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Thursday, 19 December, 2024
होमडिफेंसआत्मनिर्भर बनने की दिशा में बढ़ रही नेवी, स्वावलंबन समिट के पहले दो एडिशन में दिए 1194 करोड़ रुपये के कॉन्ट्रैक्ट

आत्मनिर्भर बनने की दिशा में बढ़ रही नेवी, स्वावलंबन समिट के पहले दो एडिशन में दिए 1194 करोड़ रुपये के कॉन्ट्रैक्ट

नौसेना के वाइस चीफ कृष्णा स्वामीनाथन 28 और 29 अक्टूबर को आयोजित होने वाले शिखर सम्मेलन के तीसरे संस्करण के उद्घाटन समारोह में बोल रहे थे. शिखर सम्मेलन का उद्देश्य विभिन्न क्षेत्रों में आत्मनिर्भरता को बढ़ावा देना है.

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नई दिल्ली: भारतीय नौसेना ने 2022 और 2023 में अपने नवाचार और स्वदेशीकरण शिखर सम्मेलन, स्वावलंबन के पहले दो संस्करणों में उद्योगों के लिए 2,000 चुनौतियां रखीं, जिसके बाद सरकार ने 22 परियोजनाओं के लिए ऐक्सेप्टेंस ऑफ नेसिसिटी (एओएन) प्रदान की, जिसका अनुमानित मूल्य 2,200 करोड़ रुपये है. नौसेना के वाइस चीफ कृष्ण स्वामीनाथन ने इस बात की जानकारी दी. इन 22 में से 13 को अंततः 1194 करोड़ रुपये के अधिग्रहण अनुबंध मिले.

स्वामीनाथन ने स्वावलंबन के तीसरे संस्करण के उद्घाटन के अवसर पर यह खुलासा किया, जो 28 और 29 अक्टूबर को ‘स्ट्रेन्थ एंड पावर थ्रू इनोवेशन एंड इंडीजेनाइजेशन’ विषय पर दिल्ली में आयोजित किया जाएगा.

शिखर सम्मेलन के महत्व के बारे में बात करते हुए नौसेना के वाइस चीफ ने कहा, “नौसेना ने छह दशक पहले स्वदेशीकरण की अपनी यात्रा शुरू की थी. स्वावलंबन एक नौसेना के रूप में पूरी तरह से आत्मनिर्भर बनने की आकांक्षा की अभिव्यक्ति है. हम इनोवेशन करना चाहते हैं और स्वदेशीकरण करना चाहते हैं और स्वदेशीकरण के माध्यम से आत्मनिर्भर बनना चाहते हैं. स्वावलंबन एक ऐसा आयोजन है जो हमारी आकांक्षाओं को अभिव्यक्ति देता है.”

उन्होंने कहा, “हम पहले से ही एक बहुत ही मजबूत नौसेना हैं… लेकिन हम अगली पीढ़ी की, अत्याधुनिक प्रणालियां बनाना चाहते हैं.”

शिखर सम्मेलन के माध्यम से, भारतीय नौसेना का लक्ष्य विभिन्न क्षेत्रों में आत्मनिर्भरता को बढ़ावा देने के लिए इंडस्ट्री पार्टनर्स, शिक्षाविदों, नीति-निर्माताओं और अन्य हितधारकों के साथ जुड़ना है. हर साल की तरह, इस बार शिखर सम्मेलन में डोमेन-स्पेसिफिक सेमिनार और इंटरैक्टिव सत्र होंगे.

एक सत्र, ‘भविष्य के युद्ध और उभरती हुई प्रौद्योगिकियां’ में स्वायत्त प्लेटफ़ॉर्म और युद्ध पर उनके प्रभाव, ‘स्मार्ट’ मटीरियल और क्वांटम नेविगेशन व सेंसिंग पर चर्चा की जाएगी.

एक अन्य इंटेरैक्टिव सेशन का विषय है, ‘नवाचार पारिस्थितिकी तंत्र और स्वदेशी रक्षा पारिस्थितिकी तंत्र को बढ़ावा देना’. तीसरा सत्र स्वदेशी लड़ाकू क्षमता विकसित करने और जहाज निर्माण के स्वदेशीकरण, स्टार्टअप और सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों की भूमिका और रक्षा औद्योगिक क्षेत्र द्वारा डिजाइन और विकास पर केंद्रित होगा.

कार्यक्रम में एक वरिष्ठ अधिकारी ने स्वदेशी जहाज निर्माण से देश को मिलने वाले लाभों पर चर्चा की. फेडरेशन ऑफ इंडियन चैंबर्स ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री (फिक्की) के एक अध्ययन का हवाला देते हुए उन्होंने कहा कि अकेले विमानवाहक परियोजना से 10,000 से अधिक एमएसएमई लाभान्वित हुए हैं. आईएनएस विक्रांत भारत का पहला स्वदेशी विमानवाहक पोत है और उन्होंने कहा कि लागत के हिसाब से लगभग 55-60 प्रतिशत पैसा भारतीय उद्योगों को गया.

स्वामीनाथन ने कहा, “स्वदेशी जहाज निर्माण के बारे में एक अच्छी बात यह है कि इससे राष्ट्रीय विकास, रोजगार और विभिन्न सहायक क्षेत्रों में निवेश को बढ़ावा मिलता है.”

दिप्रिंट के एक सवाल का जवाब देते हुए नौसेना के वाइस चीफ ने जहाजों में स्वदेशी सामग्री के बारे में आगे बात की. स्वामीनाथन ने कहा, “मोटे तौर पर, कोई भी लड़ाकू प्लेटफॉर्म क्षमताओं का एक संग्रह है. हमने इसे ‘फ्लोट, मूव और फाइट कंपोनेंट’ के तहत वर्गीकृत करने का एक सुविधाजनक तरीका खोज लिया है. जबकि फ्लोट कंपोनेंट ही सब कुछ है, जो इसे सतह पर जीवित रखता है, मूव प्रोपल्शन है, और फाइट उपकरण और सेंसर हैं.”

नौसेना के वाइस चीफ ने कहा कि भारतीय नौसेना के जहाज निर्माण प्रयासों के तहत फ्लोट और मूव कंपोनेंट का अधिकांश हिस्सा भारत में ही बनाया जाता है. “हर एक जहाज निर्माण परियोजना के साथ, हमारा स्वदेशीकरण कंटेंट ऊपर की ओर बढ़ रहा है.”

स्वामीनाथन ने खुलासा किया कि भारतीय नौसेना के नवीनतम जहाजों में से एक में स्वदेशी कंटेंट 90 प्रतिशत तक बढ़ गया है. इसके अलावा, नौसेना ने अब अगली पीढ़ी की तकनीकों को हासिल करने के लिए रियर एडमिरल की अध्यक्षता में दो टास्क फोर्स का गठन किया है.

(इस रिपोर्ट को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें.)


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