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Thursday, 2 May, 2024
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भारत के सॉफ्ट पावर प्रोजेक्शन, सांस्कृतिक कूटनीति में मदद के लिए समन्वय समिति बनाना जरूरी: हाउस पैनल

विदेश मामलों की स्थायी समिति ने यह भी सिफारिश की है कि विदेश मंत्रालय सॉफ्ट पावर टेस्टिंग में अंतरराष्ट्रीय सर्वोत्तम प्रथाओं का अध्ययन करे और फिर जो निष्कर्ष आए, उसे भारत की रणनीति में शामिल करे.

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नई दिल्ली: विदेश मामलों की स्थायी समिति ने शुक्रवार को संसद के दोनों सदनों में पेश एक रिपोर्ट में विदेश मंत्रालय (एमईए) को अन्य संबंधित मंत्रालयों और विभागों के साथ सॉफ्ट पावर प्रोजेक्शन और सांस्कृतिक कूटनीति पर एक समन्वय समिति गठित करने की अपनी सिफारिश दोहराई है.

युवा मामले और खेल मंत्रालय या संस्कृति मंत्रालय संस्कृति या ‘सॉफ्ट पावर’ को बढ़ावा देने के लिए विदेश में भी गतिविधियां करेगा. गतिविधियां विदेश मंत्रालय के अधीन नहीं होंगी बल्कि कार्यक्रम के प्रभारी विशिष्ट मंत्रालय के अधीन होंगी.

संसदीय पैनल ने पहले ‘भारत की सॉफ्ट पावर और सांस्कृतिक कूटनीति: संभावनाएं और सीमाएं’ पर अपनी 16वीं रिपोर्ट में यह सिफारिश की थी, जो 5 सितंबर 2022 को लोकसभा और 12 दिसंबर 2022 को राज्यसभा के सामने रखी गई थी.

विदेश मंत्रालय ने इस साल जून में समिति को अपनी कार्रवाई रिपोर्ट सौंपी थी. हालांकि, मंत्रालय ने इस प्रतिक्रिया में केवल एक समन्वय समिति के गठन के बारे में टिप्पणी “नोट” की थी. इस प्रकार, पैनल की अध्यक्षता भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) सांसद पी.पी. चौधरी ने शुक्रवार को पेश अपनी सिफारिशों पर सरकार द्वारा की गई कार्रवाई पर अपनी रिपोर्ट में यह बात दोहराई.

रिपोर्ट में कहा गया है, “समिति ने नोट किया था कि विदेश मंत्रालय ने स्वयं भारत की सॉफ्ट पावर के प्रभावी संचालन को सक्षम करने वाले प्रमुख कारक और कई संस्थानों के बीच समन्वय की कमी की पहचान की थी, लेकिन इसके लिए कुछ भी किया नहीं जा रहा था.”

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तीन विचार-मंथन सत्रों के बाद, सरकार के शीर्ष थिंक टैंक नीति आयोग ने भी सभी संबंधित मंत्रालयों के प्रतिनिधियों को शामिल करते हुए एक समन्वय समिति बनाने का सुझाव दिया था, जिसे समिति ने अपनी 16वीं रिपोर्ट में उल्लेख किया था.

समिति ने यह भी दोहराया कि विदेश मंत्रालय को ‘प्राथमिकता के आधार’ पर सॉफ्ट पावर टेस्टिंग में अंतरराष्ट्रीय प्रथाओं का अध्ययन करना चाहिए. रिपोर्ट में कहा गया है कि इस अध्ययन के निष्कर्षों को भारत के सॉफ्ट पावर टेस्टिंग और रणनीति के निर्माण में शामिल किया जाना चाहिए.

समिति ने सिफारिश की कि विदेश मंत्रालय भारत की सॉफ्ट पावर क्षमता का आकलन करने के लिए “तत्काल कदम” उठाए ताकि भारत की विदेश नीति के उद्देश्यों को प्राप्त करने के लिए सही रणनीति बनाया जा सके.


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पर्याप्त ICCR बजट

अपनी 16वीं रिपोर्ट में, समिति ने पर्याप्त वित्तपोषण की अनुपलब्धता, भारत के सॉफ्ट पावर प्रक्षेपण को पटरी से उतारने का मुद्दा उठाया था और भारतीय सांस्कृतिक संबंध परिषद (आईसीसीआर) के लिए बजटीय आवंटन में 20 प्रतिशत की वृद्धि की सिफारिश की थी.

नवीनतम रिपोर्ट में, इस बात पर जोर डाला गया है कि वह विदेश मंत्रालय से अपने आदेश को पूरा करने के लिए आईसीसीआर को पर्याप्त धन आवंटन सुनिश्चित करने की उम्मीद कर रहा है.

समिति ने आईसीसीआर के कामकाज का आकलन करने के लिए एक स्टडी ग्रुप बनाने की सिफारिश भी की है. विदेश मंत्रालय ने इस सिफ़ारिश पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा था कि ICCR इस सिफ़ारिश को अपने शासी निकाय के सामने रखेगा. 

अपनी प्रतिक्रिया में, समिति ने विदेश मंत्रालय से इस तरह के ‘समय हानि’ से बचने, सभी तौर-तरीकों को जल्द से जल्द पूरा करने और अपनी रिपोर्ट की प्रस्तुति के तीन महीने के भीतर समिति को इस संबंध में प्रगति से अवगत कराने का आग्रह किया.

समिति पूरे खाड़ी क्षेत्र में एक भारतीय सांस्कृतिक केंद्र की कमी से भी आश्चर्यचकित थी. इसने विदेश मंत्रालय से इस क्षेत्र में एक केंद्र खोलने की बात कही, साथ ही वाशिंगटन डीसी, पेरिस और तेल अवीव में जल्द से जल्द सांस्कृतिक केंद्र खोलने के लिए प्रक्रियात्मक बाधाओं को दूर करने का आग्रह किया.

समिति यह सुनिश्चित करने के संबंध में विदेश मंत्रालय की प्रतिक्रिया से भी संतुष्ट नहीं थी कि सीमावर्ती राज्यों या आदिवासी आबादी वाले राज्यों के सांस्कृतिक मंडलों को विदेश जाने और अपनी कला प्रस्तुत करने के लिए पर्याप्त अवसर प्रदान किए जाएं. इसने नोट किया कि ICCR या MEA द्वारा इस संबंध में कोई कार्रवाई नहीं की गई और अपनी सिफारिश दोहराई गई.

(संपादन: ऋषभ राज)

(इस ख़बर को अंग्रेज़ी में पढ़नें के लिए यहां क्लिक करें)


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