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Sunday, 22 December, 2024
होमडिफेंसबातचीत ‘रचनात्मक’ रही, भारत और चीन ने कहा— बाकी मुद्दे जल्दी सुलझा लिए जाएंगे

बातचीत ‘रचनात्मक’ रही, भारत और चीन ने कहा— बाकी मुद्दे जल्दी सुलझा लिए जाएंगे

भारतीय सेना और पीएलए की तरफ से सोमवार को जारी एक संयुक्त बयान में कहा गया है कि कोर कमांडर स्तर की 12वें दौर की वार्ता ने ‘आपसी समझ और बढ़ाई है’ और इसमें बातचीत को इसी गति से आगे बढ़ाने का फैसला किया गया.

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नई दिल्ली: भारत और चीन ने कहा है कि शनिवार को कोर कमांडर स्तर की 12वें दौर की वार्ता ‘रचनात्मक’ रही, जिसे पूरी सतर्कता के साथ एक उम्मीद के तौर पर देखा जा रहा है.

भारतीय सेना और चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) ने सोमवार को जारी एक संयुक्त बयान में कहा कि उन्होंने ‘वार्ता और बातचीत’ की मौजूदा गति बनाए रखते हुए ‘शेष मुद्दों’ को शीघ्रता से सुलझाने का फैसला किया है.

इसमें यह तो बताया गया कि ‘प्रगति हुई है’ लेकिन कोई स्पष्ट ब्यौरा नहीं दिया गया है, यह देखते हुए कि दोनों सेनाएं जमीनी स्तर पर किसी बदलाव की पहल नहीं करना चाहती हैं.

इसमें आगे कहा गया है कि दोनों पक्षों ने भारत-चीन सीमा के वेस्टर्न सेक्टर में वास्तविक नियंत्रण रेखा के पास के बाकी क्षेत्रों से सैन्य वापसी संबंधी संकल्प पर स्पष्ट और गहन विचार-विमर्श किया.

बयान के मुताबिक, ‘दोनों पक्षों का कहना है कि बैठक का यह दौर रचनात्मक था, जिसने आपसी समझ और बढ़ाई. वे बाकी मुद्दों को मौजूदा समझौतों और प्रोटोकॉल के अनुसार शीघ्रता से हल करने और बातचीत और वार्ता की यही गति बनाए रखने पर सहमत हुए हैं.’

इसमें बताया गया है कि दोनों पक्ष इस बात पर भी सहमत हुए कि अंतरिम तौर पर वे वेस्टर्न सेक्टर में एलएसी पर स्थिरता सुनिश्चित करने के लिए अपने प्रभावी प्रयास जारी रखेंगे और संयुक्त रूप से शांति और संयम बनाए रखेंगे.


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गोगरा, हॉट स्प्रिंग्स का कोई जिक्र नहीं

बयान में पूर्वी लद्दाख के गोगरा और हॉट स्प्रिंग्स क्षेत्रों से सैन्य वापसी के संबंध में किसी भी निर्णय का कोई उल्लेख नहीं किया गया है.

हालांकि, रक्षा प्रतिष्ठान के सूत्रों ने दिप्रिंट को बताया कि इस क्षेत्र में ‘आगे प्रगति’ की उम्मीद है, लेकिन इस पर वरिष्ठ और स्थानीय कमांडरों के स्तर पर कुछ और दौर की बातचीत की जरूरत पड़ेगी.

शनिवार की बैठक एलएसी पर चीन की तरफ मोल्डो में सुबह 10.30 बजे शुरू हुई थी और शाम लगभग 7.30 बजे तक समाप्त हुई, जो अब तक हुई वार्ताओं में सबसे छोटी रही है.

अप्रैल में कोर कमांडर स्तर की बैठकों के 11वें दौर के बाद कोई संयुक्त बयान जारी नहीं किया गया था, जिसमें चीन ने अपना रुख बदल लिया था और वह चाहता था कि सैन्य वापसी से पहले तनाव खत्म हो.

सैन्य वापसी से पहले डी-एस्केलेशन चीन के लिए फायदेमंद होगा क्योंकि यह हिमालय की सीमा पर बेहतर बुनियादी ढांचे के कारण भारत की तुलना में बहुत तेजी से सैनिकों को अग्रिम पंक्ति में वापस ले जा सकता है.

(इस ख़बर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)

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