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Friday, 26 April, 2024
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रक्षा मंत्रालय ने 6 पनडुब्बियों के निर्माण के लिए 43,000 करोड़ रुपये की परियोजना को मंजूरी दी

चीन की तेजी से बढ़ती नोसैन्य क्षमताओं के मद्देनजर भारत की क्षमता बढ़ाने के उद्देश्य से यह महत्वपूर्ण निर्णय लिया गया है.

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नई दिल्ली: रक्षा मंत्रालय ने भारतीय नौसेना के लिए करीब 43,000 करोड़ रुपये की लागत से छह पारंपरिक पनडुब्बियों के निर्माण को शुक्रवार को मंजूरी दे दी.

चीन की तेजी से बढ़ती नोसैन्य क्षमताओं के मद्देनजर भारत की क्षमता बढ़ाने के उद्देश्य से यह महत्वपूर्ण निर्णय लिया गया है.

रक्षा खरीद परिषद (डीएएसी) ने परियोजना के लिए अनुरोध पत्र या निविदा जारी करने को मंजूरी दे दी. रणनीतिक साझेदारी मॉडल के तहत यह पहली खरीद होगी.

आयात पर निर्भरता घटाने के लिए ये पनडुब्बियां उस रणनीतिक साझेदारी के तहत बनाई जाएंगी जो घरेलू रक्षा उपकरण निर्माताओं को विदेशों की रक्षा निर्माण क्षेत्र की अग्रणी कंपनियों के साथ साझेदारी में अत्याधुनिक सैन्य मंच बनाने की अनुमति देता है.

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के कार्यालय के मुताबिक रक्षा मंत्रालय ने भारतीय सेना के लिए करीब 6800 करोड़ रुपये की लागत से विभिन्न सैन्य हथियारों और उपकरणों की खरीद संबंधी प्रस्ताव को भी मंजूरी दे दी.

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रक्षा मंत्री की अध्यक्षता में डीएसी की बैठक में ‘पी-75 इंडिया’ नाम की इस परियोजना को अनुमति देने का निर्णय लिया गया. डीएसी खरीद संबंधी निर्णय लेने वाली रक्षा मंत्रालय की सर्वोच्च इकाई है.

मंत्रालय ने नौसैन्य परियोजना के बारे में बताया, ‘इस परियोजना में 43,000 करोड़ रुपये की अनुमानित लागत से अत्याधुनिक प्रणोदन प्रणाली से युक्त छह पारंपरिक पनडुब्बियों का देश में निर्माण किया जाएगा.’

एक बयान में कहा गया, ‘रणनीतिक साझेदारी मॉडल के तहत पहले मामले के तौर पर यह महत्वपूर्ण मंजूरी है. यह सबसे बड़ी ‘मेक इन इंडिया’ परियोजनाओं में से एक होगी और भारत में पनडुब्बी के निर्माण के लिए प्रौद्योगिकी और औद्योगिक ढांचे को बढ़ावा मिलेगा.’

मंत्रालय ने कहा कि परियोजना से आयात पर निर्भरता घटेगी और देशी स्रोतों से आपूर्ति पर निर्भरता बढ़ेगी और आत्मनिर्भर होने में मदद मिलेगी.

बयान में कहा गया, ‘इस मंजूरी के साथ, देश पनडुब्बी निर्माण में राष्ट्रीय क्षमता हासिल करेगा. इसके साथ ही, भारतीय उद्योग के लिए देश में पनडुब्बियों के डिजाइन, निर्माण के संबंध में सरकार द्वारा परिकल्पित 30 वर्षीय पनडुब्बी निर्माण कार्यक्रम के लक्ष्य को प्राप्त करने में मदद मिलेगी.’

रणनीतिक साझेदारी मॉडल के तहत घरेलू रक्षा निर्माताओं को अत्याधुनिक सैन्य उपकरण तैयार करने के संबंध में आयात पर निर्भरता घटाने के लिए अग्रणी विदेशी रक्षा कंपनियों से हाथ मिलाने की अनुमति होगी.

