नई दिल्ली: भारतीय सेना की सात गोरखा रेजिमेंट- जिसमें 43 बटालियन हैं- में नेपालियों की भर्ती अग्निपथ योजना के तहत ही की जाएगी. दिप्रिंट को मिली जानकारी में यह बात सामने आई है.
रक्षा और सुरक्षा प्रतिष्ठान के सूत्रों के मुताबिक फीडबैक से पता चलता है कि नेपाली गोरखा भर्ती के लिए उत्सुक हैं.
नेपालियों के लिए सेना में भर्ती के नियम भारतीय सैनिकों के समान हैं. उन्हें भी सेना में सिर्फ चार साल के लिए भर्ती किया जाएगा और महज 25 प्रतिशत को परमानेंट किया जाएगा.
सूत्रों ने यह भी कहा कि भर्ती की तारीख तय करने के लिए भारतीय, नेपाली और ब्रिटिश सेनाओं के बीच बातचीत चल रही है.
नेपाल से गोरखाओं की भर्ती पश्चिम बंगाल के दार्जिलिंग और उत्तर प्रदेश के गोरखपुर में स्थित दो गोरखा भर्ती डिपो (जीआरडी) के जरिए की जाएगी.
भारतीय सेना की गोरखा रेजिमेंट की 43 बटालियन में नेपाल और भारत दोनों के मूल निवासी सैनिक हैं.
सूत्रों ने बताया कि सेना की रेजीमेंट में 60 प्रतिशत नेपाल डोमेसाइल के गोरखा और 40 पर्सेंट इंडियन डोमेसाइल के गोरखा होते हैं.
भारतीय पक्ष की तरफ से उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश, दार्जिलिंग, असम और मेघालय से गोरखाओं की भर्ती की जाती है.
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भर्ती प्रक्रिया
भारतीय गोरखाओं की भर्ती इन राज्यों में स्थित सेना भर्ती कार्यालय (एआरओ) के माध्यम से की जाती है.
नेपालियों की भर्ती कैसे की जाती है? इस बारे में जानकारी देते हुए सूत्रों ने बताया कि भारत, नेपाल और यूके की सेनाएं पहले भर्ती रैली की तारीख तय करती हैं.
फिर तयशुदा खास दिन पर, तीनों सेनाओं के प्रतिनिधि नेपाल में एक विशेष स्थान पर एक लिखित और फिजिकल टेस्ट लेते हैं.
एक सूत्र ने बताया, ‘मान लीजिए, रैली में 100 उम्मीदवार आए हैं. इसमें से ब्रिटिश 20, भारत 40 और नेपाल सेना 50 सैनिकों को भर्ती करना चाहती है. शीर्ष 20 जवानों को ब्रिटिश सेना में शामिल होने का विकल्प दिया जाता है. यहां सैनिकों को सबसे ज्यादा वेतन और भत्ते दिए जाते हैं. अगला लॉट भारत लेता है, जो नेपाल सेना के वेतन और भत्ते का 2.5 गुना देता है.’
भारतीय मूल के गोरखाओं की भर्ती करते समय सेना को संकट का सामना करना पड़ रहा है. लेकिन सूत्रों ने बताया कि गोरखा रेजिमेंट में नेपाल से भर्ती होने वालों की कोई कमी नहीं है.
नेपाली सैनिकों के भारतीय सेना से सेवानिवृत्त हो जाने के बाद, उन्हें थाईलैंड और सिंगापुर जैसे देशों द्वारा अपने पुलिस बलों में सेवा देने के लिए तैयार किया जाता है. सूत्रों ने कहा कि ये देश उन लोगों को पसंद करते हैं जिन्होंने भारत में प्रशिक्षण और सेवा की हो.
समस्या भारतीय मूल के गोरखाओं को लेकर है. उन्होंने खुलासा किया कि सेना ने हाल ही में भारतीयों के लिए आरक्षित 40 प्रतिशत सैनिकों की संख्या में 10 से 15 प्रतिशत की कमी देखी है.
समाधान के तौर पर सेना ने कमी को पूरा करने के लिए गोरखा रेजिमेंट में कुमाऊंनी और गढ़वालियों की भर्ती शुरू कर दी है.
सूत्रों ने बताया कि ये स्थायी समस्या नहीं है. सेना को उम्मीद है कि भारतीय डोमेसाइल के गोरखा जब देखेंगे कि उनका कोटा दूसरों के पास जा रहा है, तो वे फिर से इस तरफ आने के लिए प्रेरित होंगे.
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