नई दिल्ली: रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने रविवार को बेंगलुरु में भारतीय वायु सेना (आईएएफ) के एयरोस्पेस मेडिसिन संस्थान (आईएएम) का दौरा किया और वायुसेना अधिकारियों का अभिवादन किया. उन्होंने हवाई और अंतरिक्ष यातायात में निरंतर वृद्धि को देखते हुए एयरोस्पेस मेडिसिन में विशेषज्ञता की बढ़ती आवश्यकता पर रौशनी डाली.
“रक्षा के दृष्टिकोण से, अंतरिक्ष युद्ध में एक प्रमुख क्षेत्र के रूप में उभरा है. हमने इस दिशा में एक कदम आगे बढ़ाया है और एंटी-सैटेलाइट जैसी सबसे उन्नत तकनीकों में महारत हासिल की है. भारत दुनिया में सबसे तेजी से बढ़ने वाला विमानन बाजार भी बन गया है. चूंकि हम अंतरिक्ष में नई ऊंचाइयों को छू रहे हैं, इसलिए हमें एयरोस्पेस मेडिसिन में और अधिक संभावनाएं तलाशने की जरूरत है. उन्होंने कहा कि अनुसंधान और विकास में वृद्धि की जरूरत है क्योंकि किसी भी उच्च-स्तरीय जटिल तकनीक में अनुसंधान कई क्षेत्रों को लाभ प्रदान करता है.”
रक्षा मंत्री ने एयरोस्पेस मेडिसिन के महत्व को समझाते हुए कहा कि यह अंतरिक्ष में कम गुरुत्वाकर्षण (माइक्रोग्रैविटी), विकिरण (रेडिएशन) और अकेलेपन (आइसोलेशन) जैसी चुनौतियों से निपटने में मदद करता है. साथ ही, यह मनुष्य के शारीरिक और मानसिक बदलावों को भी समझने और संभालने में अहम भूमिका निभाता है.
उन्होंने कहा, “चाहे वह न्यूरॉन्स से जुड़ा मुद्दा हो, हड्डियों का नुकसान हो या मानसिक समस्याएं हों, इन चुनौतियों से निपटना एयरोस्पेस और अंतरिक्ष चिकित्सा की जिम्मेदारी है. इस क्षेत्र को भविष्य में बड़ी जिम्मेदारियों के लिए खुद को तैयार करना चाहिए.”
रक्षा मंत्रालय के अनुसार, सिंह ने लड़ाकू पायलटों के हाई-जी प्रशिक्षण के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले डायनेमिक फ्लाइट सिम्युलेटर और हाई-परफॉर्मेंस ह्यूमन सेंट्रीफ्यूज और उड़ान में स्थानिक भटकाव के जोखिम को रोकने के लिए सशस्त्र बलों के पायलटों को प्रशिक्षित करने के लिए स्थानिक भटकाव सिम्युलेटर का भी निरीक्षण किया. सिंह ने एयरोस्पेस क्षेत्र में आत्मनिर्भरता हासिल करने की दिशा में आईएएम के योगदान की सराहना की.
उन्होंने कहा, “एयरोस्पेस मेडिसिन के अलावा, आईएएम क्रू मॉड्यूल डिजाइन और विकास के विभिन्न पहलुओं में एयरो-मेडिकल परामर्श प्रदान करता है. कॉकपिट डिजाइन में इसका योगदान उल्लेखनीय है। संस्थान ने एडवांस्ड लाइट हेलीकॉप्टर, लाइट यूटिलिटी हेलीकॉप्टर, लाइट कॉम्बैट हेलीकॉप्टर और लाइट कॉम्बैट एयरक्राफ्ट तेजस के डिजाइन और विकास में महत्वपूर्ण योगदान दिया है. यह देश के सबसे आधुनिक एडवांस्ड मीडियम कॉम्बैट एयरक्राफ्ट के डिजाइन और विकास में भी सलाह दे रहा है.”
सिंह ने जोर देकर कहा कि एयरोस्पेस क्षेत्र आने वाले समय में अभूतपूर्व वृद्धि देखने वाला है और यह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार के 2047 तक विकसित भारत के सपने को साकार करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा. उन्होंने कहा, “यह क्षेत्र तकनीकी प्रगति, राष्ट्रीय सुरक्षा और आर्थिक विकास को तय करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने जा रहा है. इसके अलावा, यह उपग्रह प्रक्षेपण, अंतर-ग्रहीय मिशन और वाणिज्यिक अंतरिक्ष सेवाओं जैसे मील के पत्थर हासिल करने में केंद्रीय भूमिका निभाएगा.”
उन्होंने संस्थान में भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद एक्स्ट्रामुरल रिसर्च प्रोजेक्ट: सेंटर फॉर एडवांस्ड रिसर्च का भी शुभारंभ किया. परियोजना का शीर्षक है ‘अंतरिक्ष मनोविज्ञान: भारतीय अंतरिक्ष मिशनों के लिए अंतरिक्ष यात्रियों और नामित अंतरिक्ष यात्रियों का चयन और व्यवहारिक स्वास्थ्य प्रशिक्षण.’ इस यात्रा के दौरान उनके साथ वायुसेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल एपी सिंह, एयर ऑफिसर कमांडिंग-इन-चीफ, प्रशिक्षण कमान एयर मार्शल नागेश कपूर और महानिदेशक चिकित्सा सेवाएं (वायु) एयर मार्शल संदीप थरेजा भी थे.
सिंह बेंगलुरु में आईएएम का दौरा करने वाले पहले रक्षा मंत्री हैं. अपनी यात्रा के दौरान, उन्हें पायलट प्रशिक्षण, चिकित्सा मूल्यांकन और एयरोमेडिकल अनुसंधान में आईएएम की अनूठी भूमिका के बारे में जानकारी दी गई.
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