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Thursday, 25 April, 2024
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जनरल नरवणे की यात्रा से भारत, सऊदी अरब और UAE क्या हासिल करना चाहते हैं

जनरल एम.एम. नरवणे आगामी 9 दिसंबर से दोनों देशों के एक सप्ताह के दौरे पर जाने वाले हैं जिसे मध्य पूर्व के साथ भारत के रिश्तों में मजबूती का संकेत माना जा रहा है. किसी भारतीय आर्मी चीफ का यह पहला दौरा है.

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नई दिल्ली: रक्षा उपकरणों के संयुक्त उत्पादन के अलावा नियमित संयुक्त सैन्य अभ्यास और प्रशिक्षण कुछ ऐसे लक्ष्य हैं, जिन्हें भारत, यूएई और सऊदी अरब भारतीय सेना प्रमुख जनरल एम.एम. नरवणे की मध्य पूर्व के दो प्रमुख देशों की हफ्ते भर की यात्रा से हासिल करना चाहते हैं.

रक्षा और सुरक्षा प्रतिष्ठान से जुड़े सूत्रों ने बताया कि ये पहला मौका है जब कोई भारतीय सेना प्रमुख सऊदी अरब और यूएई की यात्रा करने वाला है और इसे इस बात का संकेत माना जा रहा है कि पिछले कुछ सालों में मध्य पूर्व के साथ भारत के संबंधों में कैसे सुधार हुआ है.

जनरल नरवाने 9 से 14 दिसंबर की यात्रा के दौरान अपने समकक्षों के अलावा इन देशों के वरिष्ठ सैन्य अधिकारियों से मुलाकात करेंगे.

सूत्रों ने बताया कि यह यात्रा तो पहले ही प्रस्तावित थी लेकिन कोविड महामारी के कारण स्थगित कर दी गई थी. इस विलंब ने दोनों देशों के साथ भारत के पहले द्विपक्षीय सैन्य अभ्यास को भी प्रभावित किया है.

योजना के तहत संयुक्त अरब अमीरात और भारतीय सेनाओं में से प्रत्येक के 45-सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल का इसी तरह के सैन्य अभ्यास के लिए दूसरे देश की यात्रा पर जाना निर्धारित था.

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ऐतिहासिक यात्रा

सेना ने मंगलवार को जारी एक बयान में कहा कि नरवणे की यात्रा इस मायने में ऐतिहासिक है कि पहली बार कोई भारतीय सेना प्रमुख यूएई और सऊदी अरब का दौरा कर रहा है.

जनरल नरव नरवणे 9 और 10 दिसंबर को संयुक्त अरब अमीरात में होंगे, जहां उनका वरिष्ठ सैन्य अधिकारियों से मिलने का कार्यक्रम है. इस दौरान भारत-यूएई रक्षा संबंधों को बढ़ाने पर व्यापक चर्चा होने की उम्मीद है.

सूत्रों ने बताया कि जिन क्षेत्रों में फोकस रहेगा उनमें रक्षा उत्पादन के क्षेत्र में मिलकर काम करना प्रमुख है.

एक सूत्र ने कहा, ‘रक्षा उत्पादन की बात करें तो दोनों देश सूची में शीर्ष पर हैं. दोनों अपनी स्वदेशी क्षमता विकसित करने पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं और यह एक ऐसा क्षेत्र है जिस पर द्विपक्षीय सहयोग बढ़ाया जा सकता है.’

दोनों देश पहले से ही भारतीय सेना को कार्बाइन की आपूर्ति के लिए मेक इन इंडिया का संभावित रास्ता अपनाने के लिए एक-दूसरे से बातचीत कर रहे हैं, जिसका अनुबंध यूएई की सरकारी स्वामित्व वाली फर्म काराकल ने हासिल किया था.

दूसरे चरण में सऊदी दौरे जाएंगे

संयुक्त अरब अमीरात के बाद जनरल नरवणे अपनी यात्रा के दूसरे चरण में 13-14 दिसंबर को सऊदी अरब में रहेंगे.

सेना ने बताया कि सैन्य प्रमुख ‘सुरक्षा संस्थानों के वरिष्ठ पदाधिकारियों के साथ विभिन्न बैठकों और रक्षा संबंधी मुद्दों पर विचारों के आदान-प्रदान के साथ सऊदी अरब और भारत के बीच उत्कृष्ट रक्षा सहयोग’ को आगे बढ़ाएंगे.

सेना प्रमुख रॉयल सऊदी लैंड फोर्स, ज्वाइंट फोर्स कमांड हेडक्वार्टर और किंग अब्दुलअजीज मिलिट्री एकेडमी मुख्यालयों का दौरा करेंगे.

जनरल नरवणे के नेशनल डिफेंस यूनिवर्सिटी जाने का कार्यक्रम भी निर्धारित है और वहां वह संस्थान के छात्रों और फैकल्टी को संबोधित करने वाले हैं.

इस यात्रा की अहमियत बताते हुए सूत्रों ने इस बात पर भी जोर दिया कि इससे अंततः मजबूत सैन्य संबंधों का रास्ता खुल सकता है.

दूसरे सूत्र ने कहा, ‘मेज पर कई प्रस्ताव हैं. सैन्य अधिकारी परस्पर बात करेंगे और ठोस प्रस्तावों के साथ लौटेंगे जो तब दोनों देशों की सरकार की समक्ष आएंगे.’

पाकिस्तान, तुर्की बनाम सऊदी अरब, यूएई

जनरल नरवणे की यात्रा ऐसे समय हो रही है जबकि इस्लामी जगत में काफी कुछ मंथन जारी है, यूएई और सऊदी अरब की तरफ से इजरायल के साथ रिश्तों को सुधारने की कोशिशें जारी हैं और पाकिस्तान वैकल्पिक ब्लॉक बनाने के प्रयासों में लगा है.

यह ऐसा समय भी है जब कभी अपने सबसे मजबूत सहयोगी रहे सऊदी अरब के साथ पाकिस्तान के संबंध अस्थिरता के दौर से गुजर रहे हैं.

सऊदी अरब और पाकिस्तान के बीच दशकों से बेहद घनिष्ठ रहे सैन्य, राजनीतिक और आर्थिक संबंध इस साल अगस्त में तब बेपटरी हो गए जब इस दक्षिण एशियाई देश के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी ने कश्मीर मसले पर इस्लामिक सहयोग संगठन की विशेष बैठक बुलाने में विफल रहने के लिए रियाद की आलोचना कर डाली.

राजनयिक तनाव घटाने के उद्देश्य से अगस्त में पाकिस्तानी सेना प्रमुख जनरल कमर जावेद बाजवा की सऊदी अरब की यात्रा भी क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान की तरफ से बैठक से इनकार किए जाने के साथ समाप्त हो गई.

मौजूदा व्यवस्था के तहत पाकिस्तान के पूर्व सेना प्रमुख जनरल राहिल शरीफ सऊदी अरब के नेतृत्व वाले एक इस्लामी सैन्य गठबंधन के प्रमुख हैं.

फिलहाल, संयुक्त अरब अमीरात, बहरीन और सूडान भी इजरायल के साथ संबंधों को सामान्य बनाने की कोशिश में लगे हैं.

(इस खबर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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