मॉस्को: रूसी रक्षा उद्योग का एक प्रतिनिधिमंडल भारतीय वायु सेना (आईएएफ) के सुखोई-30 एमकेआई बेड़े को अपग्रेड किये जाने के लिए लंबे समय से चली आ रही बातचीत को आगे बढ़ाने के उद्देश्य से जल्द ही भारत की यात्रा करेगा. इस प्रस्तावित अपग्रेड में और बेहतर रडार, अधिक शक्तिशाली हथियारों का पैकेज, एक नया कॉकपिट सिस्टम और इलेक्ट्रॉनिक युद्ध क्षमताओं का इंटीग्रेशन शामिल होगा.
रूस को इस बात की भी उम्मीद है कि भारत पिछले कुछ वर्षों के दौरान दुर्घटनाग्रस्त हुए अपने सुखोई लड़ाकू विमानों की जगह लेने के लिए 12 नए सुखोई-30 एमकेआई विमानों की खरीद का ऑर्डर देने की अपनी योजना के साथ आगे बढ़ेगा. इसके अलावा, मॉस्को को 21 और मिग-29 के लिए प्रस्तावित अनुबंध को भी अंतिम रूप देने की उम्मीद है, जिसका उद्देश्य भारतीय वायुसेना के घटते हुए बेड़े की ताकत को मजबूत करना है.
हालांकि फ्रांस-निर्मित राफेल विमान 114 नए लड़ाकू विमानों के लिए आईएएफ द्वारा प्रस्तावित एक बड़े अनुबंध की दौड़ में सबसे आगे है, मगर रूसी पक्ष का मानना है कि वही एकमात्र ऐसा देश है जो 60 प्रतिशत से अधिक भारतीय निर्माण सामग्री के साथ वास्तविक रूप से प्रौद्योगिकी हस्तांतरण की पेशकश करने में सक्षम है.
आईएएफ ‘मेक इन इंडिया’ रूट के जरिए ही इन 114 लड़ाकू विमानों के अधिग्रहण पर विचार कर रहा है.
यहां मॉस्को में आयोजित की जा रही एक अंतरराष्ट्रीय सैन्य प्रदर्शनी, एआरएमवाई-2022, में भाग ले रहे रूस के यूनाइटेड एयरक्राफ्ट कॉरपोरेशन (यूएसी) के सीईओ यूरी स्लीसार ने दिप्रिंट के एक सवाल के जवाब में कहा, ‘हमने कई बार (एसयू-30 एमकेआई के) अपग्रेड प्रोग्राम के बारे में अपने विज़न की पेशकश की है. यह एक पहले से चली आ रही चर्चा है और हमने अपना पूरा प्रस्ताव उनके सामने पटल पर रख दिया है. हम निकट भविष्य में भारत आने की योजना बना रहे हैं और उस प्रस्ताव पर सार्थक चर्चा करेंगे.’
यूएसी, एक सार्वजनिक क्षेत्र की संयुक्त हिस्सेदारी वाली कंपनी है जिसमें रूसी सरकार के पास बहुमत वाली हिस्सेदारी है. यह रूस का सबसे बड़ा विमान निर्माता कंपनी है. इस साल जून में, रूस के प्रमुख विमान निर्माताओं, सुखोई और मिग विमानन कंपनियों, का यूएसी में विलय कर दिया गया था.
सुपर सुखोई
नई दिल्ली और मॉस्को उन सुखोई-30 एमकेआई विमानों के उन्नयन के बारे में एक-दूसरे के साथ बातचीत कर रहे हैं, जिनके लिए भारत ने पहली बार साल 1996 में ऑर्डर किया था. इस प्रस्ताव को मंजूरी मिलने के बाद अपग्रेड किए गए विमानों को ‘सुपर सुखोई’ के नाम से जाना जाएगा.
आईएएफ के बेड़े में फिलहाल 160 से अधिक सुखोई-30 एमकेआई विमान हैं लेकिन विभिन्न मुद्दों के कारण इनके अपग्रेड के बारे में बातचीत अटकी हुई है और अपने सीमित बजट के साथ 114 नए लड़ाकू विमानों की खरीद करने की आईएएफ की योजना के कारण इस अपग्रेड की लागत ही अवरोध का सबसे बुनियादी और महत्वपूर्ण कारक है.
