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Sunday, 22 December, 2024
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ब्रिगेडियर और उच्च रैंक के अधिकारियों के लिए अब मैरून बेरेट या रेजिमेंट बेल्ट नहीं, सभी की होगी समान वर्दी

बदलाव के पीछे तर्क यह है कि ब्रिगेडियर और उससे ऊपर के रैंक वाले अधिकारियों को ज्यादातर मुख्यालय या प्रतिष्ठानों में तैनात किया जाता है जहां आर्म्स और सर्विसेज के अधिकारी एक साथ काम करते हैं.

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नई दिल्ली: इस साल 1 अगस्त से भारतीय सेना में ब्रिगेडियर और उससे ऊपर के रैंक के सभी अधिकारी एक समान वर्दी पहनेंगे. सेना ने फैसला किया है कि एक अगस्त से ब्रिगेडियर और उससे ऊपर के रैंक के अधिकारियों की एक समान वर्दी होगी, भले ही उनका मूल कैडर और नियुक्ति कुछ भी हो. सैन्य सूत्रों ने मंगलवार को यह जानकारी दी.

सूत्रों ने बताया कि यह फैसला हाल ही में संपन्न सेना कमांडरों के सम्मेलन के दौरान विस्तृत चर्चा और सभी हितधारकों के साथ व्यापक विचार-विमर्श के बाद लिया गया.

इसका मतलब यह है कि ब्रिगेडियर बनने के बाद पैरा अधिकारी अब मैरून रंग की टोपी नहीं पहनेंगे और न ही बख्तरबंद अधिकारी अपनी विशिष्ट बेल्ट पहनेंगे.

सूत्रों के अनुसार, फैसले के तहत वरिष्ठ अधिकारियों की टोपी, कंधे पर बैज, गोरगेट पैच, बेल्ट और जूते का मानकीकरण किया जाएगा.

कर्नल और नीचे के रैंक के अधिकारियों की वर्दी में कोई बदलाव नहीं होगा.

एक सूत्र ने बताया, ‘‘भारतीय सेना ने रेजिमेंट की सीमाओं से परे, वरिष्ठ नेतृत्व के बीच सेवा मामलों में सामान्य पहचान और दृष्टिकोण को बढ़ावा देने के लिए ब्रिगेडियर और उससे ऊपर के रैंक के अधिकारियों के लिए एक समान वर्दी अपनाने का फैसला किया है.’’

इसने कहा, ‘‘यह भारतीय सेना की निष्पक्ष और न्यायसंगत संगठन होने की खासियत को और भी सशक्त करेगा.’’

भारतीय सेना में ब्रिगेडियर और ऊपर के अधिकारी वे होते हैं जो पहले से ही यूनिट और बटालियनों की कमान संभाल चुके होते हैं और उनमें से ज्यादातर मुख्यालय या प्रतिष्ठानों में तैनात होते हैं, जहां सभी अंगों और सेवाओं के अधिकारी एक साथ काम करते हैं और कार्य करते हैं.

सूत्रों ने बताया कि भारतीय सेना की सच्ची प्रकृति को दर्शाते हुए एक मानक वर्दी वरिष्ठ रैंक के सभी अधिकारियों के लिए एक सामान्य पहचान सुनिश्चित करेगी.

विभिन्न प्रकार की वर्दी और साज-सज्जा का भारतीय सेना के संबंधित अंगों, रेजिमेंट और सेवाओं से विशिष्ट संबंध है.


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