अधिकारियों ने बताया कि यह परियोजना 12 वर्ष की अवधि में लागू की जाएगी और रडार को चकमा देने में सक्षम पनडुब्बियों में हथियारों की जो प्रणालियां शामिल की जाएगी उसके अनुरूप अंतिम लागत में इजाफा हो सकता है.

सूत्रों ने बताया कि डीएसी ने पोत निर्माता लार्सन एंड टूब्रो (एल एंड टी) और सरकारी उपक्रम माझगांव डॉक लिमिटेड (एमडीएल) को अनुरोध पत्र या निविदा जारी करने को मंजूरी दे दी.

परियोजना के लिए ये दोनों कंपनियां किस विदेशी कंपनी के साथ हाथ मिलाना चाहती हैं यह उनका अपना फैसला होगा. इसके लिए पांच विदेशी कंपनियों रोसोबोरोने एक्सपोर्ट (रूस), दाईवू (दक्षिण कोरिया), थायसीनक्रूप मरीन सिस्टम (जर्मनी), नवंतिया (स्पेन) और नेवल ग्रूप (फ्रांस) की सूची बनायी गयी है.

ऐसी उम्मीद है कि आरएफपी महीने भर के भीतर जारी हो जाएगा तथा उस पर एल एंड टी तथा एमडीएल के जवाब का विस्तार से आकलन करने के बाद इसका ठेका दिया जाएगा.

रक्षा मंत्रालय और नौसेना के अलग-अलग दल इस परियोजना की आरपीएफ जारी करने के लिए आवश्यक सभी जरूरतों और पनडुब्बियों की खूबियों समेत सभी जमीनी काम पूरे कर चुके हैं.

एक अन्य महत्वपूर्ण फैसले में डीएसी ने सशस्त्र बलों को दिए गए अधिकार के तहत तत्काल खरीद की समयसीमा 31 अगस्त, 2021 तक बढ़ा दी, ताकि वे अपनी आपातकालीन खरीद को पूरा कर सकें.

भारतीय नौसेना की पानी के नीचे अपनी युद्धक क्षमता को बढ़ाने के लिए परमाणु हमला करने में सक्षम छह पनडुब्बियों समेत 24 नई पनडुब्बियों को खरीदने की योजना है. फिलहाल नौसेना के पास 15 परंपरागत पनडुब्बी और दो परमाणु पनडुब्बी हैं.

हिंद महासागर में अपनी सैन्य क्षमता में इजाफा करने के चीन के निरंतर बढ़ते प्रयासों के मद्देनजर नौसेना अपनी सभी क्षमताओं को उल्लेखनीय रूप से बढ़ाने पर ध्यान दे रही है. भारत के सामरिक हितों के लिहाज से हिंद महासागर की अहमियत बढ़ गयी है.

वैश्विक विशेषज्ञों के मुताबिक चीन की नौसेना के पास अभी 50 पनडुब्बी और करीब 350 पोत हैं. अगले आठ से दस वर्ष में उसके पास 500 से अधिक पोत तथा पनडुब्बियां हो सकते हैं.

भारतीय नौसेना रणनीतिक साझेदारी मॉडल के तहत 57 लड़ाकू विमान, 111 हेलीकॉप्टर (एनयूएच) और 123 बहु-भूमिका वाले हेलीकॉप्टर खरीदने की प्रक्रिया में है.

पिछले कुछ वर्षों में सरकार ने भारत को रक्षा निर्माण का केंद्र बनाने के उद्देश्य से कई सुधार कदम उठाए हैं.

पिछले साल अगस्त में रक्षा मंत्री ने घोषणा की थी कि भारत 2024 तक परिवहन विमान, हल्के लड़ाकू विमान, पारंपरिक पनडुब्बियों, क्रूज मिसाइलों जैसे 101 हथियारों और सैन्य साजो-सामान का आयात रोक देगा.

इस सप्ताह एक ओर सूची जारी कर 108 सैन्य हथियारों और सिस्टम के आयात पर रोक लगा दी गयी.

सरकार ने अब सैन्य आयात पर निर्भरता घटाने और घरेलू रक्षा निर्माण को सहयोग देने का फैसला किया है.


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