नई दिल्ली: दिप्रिंट को मिली जानकारी के मुताबिक गुरुवार को पुंछ में सेना के एक ट्रक पर हमले के लिए आतंकवादियों ने सटीक रेकी के बाद अकेले वाहन को चुना और माना जाता है कि उन्हें कवच-भेदी गोलियों (armour-piercing bullets) और हथगोले से निशाना बनाया गया था. इस हमले में आतंकवादियों ने आर्मी के एक ट्रक पर हमला किया था जिसमें पांच सैनिकों की मौत हो गई थी.
रक्षा और सुरक्षा प्रतिष्ठान के सूत्रों ने कहा कि एक अनंतिम चिकित्सा रिपोर्ट के अनुसार, हमले में मारे गए पांच सैनिकों में से तीन की गोली लगने से मौत हो गई, जबकि अन्य दो ने जलने के कारण दम तोड़ दिया.
उन्होंने अभी के लिए किसी स्टिकी बम की संभावना से भी इनकार किया है, आगे उन्होंने कहा कि आग ईंधन टैंक के फटने के कारण लगी थी, जो कि संभवतः एक ग्रेनेड के बगल में फटने की वजह से हुआ था.
सूत्रों ने दिप्रिंट को यह भी बताया कि यह आतंकवादियों द्वारा घात लगाकर किया गया हमला था, जिन्हें अभी तक नाम और चेहरे से पहचाना नहीं जा सका है. उन्होंने कहा कि आतंकवादियों ने पहले गोलीबारी की और बाद में ग्रेनेड फेंका.
उन्होंने यह भी कहा कि एक पूर्ण रोड ओपनिंग पार्टी (आरओपी) नहीं थी क्योंकि वहां कोई काफिला नहीं था, लेकिन संबंधित ब्रिगेड द्वारा कुछ क्विक रिएक्शन टीमों को तैनात किया गया था.
उन्होंने कहा कि शिविर से ट्रक की आवाजाही को संभवत: किसी स्पॉटर ने देखा होगा, जिसने बाद में आतंकवादियों के समूह को सूचना दी, जिन्होंने घने जंगलों वाले इलाके में मोर्चा संभाल लिया था.
चूंकि सड़क में कई मोड़ हैं, इसलिए वाहन धीरे-धीरे चल रहा था, जिससे आतंकवादियों को निशाना बनाना आसान हो गया. सूत्रों ने कहा कि राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) की एक टीम मौके पर पहुंची, इलाके की जांच की और क्राइम सीन को रिक्रिएट करने की कोशिश की.
सुरक्षाबलों ने मौके से 7.62 एमएम स्टील कोर बुलेट बरामद किया है. संयोग से, जैश-ए-मोहम्मद (JeM) ने ही कुछ साल पहले इन गोलियों को कश्मीर में आतंकवाद बढ़ाने के लिए पेश किया था. JeM की प्रॉक्सी पीपल्स एंटी-फासिस्ट फ्रंट (PAFF) ने हमले की जिम्मेदारी ली है.
यह पूछे जाने पर कि पिछली घटनाओं को देखते हुए ट्रक नियंत्रण रेखा के करीब के क्षेत्र में अकेले कैसे चल रहा था, सूत्रों ने कहा कि यह बटालियन की देखरेख वाले क्षेत्र में चल रहे इफ्तार की वजह से प्रोविजन के तहत गया था.
उन्होंने कहा कि जब एक प्रॉपर काफिला चल रहा होता है तो आरओपी की व्यवस्था की जाती है. एक सूत्र ने कहा, “सभी मूवमेंट के लिए पूर्ण आरओपी की व्यवस्था नहीं होती.”
जैसा कि दिप्रिंट ने रिपोर्ट किया था, यह हमला जैश-ए-मोहम्मद और लश्कर-ए-तैयबा (एलईटी) की एक संयुक्त टीम द्वारा स्थानीय और पाकिस्तानी आतंकवादियों के साथ मिलकर किया गया था.
सुरक्षा बल और एजेंसियां संसाधनों को इकट्ठा कर रही हैं और सभी इनपुट्स पर नजर रख रही हैं. सेना ने नियंत्रण रेखा के करीब के वन क्षेत्रों को स्कैन करने के लिए विशेष बलों सहित कई टीमों को लॉन्च किया है.
(संपादनः शिव पाण्डेय)
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