scorecardresearch
Thursday, 21 November, 2024
होमडिफेंसIAF के सी-130 जे सुपर हरक्युलिस में बैठकर राष्ट्रीय राजमार्ग पर क्यों उतरेंगे राजनाथ और गडकरी

IAF के सी-130 जे सुपर हरक्युलिस में बैठकर राष्ट्रीय राजमार्ग पर क्यों उतरेंगे राजनाथ और गडकरी

बृहस्पतिवार को दोनों मंत्री राजस्थान के बाड़मेर में, राष्ट्रीय राजमार्ग की 3.5 किलोमीटर की एक पट्टी पर उतरेंगे. किसी भी राष्ट्रीय राजमार्ग पर ये पहली ऐसी लैण्डिंग होगी.

Text Size:

नई दिल्ली: रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और सड़क, परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी इस बृहस्पतिवार को, भारतीय वायुसेना (आईएएफ) के सी-130 जे सुपर हरक्युलिस विमान में सवार होकर, राजस्थान के बाड़मेर ज़िले में राष्ट्रीय राजमार्ग पर उतरेंगे.

दोनों मंत्री, अन्य अधिकारियों के साथ मिलकर, मॉक आपात लैण्डिंग में हिस्सा लेंगे, जो बाड़मेर में राष्ट्रीय राजमार्ग के एक 3.5 किलोमीटर लंबे हिस्से के उदघाटन के मौक़े पर आयोजित की जा रही है, जो आईएएफ के फिक्स्ड विंग विमानों की आपात लैण्डिंग्स में सहायता करेगा.

उद्घाटन के लिए आईएएफ एसयू 30 एमकेआई लड़ाकू विमानों को भी उतारेगी.

रक्षा और सुरक्षा प्रतिष्ठान के सूत्रों के अनुसार, आत्मविश्वास के प्रदर्शन के तौर पर, सिंह और गडकरी दोनों के विमान में बैठने का विचार, इनमें से एक मंत्री की ओर से ही आया था.

दूसरे एक्सप्रेसवेज़ पर आपात लैण्डिंग्स पहले भी कराई जा चुकी हैं, लेकिन इस सप्ताह की घटना अपने आप में पहली होगी, जब ऐसी लैण्डिंग्स के लिए किसी राष्ट्रीय राजमार्ग का इस्तेमाल किया जाएगा.

सूत्रों ने आगे कहा कि सीमावर्त्ती क्षेत्रों से जुड़े सभी राजमार्गों पर, ऐसी दर्जन भर आपात लैण्डिंग पट्टियां चुनी गई हैं.

12 राष्ट्रीय राजमार्ग जिनपर हवाई पट्टियां तैयार करने की मंज़ूरी दी गई है, उनमें जम्मू-कश्मीर में बिजबेहेड़ा-चिनार बाग़ हाईवे, उत्तराखंड में रामपुर-काठगोदाम हाईवे, पश्चिम बंगाल में खड़गपुर-क्योंझार हाईवे, और असम में मोहनबाड़ी-तिंसुकिया हाईवे शामिल हैं.

युद्ध, प्राकृतिक आपदाओं के लिए लैण्डिंग पट्टियां

सूत्रों के अनुसार, विशेषकर सीमावर्त्ती क्षेत्रों में राजमार्गों पर ये लैण्डिंग्स पट्टियां, वायुसेना को युद्ध और प्राकृतिक आपदाओं की स्थिति में, उड़ान भरने और उतरने का एक अतिरिक्त विकल्प देती हैं.

एक सूत्र ने कहा, ‘देश के अंदरूनी हिस्सों में बहुत सारे हवाई अड्डे, और संभावित लैण्डिंग पट्टियां मौजूद हैं. लेकिन सीमावर्त्ती इलाक़ों में ये एक समस्या बन जाता है, जहां केवल वायुसेना के ठिकाने हैं’.


यह भी पढ़ें : LAC पर हलचल, LoC पर अनिश्चितता- सेना ने 100 से अधिक इंडो-इजरायल केमिकाज़ी ड्रोन का ऑर्डर दिया


सूत्रों ने कहा कि युद्ध के समय हवाई ठिकानों को, आमतौर पर सबसे पहले निशाना बनाया जाता है, और ऐसी स्थिति में राजमार्गों तथा एक्सप्रेसवेज़ पर बनीं ये लैण्डिंग पट्टियां, वायुसेना की सहायता कर सकती हैं.

एक दूसरे सूत्र ने कहा, ‘ये सिर्फ उतरने के लिए नहीं हैं, बल्कि लड़ाई अभियानों में उड़ान भरने के लिए भी हैं. दुश्मन को दोहरा अनुमान लगाना होगा, कि वायुसेना कहां कहां से लैण्डिंग और टेक-ऑफ कर सकती है.

उन्होंने कहा कि ऐसी लैण्डिंग पट्टियां देश भर में फैली होंगी, और प्राकृतिक आपदाओं के समय ये राहत और बचाव कार्यों को अंजाम देने में भी उपयोगी साबित होंगी.

एक्सप्रेसवेज़ पर लैण्डिंग्स

बाड़मेर का ये आयोजन ऐसी पहली घटना होगी, जिसमें किसी राष्ट्रीय राजमार्ग पर आपात लैण्डिंग कराई जाएगी, लेकिन आईएएफ ने पहले भी 2017 में, लखनऊ-आगरा एक्सप्रेसवे के एक हिस्से पर सी-130 जे विमान को उतारा था. उस समय एक मॉक ड्रिल करते हुए, आईएएफ के गरुड़ कमांडोज़ ने उतर कर लैण्डिंग ज़ोन को सुरक्षित किया था.

उस उड़ान के बाद, फिर मिराज, एसयू 30 एमकेआई, और जैगुआर डीप पैनिट्रेशन विमानों ने मिलकर, एक्सप्रेसवे पर ‘टच एंड गो’ का मुज़ाहिरा किया था.

पहली बार ऐसा मिशन 2015 में अंजाम दिया गया था, जब एक मिराज 2000 दिल्ली के पास यमुना एक्सप्रेसवे पर उतरा था.

उसके बाद 2016 में, तीन मिराज और तीन सुखोई विमानों ने मिलकर, उन्नाव में टच एंड गो कार्रवाई का प्रदर्शन किया था, जिस समय आगरा-लखनऊ एक्सप्रेसवे का उदघाटन हुआ था.

(इस खबर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें )

share & View comments