हालांकि अपग्रेड किये जाने वाले विमानों की सटीक संख्या फिलहाल मालूम नहीं है, मगर आईएएफ के सूत्रों ने बताया है कि अपग्रेड के लिए मांगा जा रहा मूल्य बहुत अधिक है क्योंकि अपग्रेड के तहत इन विमानों में आमूलचूल सुधार किया जाना शामिल होगा, न कि केवल उनकी काम करने की आयु का एक साधारण विस्तार.
हालांकि सुखोई-30 एमकेआई भारतीय वायुसेना की अग्रिम पंक्ति का लड़ाकू विमान है, मगर यह कई सारी समस्याओं से घिरा हुआ है और उनमें इलेक्ट्रॉनिक युद्ध को अंजाम देने में असमर्थता तथा अधिक शक्तिशाली हथियार प्रणाली की कमी शामिल है. हालांकि, ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइलों- जिनकी मारक क्षमता 300 किलोमीटर से अधिक है- के साथ लगभग 40 सुखोई का एकीकरण काफी अधिक राहत की बात रही है.
प्रस्तावित अपग्रेड के एक हिस्से के रूप में, इन लड़ाकू विमानों के एन011 बार्स पैसिव रडार को भारत के अपने एक्टिव इलेक्ट्रॉनिकली स्कैन्ड एरे (ऐसा) रडार ‘उत्तम’ से बदल दिया जाएगा.
एमकेआई संस्करण एसयू-30 विमानों के उस परिवार का सबसे पुराना सदस्य है, जिसमें मलेशियाई एसयू-30 एमकेएम (2007 मॉडल) और रूसी एसयू-30 एसएम (2011 मॉडल) शामिल हैं.
यह उम्मीद की जाती है कि प्रस्तावित अपग्रेड एमकेआई विमानों को रूसी एसएम विमानों के समकक्ष बना देगा, जो रूस द्वारा अपने एसयू-30 एसएम विमानों के लिए 2011-2020 के दौरान चलाये गए स्टेट आर्मामेंट प्रोग्राम के हिस्से के रूप में विकसित किये जाने के बाद कई लंबी दूरी की मिसाइलों और स्मार्ट बमों से लैस है.
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‘मिग ही वह एकमात्र विमान है जो वास्तव में टीओटी की पेशकश कर सकता है’
यूएसी प्रमुख स्लीसार ने कहा कि भारतीय वायुसेना द्वारा प्रस्तावित 114 लड़ाकू विमानों की खरीद के कार्यक्रम के लिए भी भारत और रूस के बीच बातचीत चल रही है. साथ ही, उनका कहना था कि मिग ही एकमात्र ऐसा विमान है जो वास्तव में 60 प्रतिशत स्वदेशी निर्माण सामग्री के साथ ट्रांसफर ऑफ टेक्नोलॉजी की पेशकश कर सकता है.
वह उन मिग-35 विमानों का जिक्र कर रहे थे, जिसे रूस भारत को देने के प्रति काफी अधिक इच्छुक है.
एएमसीए (एडवांस्ड मीडियम कॉम्बैट एयरक्राफ्ट) नामक अपनी पांचवीं पीढ़ी के लड़ाकू विमान को विकसित करने की भारत की योजना को देखते हुए नई दिल्ली के साथ किसी तरह के संभावित संयुक्त प्रयास के बारे में पूछे जाने पर इस शीर्ष रूसी विमानन अधिकारी ने कहा कि हालांकि उस मोर्चे पर उन्हें कोई खबर नहीं है लेकिन अगर भारत ऐसा चाहे तो रूस संयुक्त प्रयास के लिए तैयार है.
12 अतिरिक्त सुखोई-30 एमकेआई और 21 मिग-29 विमानों के लिए लंबित ऑर्डर के बारे में पूछे जाने पर स्लीसार ने कहा कि भारत अभी इस पर विचार कर रहा है.
दिप्रिंट ने ही सबसे पहले साल 2019 में इन अतिरिक्त मिग-29 विमानों को खरीदने की भारतीय वायुसेना की योजना के बारे में बताया था. 1980 के दशक के ये जेट विमान अब उत्पादन में नहीं हैं लेकिन इसके पहले से बनाए गए 21 एयरफ्रेम अभी भी रूस में तैयार रखे हुए हैं.
भारत द्वारा खरीदे गए विमानों की डिलीवरी से पहले नवीनतम संस्करण के अनुरूप अपग्रेड किया जाएगा.
(यह संवाददाता फिलहाल यूनाइटेड एयरक्राफ्ट कॉरपोरेशन के मेहमान के रूप में रूस का दौरा कर रहे हैं)
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