र होंगे तो देश के अस्तित्व पर प्रश्नचिन्ह होगा.’

नटवर सिंह ने कहा कि पाकिस्तान का एक सूत्री कार्यक्रम है कश्मीर, लेकिन दुनिया में कश्मीर क्लांति है.

उनहोंने कहा, ‘आप पाकिस्तान के किसी भी हिस्से में जाइए, यह एक मसला है. आप चेन्नई जाइए, कोई कश्मीर पर बात नहीं करता है. उनके राजनयिक वास्तव में प्रतिभाशाली हैं, लेकिन वे कश्मीर पर बहुत ज्यादा समय देते हैं. दुनिया में कश्मीर क्लांति है. हमें इस तथ्य को अवश्य स्वीकार करना चाहिए कि पाकिस्तान में सेना का ही नियंत्रण है.’

यथास्थिति बनी रहेगी

बतौर राजनयिक नटवर सिंह आखिर में पाकिस्तान में भारत के राजदूत रहे, जिसके बाद वह विदेश मंत्रालय में सचिव बने. सिंह से जब भारत-पाकिस्तान के बीच आगे के संबंधों के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा कि यथास्थिति बनी रहेगी.

उन्होंने कहा, ‘अगर भारत-पाक रिश्तों में वास्तव में सुधार होगा और दोनों देशों के बीच आत्मीय व दोस्ती का रिश्ता होगा तो पाकिस्तान के लोग पूछेंगे कि हमें इतनी बड़ी सेना की क्या जरूरत है? सेना त्याग करने नहीं जा रही है. और सेवानिवृत्त अधिकारियों का फौजी फाउंडेशन है जिसमें सबका हिस्सा है. उनके पास जमीन, जायदाद, उद्योग सब कुछ है.’

उन्होंने कहा कि पाकिस्तान में सेना एक उद्योग है. लियाकत खान (पाकिस्तान के प्रथम प्रधानमंत्री) की हत्या के बाद जब असैनिक सरकार बनी तो सेना आदेश देती थी.

सिंह ने कहा, ‘(जुल्फिकार अली) भुट्टो ने इसे चुनौती देने की कोशिश. उन्होंने जिया-उल-हक को सेना प्रमुख बनाया क्योंकि उनको लगता था कि वह बगैर अस्तित्व वाले हैं. जिया ने उनको फांसी फर लटका दिया.’

पाकिस्तान के वर्तमान प्रधानमंत्री इमरान खान के संबंध में नटवर सिंह ने कहा कि क्रिकेटर से राजनेता बने इमरान अच्छे व्यक्ति हैं और वह लोकप्रिय हैं.

उन्होंने कहा, ‘लेकिन जिस क्षण वह सेना की मर्जी के विरुद्ध कदम उठाएंगे उसी क्षण उनको बाहर जाना होगा. हमें इस बात को स्वीकार करना चाहिए.’

नेपाल से रिश्ता बेहतर करना चाहिए

उन्होंने कहा कि मोदी ने पाकिस्तान के प्रति अपनी भावना का प्रदर्शन किया, वह वहां रुके, पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ के घर गए, लेकिन द्विपक्षीय संबंध अब भी हादसा संभावित है.

नटवर सिंह कांग्रेस से जुड़े थे, लेकिन संयुक्त राष्ट्र की एक रिपोर्ट के बाद उनको पार्टी छोड़नी पड़ी.

उनसे जब पूछा गया कि क्या मोदी सरकार की अमेरिका से नजदीकी काफी बढ़ रही है तो उन्होंने कहा, ‘नहीं, वह बहुत चतुर हैं. वह रूस गए, वह चीन गए.’ हालांकि नटवर सिंह ने कहा कि मोदी सरकार को नेपाल से रिश्ता बेहतर बनाना चाहिए.

नटवर सिंह की हालिया पुस्तक ‘ट्रेजर्ड एपिस्टल्स’ में प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी समेत मशहूर शख्सियतों के पत्रों का संग्रह किया गया है. यह किताब इसी साल प्रकाशित हुई है.

उनसे जब इंदिरा गांधी के बारे में पूछा गया कि वह उनको बतौर प्रधानमंत्री कहां देखते हैं तो उन्होंने कहा कि नेहरू के बाद दूसरे स्थान पर.

नटवर सिंह राजीव गांधी सरकार में राज्यमंत्री थे और कांग्रेस की अगुवाई में संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) सरकार में विदेश मंत्री बने.

संयुक्त राष्ट्र के तेल व खाद्य कार्यक्रम से संबंधित वोल्कर रिपोर्ट में नाम आने पर उन्होंने मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था. हालांकि उन्होंने रिपोर्ट में लगाए गए आरोपों से इनकार किया.

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