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Tuesday, 7 October, 2025
होमडिफेंसऑपरेशन सिंदूर भारत का पहला AI-आधारित अभियान: सेना ने कैसे मॉर्डन तकनीक का 'बेहद इस्तेमाल' किया

ऑपरेशन सिंदूर भारत का पहला AI-आधारित अभियान: सेना ने कैसे मॉर्डन तकनीक का ‘बेहद इस्तेमाल’ किया

वरिष्ठ सैन्य अधिकारी का कहना है कि एआई के इस्तेमाल से 94% सटीकता के साथ निशाना लगाना संभव हो गया है. सैन्य-विशिष्ट एलएलएम के साथ इन क्षमताओं को उन्नत किया जा रहा है, जिसके 6 महीनों में चालू होने की उम्मीद है.

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नई दिल्ली: ऑपरेशन सिंदूर ऐसा पहला सीमा-पार अभियान है जिसमें भारत ने बड़े पैमाने पर आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) का इस्तेमाल किया. इससे सेना के लिए “किल चेन” छोटी हुई और खतरे के सटीक स्थानों की पहचान कर सही हमले किए जा सके. एक वरिष्ठ सेना अधिकारी ने यह जानकारी दी.

लेफ्टिनेंट जनरल राजीव कुमार साहनी, जो इलेक्ट्रॉनिक्स और मैकेनिकल इंजीनियर्स (DG EME) के महानिदेशक हैं और ऑपरेशन सिंदूर के दौरान डीजी इंफो सिस्टम्स थे, उन्होंने भारत के पश्चिमी और उत्तरी दुश्मनों से आने वाली दोहरी चुनौती को स्वीकार किया.

उन्होंने कहा, “पाकिस्तान को चीन से खुले और गुप्त दोनों तरह का समर्थन मिला… जिस तरह चीजें आगे बढ़ रही हैं, यह पैटर्न जारी रहने की संभावना है.” उन्होंने सोमवार शाम राष्ट्रीय राजधानी में मीडिया कर्मियों को ब्रीफ करते हुए यह बात कही.

ऑपरेशन सिंदूर के दौरान सेना ने आधुनिक तकनीक का कैसे इस्तेमाल किया, इस पर उन्होंने बताया कि AI को 26 साल का ऐतिहासिक डेटा दिया गया था, जिससे पाकिस्तान की सैन्य गतिविधियों की जानकारी मिली और भारतीय सेना को सटीक निशाने साधने में मदद मिली.

उन्होंने कहा, “इस मॉडलिंग और लाइव फीड के साथ 94 प्रतिशत सटीकता हासिल की गई, जिससे हमें यह पता चल सका कि कोई मशीन, जैसे तोप या मिसाइल यूनिट, सीमा पर कहां स्थित है.”

उन्होंने बताया कि अब इन क्षमताओं को एक सैन्य-विशिष्ट लार्ज लैंग्वेज मॉडल (LLM) से अपग्रेड किया जा रहा है, जो लगभग छह महीनों में काम करने लगेगा. उन्होंने जोड़ा कि AI सेना के लिए “फोर्स मल्टीप्लायर” बन गया है. जो ऑपरेशन सिंदूर के दौरान साबित हुआ.

कुल 23 ऐप्लिकेशन को जोड़कर युद्धक्षेत्र की पूरी तस्वीर और हमले के बाद का आकलन तैयार किया गया.

उन्होंने कहा, “AI आधारित टूल्स ने निगरानी, खुफिया जानकारी और सटीक निशानेबाजी की क्षमता को बढ़ाया. मुख्य सिस्टम में इलेक्ट्रॉनिक इंटेलिजेंस कोलेशन एंड एनालिसिस सिस्टम (ECAS). ट्रिनेत्र (प्रोजेक्ट संजय से जुड़ा हुआ). और प्रिडिक्टिव मॉडलिंग व मौसम पूर्वानुमान टूल शामिल हैं. जिनसे बेहतर तालमेल और स्थिति की समझ मिली.”

डीजी ने बताया कि एक इन-हाउस ऐप 48 घंटे पहले तक का सटीक मौसम बताने में सक्षम था. जिसमें हवा की गति भी शामिल थी. इससे सेना ने लंबी दूरी तक मार करने वाली तोपों से बेहद सटीक फायरिंग की योजना बनाई.

जब उनसे पूछा गया कि क्या सेना निर्णय लेने में AI पर बहुत अधिक निर्भर हो रही है. तो उन्होंने कहा कि सेना जिम्मेदारी और चरणबद्ध तरीके से AI को अपना रही है. “हमारा फोकस कर्मियों के जोखिम को कम करना और मानव नियंत्रण व मजबूत नैतिक शासन के साथ बेहतर निर्णय लेना है.”

उन्होंने आगे कहा कि सेना में उपयोगकर्ताओं की संख्या में 1,200 प्रतिशत की वृद्धि हुई है. और डेटा स्टोरेज क्षमता में 620 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है. इन प्रगतियों से सेना की डिजिटल व्यवस्था अधिक जुड़ी और प्रभावी हुई है. जिससे सभी स्तरों पर निर्णय लेने में सहायता मिली है.

(इस रिपोर्ट को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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