नई दिल्ली: प्रत्येक 4 लाख लीटर की क्षमता वाले अंडरग्राउंड ईंधन डंप, भारी मात्रा में उच्च श्रेणी के डीजल और केरोसिन और मोबाइल एयर ट्रैफिक कंट्रोल (एटीसी) इकाइयां- ये अरेंजमेंट लद्दाख में जहां भारत ने चीन के साथ चल रहे गतिरोध के बीच 40,000 से अधिक अतिरिक्त सैनिकों और उपकरणों को बढ़ाया है, जो कि भारी मात्रा में रसद संचालन की रीढ़ बन रहे.
इस बीच, लद्दाख के सैनिकों के लिए स्वच्छ पेयजल के भूमिगत स्रोत को खोजने का भी प्रयास हो रहा है, जिनमें बहुत सी नदियां और नाले हैं जो जाड़े के दिनों में सूख जाते हैं.
लद्दाख में दो एशियाई दिग्गजों के बीच तनाव कम न होने से, सैनिक इस क्षेत्र में कड़कड़ाती ठंड के दौरान तैनात की तैयारी में लगे हुए हैं.
रक्षा और सुरक्षा प्रतिष्ठान के एक सूत्र ने कहा, ‘हम सर्दी के लिए तैयार हैं. यहां और वहां कुछ थोड़े रसद के मसले हो सकते हैं, लेकिन हमारे लड़के (जवान) किसी भी संभावित घटना के लिए तैयार हैं. समय के साथ इन छोटी समस्याओं का भी ध्यान रखा जाएगा.’
इन सैनिकों के घरों में रसद पहुंचाया गया साथ ही अतिरिक्त सैनिक, पहले से तैयार गर्म तंबुओं, विशेष कपड़ों और हाई एनर्जी वाले राशन, सूत्र ने बताया.
एक दूसरे सूत्र ने कहा कि ये कुछ था जो भारतीय सेना की सालाना सर्दी की स्टॉकिंग (संग्रहण) की योजना में नहीं था. सेना ने तेजी से इस चुनौती को स्वीकारा है. ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि आगे के स्थानों पर तैनात सैनिकों के पास इस सर्दी में सही उपकरण, कपड़े और ठहरने की सही जगह हो.
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केरोसिन, डीजल, पानी
सेना ने यहां सी-17, आईएल-76, सी-130जे जैसे ट्रांसपोर्ट एयरक्राफ्ट तैनात किये हैं, इसके अलावा 6,000 सेना के ट्रक भी लदाख में राशन, कपड़े, टेंट और मिट्टी का तेल ले जाने के लिए हैं.
एक सूत्र ने कहा, ‘हीटर्स मिट्टी के तेल का उपयोग करते हैं और इसलिए यह बहुत महत्वपूर्ण हैं. सेना ने बड़ी संख्या में हथियारबंद कर्मियों के कैरियर्स और टैंक्स को लद्दाख में स्थानांतरित किया है, इसके अलावा अन्य कई वाहन और बाकी जिन्हें ईंधन की जरूरत है. हमने सभी तेल कंपनियों के साथ टाई-अप किए हैं और आपूर्ति की कोई कमी नहीं है.’
सूत्रों के अनुसार, सेना ने पिछले कुछ वर्षों में कई अंडरग्राउंड (भूमिगत) ईंधन डंप बनाए हैं, जिनमें से प्रत्येक 4 लाख लीटर तक भंडारण में सक्षम हैं.
राज्य-संचालित इंडियन ऑयल कॉर्पोरेशन लिमिटेड (आईओसी) ने विशेष सर्दी के ग्रेड के डीजल को पिछले साल लांच किया था जो 33 डिग्री सेल्सियस के तापमान में बिना जमे रह सकता है. यह ईंधन सालभर बर्फ से ढंके इलाकों में उपलब्ध रहने में मदद करेगा.
हेलीकाप्टरों के माध्यम से कैन में केरोसीन को विभिन्न अग्रिम पोस्टों पर भी ले जाया जाता है, जो उड़ान के ईंधन के लिए जरूरत होता है.
सूत्रों ने कहा कि तेल कंपनी के ट्रक इन अंडरग्राउंड डंप में अपने ईंधन ले जाते हैं. जहां से वे बैरल के लिए बढ़ाए जाते हैं और आगे भेजे जाते हैं, यह इस्तेमाल पर निर्भर करता है.
इस बीच, लद्दाख के आगे के क्षेत्रों में सेना और वायु सेना ने बड़ी संख्या में हेलीकॉपटर्स और एयरक्राफ्ट तैनात किए हैं, लेह पर एक विमान कमतर साबित हो रहा है और एटीसी की जरूरत महसूस की गई थी.
इस प्रकार सेना लद्दाख में मोबाइल एटीसी स्थापित कर रही है जो सियाचीन में भी उपलब्ध है. ये मोबाइल एटीसी समाचार चैनलों के ओबी वैन की तरह दिखते हैं.
सेना की कार्यसूची में एक अन्य आवश्यकता स्वच्छ पेयजल की उपलब्धता है.
जैसा कि पहले उल्लेख किया जा चुका है, लद्दाख की बहुत सारी नदियां और नाले सर्दी के दिनों में फ्रीज रहते हैं और गर्मी के दिनों में सिल्ट की समस्या होती है. यहां तक कि पांगोंग त्सो की झील का पानी नमकीन है.
सेना के लिए साफ पानी की तलाश के लिए जमीन के ऊपर के पानी के विशेषज्ञ और भूवैज्ञानिक लगे हुए हैं. दौलत बेग ओली (डीबीओ) सेक्टर, पैंगोंग और डेपसांग मैदानों में ऐसे स्थानों को ढूंढ़ने के प्रयास किया जा रहा है जो वर्तमान भारत-चीन के गतिरोध की जद में हैं.
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