नई दिल्ली: भारतीय वायुसेना (आईएएफ) की पूर्वी वायु कमान गुरुवार से अपनी युद्ध-क्षमता और रणनीति का परीक्षण करने के लिए एक दो दिवसीय बड़े पैमाने पर युद्ध अभ्यास करेगी.
हालांकि, इस अभ्यास की योजना बहुत पहले बनाई गई थी, लेकिन यह ऐसे समय में हो रहा है जब चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) और भारतीय सेना के सैनिकों के बीच हुई 9 दिसंबर की झड़प के बाद वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर मौजूद तनाव फिर से बढ़ गया है.
सूत्रों का कहना है कि भारतीय वायुसेना द्वारा किये जा रहे इस सैन्य अभ्यास के मद्देनजर चीनियों ने अपनी सतर्कता बढ़ा दी है और अपने शिगात्से हवाई अड्डे पर हवाई पूर्व चेतावनी विमान (एयरबोर्न अर्ली-वार्निंग एयरक्राफ्ट) तैनात कर दिए हैं.
ओपन इंटेलिजेंस एनालिस्ट डेमियन साइमन, जो लोकप्रिय ट्विटर हैंडल @detresfa का इस्तेमाल करते हैं, ने बढ़ी हुई चीनी गतिविधि को मैप तैयार किया है, जिसमें लंबी दूरी के निगरानी ड्रोन की काफी अधिक तैनाती भी शामिल है.
Here's a quick look at China's airforce deployments in Shigatse airport, Tibet as news of increased aerial activity is reported in Indian media, after the recent clash between both armies along their shared border #TawangClash #IndiaChina https://t.co/OgIeUFcoq8
— Damien Symon (@detresfa_) December 13, 2022
इससे पहले, बार-बार किये जा रहे चीनी अभ्यासों ने भारतीय वायुसेना को अपने लड़ाकू विमानों को हवा में तैनात करने के लिए मजबूर किया था क्योंकि इसकी वायु रक्षा प्रणालियों और राडारों ने पड़ोसी देश की बढ़ी हुई हवाई मौजूदगी को उसके खुद के हवाई क्षेत्र के भीतर लेकिन एलएसी के करीब दर्ज किया था.
सूत्रों ने कहा कि आगामी हवाई अभ्यास कमांड स्तर पर होगा और इसके तहत सभी तरह के एसेट्स (हवाई विमानों और रक्षा प्रणालियों) को सक्रिय किया जाएगा.
सूत्रों ने कहा, ‘पूर्वी वायु कमान द्वारा किया जा रहा यह अभ्यास एक विशेष परिदृश्य में अपनी रणनीति को सत्यापित करने के लिए आयोजित किया जा रहा है. (इसके दौरान) भारतीय वायुसेना के सभी एसेट्स क्रियाशील रहेंगें.’
उन्होंने कहा कि कार्रवाई में शामिल विमानों में पश्चिम बंगाल के हासीमारा में तैनात राफेल जेट्स और एसयू-30 एमकेआई विमान भी शामिल होंगे.
सूत्रों ने यह भी कहा कि इस हवाई अभ्यास का फोकस इस बात की पुष्टि करना है कि किसी विशेष परिदृश्य में कितनी तेजी से आक्रामक और रक्षा रणनीति अमल में लाई जा सकती है.
हालांकि, उन्होंने इस बात का विवरण देने से इनकार कर दिया कि यह ‘परिदृश्य’ क्या हो सकता है, लेकिन कहा कि वे (परिदृश्य) एक से अधिक हो सकते हैं.
इस अभ्यास के हिस्से के रूप में, पूर्वी कमान में स्थित इसके सभी एयर बेस – जिनमें असम के तेजपुर, छाबुआ, जोरहाट, पानागढ़ शामिल हैं – को सक्रिय किया जाएगा.
सूत्रों ने कहा कि अभ्यास के दो घटक हैं जिनमें रक्षात्मक पैंतरेबाजी – वायु रक्षा प्रणालियों को सक्रिय करना – और आक्रामक होना, दोनों शामिल हैं.
उन्होंने कहा कि इस अभ्यास में उन ‘परिदृश्यों’ के तहत संचालन करना शामिल होगा जहां प्रारंभिक चेतावनी वाले हवाई विमान सक्रिय रहेंगे और इसके अलावा ब्लाइंड (बिना किसी इनपुट के) रूप से भी ऑपरेशन्स होंगे.
दिप्रिंट की पहले की ख़बरों के मुताबिक, साल 2020 में जब से एलएसी पर तनाव बढ़ा है, तभी से भारतीय वायुसेना पूरी तरह से ऑपरेशनल अलर्ट (संचालनात्मक सतर्कता) पर है और इसने किसी भी चीनी खतरे से निपटने के लिए अपनी सैन्य तैनाती और ऑपरेशनल स्ट्रक्चर (संचालनात्मक ढांचे) में कई बदलाव किए हैं.
सूत्रों ने कहा कि भारतीय वायुसेना ने चीन की ‘एंटी एक्सेस एरिया डेनियल (ए2एडी)’ रणनीति का मुकाबला करने के लिए एक पूर्ण आक्रामक और रक्षात्मक तैनाती की है.
इस साल के मध्य काल से एलएसी पर चीन की हवाई गतिविधियां बढ़ गई हैं, जिससे दोनों वायुसेनाओं की बेचैनी भी बढ़ी है.
अगस्त में, भारत और चीन के वायुसेना के वरिष्ठ अधिकारियों ने माहौल को ठंडा करने के लिए पहली बार सीधी बातचीत भी की.
भारत और चीन के बीच हुए समझौते के मुताबिक कोई भी लड़ाकू विमान या हथियारबंद हेलीकॉप्टर एलएसी के 10 किलोमीटर के दायरे में नहीं आ सकता है. रसद वाले हेलीकाप्टरों के मामले में यह सीमा एक किलोमीटर है.
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