नई दिल्ली: पूर्व सेना प्रमुख जनरल वी.पी. मलिक (सेवानिवृत्त) का कहना है कि लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर शांति और सौहार्द की उम्मीद करना फिलहाल जल्दबाजी ही होगी. इसके साथ ही उन्होंने चीन के खिलाफ रणनीतिक और आर्थिक स्तर पर उठाए कदमों को जारी रखने का आह्वान किया.
जनरल मलिक ने कुछ क्षेत्र चीन के हवाले कर देने जैसे दावों को लेकर पैंगोंग त्सो में शुरू हुई सैन्य वापसी प्रक्रिया की आलोचना किए जाने पर हैरानी जताई और कहा कि ये मुख्यत: तथ्यों की अनदेखी, राजनीतिक-सैन्य समझ के अभाव या निहित पूर्वाग्रहों के कारण हो रहा है.
मलिक ने ट्विटर पर बताया कि पैंगोंग त्सो के उत्तरी तट पर ‘फिंगर 4’ और 8 ‘फिंगर 8’ के बीच गश्त पर अस्थायी रोक तनातनी रोकने के लिए आवश्यक थी.
उन्होंने दोनों पक्षों के बीच बनी सहमति का जिक्र करते हुए कहा कि झील के आसपास सैनिक अप्रैल 2020 से पहले वाली स्थिति में लौट रहे हैं, जिसके तहत भारतीय सैनिक ‘फिंगर’ क्षेत्र में अपनी आखिरी स्थायी चौकी पर वापस जाएंगे. यह फिंगर 4 से थोड़ी ही दूर पर स्थित आईटीबीपी की धन सिंह थापा चौकी है.
1. India-China Disengagement in East Ladakh. Surprised to see criticism. Mostly due to ignorance of facts or politico-military understanding or sheer prejudice. Phase 1. Tps around Pangong Tso to go back to pre-Apr 2020 locs.
— Ved Malik (@Vedmalik1) February 13, 2021
इसी तरह, चीनी सैनिक भी अपनी स्थायी चौकी पर लौटेंगे जो फिंगर 8 के पास है और इसे सिरिजप पोस्ट के नाम से जाना जाता है.
भारतीय सैनिक मुख्यत: फिंगर 2 पर तैनात रहते हैं जबकि एलएसी फिंगर 8 पर स्थित है. भारतीय सैनिक इसके आगे पैदल ही गश्त करते रहे हैं और आमतौर पर चीनियों द्वारा फिंगर 4 या 5 के पास उन्हें रोका जाता था.
कारगिल युद्ध के दौरान चीनी फिंगर 5 तक सड़क बनाने में कामयाब रहे थे और जब उन्हें भारतीयों की पैदल गश्त का जायजा लेना होता तो वाहनों से वहां तक आ जाते थे. भारतीय सैनिक फिंगर 3 से आगे वाहन नहीं ले जा सकते क्योंकि फिंगर 4 का मार्ग बहुत संकरा है और केवल पैदल ही तय किया जा सकता है.
यद्यपि चीनी फिंगर 2 तक के क्षेत्र पर अपना दावा जताते रहे हैं केवल जमीनी स्तर पर केवल फिंगर 4 तक ही पहुंच सकते हैं क्योंकि वाहन उस जगह से आगे नहीं जा सकते.
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देपसांग, गोगरा, हॉट स्प्रिंग्स, गलवान
जनरल मलिक ने उल्लेख किया कि पैंगोंग से सैन्य वापसी पूरी होने के 48 घंटों के अंदर ही देपसांग मैदानों, गोगरा, हॉट स्प्रिंग और गलवान में वापसी के लिए बातचीत होनी है. उन्होंने कहा कि पूरी तरह सैन्य वापसी और गतिरोध खत्म होने की प्रक्रिया में अभी लंबा समय लगेगा.
जनरल मलिक के अनुसार, चीन को ‘यथास्थिति बहाल करने के लिए बाध्य’ कर दिया गया है और भारत यह दावा करने में सक्षम रहा है कि एलएसी का उल्लंघन हर तरह के रिश्तों को प्रभावित करेगा और सीमा पर इसका ढांचागत निर्माण जारी रहेगा. उन्होंने यह भी कहा कि भारत ने खुद को भू-राजनीतिक, रणनीतिक और आर्थिक रूप से मजबूत किया है.
3. On completion, talks for disengagement in Depsang, Gogra, Hot Spring & Galwan to be held within 48 hrs. Cdrs both sides to keep meeting to monitor, verify & resolve any issues. Due lack of trust, our Cdrs must remain alert. Ensure PLA does not take undue advantage or renege.
— Ved Malik (@Vedmalik1) February 13, 2021
उन्होंने ट्विटर पर लिखा, ‘भारत और चीन के बीच शांति, सौहार्द और एकदम पहले जैसे संबंधों की उम्मीद करना अभी दूर की कौड़ी है. एलएसी पर एलओसी के तरह की तैनाती और पूर्व में अपनाए गए रणनीतिक और आर्थिक उपायों को जारी रखा जाना चाहिए.’
6. Too early to hope for peace, tranquillity & as-before relations between India & China. LoC type deployment on LAC; strategic & economic measures adopted already must continue.
— Ved Malik (@Vedmalik1) February 13, 2021
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जब विश्व की दो महा शक्ति आपस मे टकराती है और जनशक्ति, धनशक्ति से दोनों सम्रिध है तो विनाश की ज्वाला पूरे विश्व में फैलना निश्चित है ? इस परिस्थिति में दोनों राष्ट्र को सभल कर अगला कदम उठाने की जरूरत है, जल्दी लिया गया फैसला सुरक्षित नहीं होगा परन्तु धन जन की अपार छति से बचने के लिए तैयार रहना चाहिए और इसे बचाने का भी कोशिश करनी चाहिए ऐसा मेरा मानना हैं