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Saturday, 15 June, 2024
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कश्मीर में आतंकियों की भर्ती में ‘काफी तेजी’ आई, पाकिस्तान की शह पर आतंकी संगठन अल बद्र हुआ फिर सक्रिय

आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, पिछले साल के 117 के मुकाबले 131 कश्मीरी युवा इस साल आतंकी गुटों में शामिल हुए हैं. स्थानीय आंकड़े बताते हैं कि 2018 में यह संख्या 214 और 2017 में 128 थी.

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श्रीनगर: कश्मीर में स्थानीय युवाओं की आतंकी संगठनों में भर्ती का आंकड़ा इस साल की शुरुआत से अब तक 131 पहुंच जाना सुरक्षा एजेंसियों के लिए बड़ी चिंता का सबब बन गया है. दिप्रिंट को मिली जानकारी के मुताबिक आंतरिक आकलन में दिसंबर तक यह आंकड़ा 180 तक पहुंचने का अनुमान लगाया गया है.

सुरक्षा एजेंसियों का यह भी मानना है कि संख्या और बढ़ सकती है लेकिन वो तो हथियारों की कमी है जो आतंकी संगठनों को भर्ती से रोक रही है.

यह जानकारी भी सामने आई है कि लंबे समय से निष्क्रिय आतंकी संगठन अल बद्र, जिसे 1999 में पाकिस्तान ने बनाया था, जुलाई और अगस्त में 17 नए आतंकियों की भर्ती के साथ एक बार फिर सक्रिय हो गया है. लंबे समय से इसमें किसी को भी शामिल नहीं किया जा रहा था.

सुरक्षा एजेंसियां यह पता लगाने में भी जुटी है कि अल बद्र को फिर से क्यों सक्रिय किया गया है जबकि पाकिस्तान ने लश्कर-ए-तैयबा (एलईटी) और जैश-ए-मोहम्मद (जेईएम) जैसे आतंकवादी समूहों की तरफ से किए जाने वाले हमलों की जिम्मेदारी लेने के लिए रेजिस्टेंस फ्रंट और पीपुल्स एंटी फासिस्ट फ्रंट जैसे आतंकी गुट भी बना रखे हैं.

रक्षा एवं सुरक्षा प्रतिष्ठान के एक सूत्र ने कहा, ‘दो नए संगठन गठित किए जाने के पीछे का उद्देश्य कश्मीर में आतंकी गतिविधियों को स्थानीय रंग देना और इसमें पाकिस्तान का कोई हाथ न होना दिखाना है, जिसके सिर पर एफएटीएफ की तलवार लटकी हुई है.’

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सूत्र ने कहा कि यह दिखाने का प्रयास किया गया है कि जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद का वास्तव में धर्म के आधार पर जंग से कोई लेना-देना नहीं है, इसके बजाए यह केंद्र में बैठी सरकार के खिलाफ लड़ाई है.

यह पूरा घटनाक्रम ऐसे समय में सामने आया है जबकि सुरक्षा बलों ने इस साल की शुरुआत से पिछले सप्ताहांत तक करीब 180 आतंकवादियों को मार गिराया है जिसमें 169 दूरवर्ती इलाकों में मारे गए हैं.


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उत्तरी कश्मीर में 88 और दक्षिणी में 123 आतंकी सक्रिय

आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, पिछले वर्ष के 117 के मुकाबले इस साल अब तक 131 कश्मीरी युवा आतंकवादी समूहों में शामिल हो चुके हैं. स्थानीय आंकड़ों के मुताबिक 2018 और 2017 में ये आंकड़े क्रमशः 214 और 128 थे.

सूत्रों ने बताया कि अगस्त के अंत तक आतंकी समूहों में शामिल होने वाले 89 स्थानीय लोगों में से 57 को सुरक्षाबलों ने मार गिराया है. इन मामलों में पहले तो उनके परिजनों को बुलाकर आत्मसमर्पण कराने का प्रयास किया गया था.

