नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली रक्षा मामलों की कैबिनेट कमेटी (सीसीएस) ने इस बुधवार को भारतीय वायु सेना के लिए छह नए एयरबोर्न अर्ली वार्निंग एंड कंट्रोल (एईडब्ल्यूएंडसी- एवॅक्स) विमान को विकसित करने के लिए रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (डीआरडीओ) द्वारा तैयार की गई लगभग 11,000 करोड़ रुपये की परियोजना को मंजूरी दे दी.
यह भारतीय वायु सेना के लिए 56 सी-295 एम डब्ल्यू परिवहन विमान की खरीद के लिए मिली उस मंज़ूरी के अलावा है जिसके तहत इस समिति ने पुराने पड़ चुके एवरो 748 परिवहन विमान के बेड़े, जिन्होंने पहली बार 1961 में उड़ान भरी थी, को बदलने के लिए लगभग 3 बिलियन डॉलर की लागत के एक सौदे को मंज़ूरी दी है.
रक्षा और सुरक्षा प्रतिष्ठान से जुड़े सूत्रों ने दिप्रिंट को बताया कि हालांकि सी-295 विमानों के मामले में सीसीएस का निर्णय अनुबंध पर वास्तविक हस्ताक्षर के लिए बजटीय प्रावधान की मंजूरी का था, समिति ने डीआरडीओ वाली परियोजना के लिए अभी सिर्फ़ आक्सेप्टेन्स ऑफ नेसेसिटी (आवश्यकता की स्वीकृति) (एओएन) स्तर की मंजूरी ही दी है.
इसका मतलब यह है कि डीआरडीओ अब इन विमानों पर आगे के काम के लिए ‘रिक्वेस्ट फॉर प्रपोज़ल’ (आरएफपी) जारी करने में सक्षम हो पाएगा.
इस योजना के अनुसार, ये छह विमान एयर इंडिया के बेड़े से लिए जाएंगे, जिसका अर्थ है कि वे या तो ए-319 एस या ए-321 वेरिएंट होंगे.
मूल योजना, जिसे भी एओएन स्तर की मंजूरी मिली थी, में दो बड़े ए-330 जेट विमानों को खरीदा जाना था और बाद में उनमें अपेक्षित फेरबदल कर उनमें एवॅक्स सिस्टम फिट किया जाना था.
पर अब इस नयी योजना के तहत छह एयरबस विमानों को संशोधित किया जाएगा और उन पर स्वदेशी एक्टिव इलेक्ट्रॉनिक स्कॅड अरे (एईएसए) रडार लगाया जाएगा.
डीआरडीओ अब इन छह यात्री विमानों में संशोधन हेतु दावेदारियां आमंत्रित करने के लिए आरएफपी जारी करेगा. चूंकि एयरबस इनका मूल उपकरण निर्माता (ओईएम) है, इसलिए यह फर्म इस अनुबंध को हासिल करने में सबसे आगे मानी जा रही हैं.
सूत्रों का कहना है कि इस 11,000 करोड़ रुपये का अधिकांश हिस्सा विमानों में आवश्यक फेरबदल करने और उनमें एवॅक्स सिस्टम को स्थापित करने में खर्च किया जाएगा.
इन विमानों की वास्तविक लागत कम है और सभी छह विमान लगभग 1,100 करोड़ रुपये में आ जायेंगे क्योंकि यह सारा वितीय लेन-देन भारत सरकार के तंत्र के भीतर ही होना है.
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एवॅक्स होता क्या है?
‘आई इन दि स्काई’ के रूप में जाने जाने वाले, एवॅक्स सिस्टम जमीन पर आधारित राडार की तुलना में दूसरी ओर से आने वाले लड़ाकू विमानों, क्रूज मिसाइलों और ड्रोन सहित आकाश में उड़ने वाली सभी वस्तुओं का काफ़ी तेजी से पता लगा सकता है और उन्हें ट्रैक भी कर सकता है.
वे समुद्र में तैनात जहाजों पर नज़र रखते हुए किसी भी मिशन के लिए हवाई नियंत्रण कक्ष के रूप में भी काम कर सकते हैं.
ये छह विमान भारतीय वायुसेना के उस मौजूदा बेड़े में शामिल होंगे, जिसमें पहले से इल्यूशिन -76 परिवहन विमान पर तैनात तीन इजरायली फाल्कन एवॅक्स और एम्ब्रेयर विमान पर फिट किए गये दो स्वदेशी ‘नेत्रा’ एवॅक्स विमान शामिल हैं.
27 फरवरी 2019 को भारत और पाकिस्तान के बीच हुई हवाई भिड़ंत के दौरान एवॅक्स विमानों की अहमियत को काफ़ी शिद्दत से महसूस किया गया था.
पाकिस्तान, जिसके पास चार अन्य ऐसे विमानों के अलावा पूर्व चेतावनी देने वाले छह साब 2000 विमान हैं, ने इस हमले की शुरुआत करते समय भारतीय वायुसेना के ‘आई इन दि स्काई’ तंत्र के बदलाव के बीच के गैप का फायदा उठाया था.
भारत और चीन के बीच चल रहे मौजूदा गतिरोध का एक मतलब यह भी है कि मौजूदा संसाधनों का लगभग 24 घंटे इस्तेमाल किया जा रहा है व ऐसे विमानों की आवश्यकता और अधिक महसूस की जा रही है.
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