नई दिल्ली: भारतीय सेना के सबसे ताकतवर हथियार ब्रह्मोस मिसाइल ने देश को चिंता में डाल दिया है. पिछले साल 9 मार्च को वायुसेना द्वारा गलती से पाकिस्तानी सीमा में जा गिरी थी, जिससे पड़ोसी देश में हलचल मच गई थी. भारत की तरफ से इसे मानवीय भूल बताते हुए एयरफोर्स के एक अधिकारी को निकाल दिया गया था.
लेकिन अब, विंग कमांडर अभिनव शर्मा ने रक्षा मंत्रालय और रक्षा प्रमुख के खिलाफ दिल्ली हाईकोर्ट में मामला दायर किया है. वायुसेना का दावा है कि उनकी बर्खास्तगी गलत थी और कोर्ट ऑफ इंक्वायरी के दौरान उन्हें अपना बचाव करने की अनुमति नहीं दी गई थी.
वहीं, पाकिस्तान एक बार फिर दोहरा रहा है कि इस मामले की साझा जांच में भारत को भी सहयोग करना चाहिए.
कोर्ट ऑफ इंक्वायरी ने काफिले की आवाजाही से पहले मोबाइल ऑटोनॉमस लॉन्चर (MAL) पर लोड की गई सभी मिसाइलों के लड़ाकू कनेक्टर्स को डिस्कनेक्ट करने में विफल रहने के लिए जिम्मेदार ठहराते हुए विंग कमांडर अभिनव शर्मा और वायुसेना के तीन अन्य अधिकारियों को आठ महीने पहले सेवा से बर्खास्त कर दिया गया था. कोर्ट ने इसे सुरक्षा प्रोटोकॉल का उल्लंघन भी बताया था.
दरअसल, शर्मा पर एमएएल को स्टेशन से मिसाइल लॉन्च करने के असुरक्षित कार्य में शामिल होने से रोकने में विफल रहने का आरोप लगाया गया था, जिसके परिणामस्वरूप दुर्घटनावश गोलीबारी हुई थी.
पाकिस्तान की सेना ने उस समय दावा किया था कि मिसाइल की वजह से कई लोगों की जान खतरे में आ गई थी.
बता दें कि ब्रह्मोस एक परमाणु हमले में सक्षम क्रूज मिसाइल है. इसे भारत और रूस ने मिलकर तैयार किया है.
पाकिस्तान की एयरफोर्स का दावा है कि पिछले साल यह मिसाइल आवाज़ की स्पीड से तीन गुना ज्यादा रफ्तार पर 40,000 फीट की ऊंचाई पर उड़ती हुई उसके हवाईक्षेत्र में दाखिल हुई थी.
पाकिस्तानी मीडिया के मुताबिक, मामले को तब तूल नहीं दिया गया क्योंकि पाकिस्तान की सेना द्वारा प्रतिक्रिया देने पर दोनों पड़ोसियों के बीच बहुत ही खतरनाक स्थिति पैदा हो सकती थी.
दरअसल, पाकिस्तान इस बात से परेशान है कि भारत ने उसके साथ आतंरिक जांच के निष्कर्षों को साझा नहीं किया है और एकपक्षीय जांच करते हुए जल्दबाजी में पूरे मामले को बंद कर दिया.
हालांकि, भारत ने कहा था कि रुटीन मेनटेनेंस के दौरान हुई इस घटना पर उसे अफसोस है.
शर्मा ने दावा किया कि घटना के समय, उन्हें स्क्वाड्रन में एक इंजीनियरिंग अधिकारी के रूप में नियुक्त किया गया था और वे केवल रखरखाव कर्तव्यों के लिए पेशेवर और व्यावहारिक प्रशिक्षण प्रदान कर रहे थे.
यह इंगित किया गया था कि एक इंजीनियरिंग अधिकारी के रूप में, उन्होंने कभी भी परिचालन आचरण पर प्रशिक्षण नहीं दिया, जो कि केवल कमांडिंग ऑफिसर और संचालन अधिकारी की जिम्मेदारी थी.
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