रक्षा एवं सुरक्षा प्रतिष्ठान के सूत्रों ने कहा, उत्तरी कश्मीर में कुल मिलाकर 88 सक्रिय आतंकवादी हैं और उनमें से 66 का संबंध पाकिस्तान से है.

हालांकि, दक्षिणी कश्मीर में इस समय कम से कम 123 आतंकवादी सक्रिय हैं. सूत्रों के मुताबिक इनमें से केवल 25 आतंकी पाकिस्तानी हैं और बाकी सब स्थानीय हैं.

एक सूत्र ने कहा, ‘भर्ती बहुत तेजी से हो रही है. यह ऐसी बात है जिसे बार-बार इंगित किया गया है’. वहीं दूसरे ने जोड़ा कि ऐसा अनुमान लगाया जा रहा है कि इस वर्ष के अंत तक यह आंकड़ा 180 तक पहुंच सकता है.

2018 में भर्ती आतंकियों की प्रोफाइल पर सेना की तरफ से किए गए एक अध्ययन के अनुसार, भर्ती होने वालों में से 30 प्रतिशत 16 से 20 वर्ष की आयु के थे जबकि 60 प्रतिशत 21 से 25 आयु वर्ग के थे. 26 से 30 वर्ष की आयु वाले युवाओं की भर्ती केवल 10 फीसदी थी.

शिक्षा के संदर्भ में अध्ययन में पाया गया कि भर्ती किए गए आतंकियों में 20 प्रतिशत निरक्षर थे, जबकि 45 प्रतिशत हायर सेकेंडरी और 35 प्रतिशत मैट्रिक थे.

अध्ययन में वित्तीय पृष्ठभूमि को भी देखा गया तो यह पता चला कि 60 प्रतिशत आतंकवादी मध्यम वर्ग के थे जबकि 35 प्रतिशत निम्न मध्यम वर्ग के थे. केवल 5 फीसदी आतंकवादी ही सम्पन्न परिवारों से आते हैं.


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आतंकियों के पास हथियारों की कमी

सूत्रों ने कहा कि आतंकवादी हथियारों की कमी का सामना कर रहे हैं. एक सूत्र ने कहा, ‘ऐसा लगता है कि वे और ज्यादा भर्तियों के लिए हथियारों और गोला बारूद का इंतजार कर रहे हैं.’

हाल में कई मुठभेड़ों में मारे गए आतंकियों के पास केवल पिस्तौल मिलना यह दर्शाता है कि पूर्व में इस्तेमाल होने वाले हथियार एके 47 की आपूर्ति घटी है.

सुरक्षा बलों की तरफ से जब्त हथियारों के संबंध में तैयार की जाने वाली सूची भी इस तथ्य की पुष्टि करती है कि आतंकियों के पास हथियारों की कमी है.

इस साल जनवरी से अब तक सुरक्षा बलों ने 172 पिस्तौल बरामद की हैं जबकि पिछले साल सुरक्षा बलों से छीने गए 17 हथियारों के अलावा 5 अमेरिकी एम4 और 2 एम16 राइफलें के साथ 142 एके सीरिज की राइफलें जब्त की गई थी.

दिप्रिंट ने जैसा पहले भी बताया था कि पाकिस्तान यहां चीनी असॉल्ट राइफलों की आपूर्ति की कोशिश में जुटा है.

एक सूत्र ने कहा, ‘आतंकियों के लिए हथियारों और गोला-बारूद की बेहद कमी है और इसलिए पाकिस्तान न केवल एलओसी पार से बल्कि जम्मू, पंजाब और यहां तक कि राजस्थान से लगने वाली अंतरराष्ट्रीय सीमा के जरिये घाटी में हथियार भेजने की कोशिश में जुटा है. वह ड्रोन के जरिये हथियार गिराने की कोशिश में भी लगा है.

(इस खबर को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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