नई दिल्ली: अपने लॉजिस्टिक्स (साजो-सामान) और ईंधन-आपूर्ति श्रृंखला के प्रबंधन में एक आदर्श बदलाव लाते हुए भारतीय वायु सेना (आईएएफ) ने इंडियन ऑयल कॉर्पोरेशन लिमिटेड (आईओसीएल) के साथ सड़क मार्ग से वायुसेना कर्मियों, उपकरणों, और यहां तक कि बम और मिसाइलों को ले जाने वाले वाहनों के बेड़े के लिए भी, ‘फ्लीट कार्ड – फ्यूल ऑन मूव’ का करार किया है.
सोमवार को एयर चीफ मार्शल वी.आर. चौधरी द्वारा पश्चिमी वायु कमान के दिल्ली के सुब्रतो पार्क में स्थित मुख्यालय में जारी किया गया यह फ्लीट कार्ड आईएएफ वाहनों को केवल वायु सेना स्टेशनों पर ईंधन भरने की वर्तमान प्रथा का पालन करने के बजाय, आईओसीएल के किसी भी स्टेशन पर ईंधन भरने में सक्षम बनाएगा.
आईएएफ के सूत्रों ने कहा कि यह नई प्रणाली यात्रा में लगने वाले समय को कम करेगी, लागत को युक्तिसंगत बनाएगी और क्रियाकलापों को बेहतर ढंग से करने में मदद करेगी.
भारतीय वायुसेना अब तक विभिन्न एजेंसियों से तेल खरीदती थी और उसे अपने प्रतिष्ठानों के माध्यम से वितरित करती थी. सूत्रों ने बताया कि आईएएफ के वाहनों में केवल आईएएफ स्टेशनों पर ही ईंधन भरे जाने की प्रथा अक्सर सारे बेड़े के लिए लंबे, विलंबित और महंगे यात्रा मार्ग का कारण बनती थी.
भारतीय वायुसेना के लिए अब सबसे छोटा मार्ग अपनाने की सुविधा उपलब्ध
सूत्रों ने दिप्रिंट को बताया कि वर्तमान में आईएएफ वाहनों की किसी भी मार्ग पर आवाजाही आईएएफ स्टेशनों पर ही ईंधन भरने के लिए ठहराव की योजना के साथ बाधित हुआ करती थी.
इसका एक उदाहरण देते हुए, सूत्रों ने कहा कि अगर भारतीय वायुसेना के किसी काफिले को दिल्ली से राजस्थान में बीकानेर के पास स्थित नाल वायु सेना स्टेशन की ओर जाना होता है, तो नाल स्थित गंतव्य से पहुंचने से पहले इसके लिए हरियाणा के सिरसा और राजस्थान के सूरजगढ़ स्थित आईएएफ के ठिकानों पर ठहराव की योजना बनानी होती है.
इसकी वजह से एक लंबी, महंगी, घुमावदार और नॉन-ऑप्टीमल (सबसे अच्छा नहीं कहा जा सकने वाला) यात्रा होती थी.
एक आईएएफ सूत्र ने कहा, ‘अब, फ्लीट कार्ड की सुविधा के साथ, कोई भी काफिला सबसे बेहतर मार्ग अपना सकता है जो दिल्ली से नाल तक, या फिर देश भर में किन्हीं भी अन्य आईएएफ स्टेशनों और ठिकानों के बीच, कम-से-कम समय लेता है. अब सबसे छोटे मार्ग भी उपलब्ध हैं.’
आईएएफ के सूत्रों ने कहा कि आईओसीएल के साथ जुड़ने से मिलने वाला लाभ आईएएफ को देश भर में ईंधन स्टेशनों के सबसे व्यापक नेटवर्क तक अपनी पहुंच बनाने, अपने बेड़े की आवाजाही को और अधिक युक्तिसंगत बनाने और इसे मजबूती प्रदान करने की अनुमति देता है.
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आर्थिक लाभ और युद्ध की तैयारी को बल
सूत्रों ने कहा कि बेड़े के लिए सबसे बेहतर तरीके से उपलब्ध गतिशीलता के साथ कि युद्ध के लिए तैयार रहने की स्थिति (कॉम्बैट रेडिनेस) भी काफी हद तक बढ़ जाएगी. सूत्रों के अनुसार, जो विमान और संसाधन अब तक ईंधन आपूर्ति श्रृंखला प्रबंधन की वजह से बाधित थे, अब उनका उपयोग अन्य उद्देश्यों के लिए किया जा सकता है और उन्हें परिचालन और युद्ध से जुड़े कार्यों की ओर पुनर्निर्देशित किया जा सकता है.
इस तरह से परिसम्पत्तियों को मुक्त किया जाना 2016 की शेकटकर समिति की इन सिफारिशों के भी अनुरूप होगा, जिसमें इसने ‘टीथ टू टेल रेशो’ (सीमा पर तैनात हर सिपाही के लिए आवश्यक समान पहुंचाने या उसके सहयोग के लिए तैनात अन्य लोगों का अनुपात) को बढ़ाने के उद्देश्य से सशस्त्र बलों की युद्धक क्षमता को बढ़ाने और रक्षा व्यय को फिर से संतुलत करने की मांग की थी.
सूत्रों ने बताया कि भारतीय वायुसेना के सभी बम और मिसाइल, जिन्हें पहले लंबे सड़क मार्गों से ले जाया जाता था और जिसकी वजह से किसी तरह की जंग या सशस्त्र संघर्ष वाली स्थिति के दौरान गंभीर समस्याएं पैदा हो सकती थी, अब शांति और संघर्ष दोनों तरह की स्थितियों में और अधिक तेजी से आगे ले जाये जा सकते हैं.
उन्होंने कहा कि ईंधन कार्ड प्रणाली में परिवर्तन के साथ ही लेखा प्रणाली (एकाउंटिंग सिस्टम) पहले से काफी अधिक सरल और कागज के उपयोग से मुक्त हो जाएगी. सूत्रों ने कहा कि यह कदम भारतीय वायुसेना को अपने जमीनी बेड़े के लिए एक आधुनिक प्रबंधन प्रणाली के रूप में बदलाव लाने में सक्षम बनाएगा.
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