नई दिल्ली: रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने सशस्त्र बलों से कहा है कि अब जबकि कोविड-19 की ताजा लहर से देश की स्वास्थ्य प्रणाली पर बोझ ज्यादा बढ़ गया है, इस महामारी से मुकाबले में वे अपने संसाधनों के जरिये जो भी संभव हो, नागरिक प्रशासन की मदद करें. दिप्रिंट को मिली जानकारी में यह बात सामने आई है.
रक्षा और सुरक्षा प्रतिष्ठान से जुड़े सूत्रों ने बताया कि रक्षा मंत्री ने सोमवार को सेना प्रमुख जनरल एम.एम. नरवणे और रक्षा सचिव अजय कुमार के साथ मुलाकात की. इस दौरान उन्होंने इस बात पर चर्चा की कि रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) तथा सरकार नियंत्रित सार्वजनिक क्षेत्र के रक्षा उपक्रमों के अलावा सशस्त्र बलों की तरफ से और क्या-क्या उपाय किए जा सकते हैं.
सूत्रों के मुताबिक, बैठक के दौरान एक निर्णय ये भी लिया गया कि राज्य की राजधानी में एक शीर्ष सैन्य अधिकारी मुख्यमंत्री से बात करेगा और जहां भी संभव होगा सैन्य बलों की तरफ से संचालित अस्पतालों में नागरिकों के इलाज की पेशकश करेगा.
एक सूत्र ने कहा, ‘सैन्य अस्पताल सशस्त्र बलों के लिए होते हैं. अभी कुछ बेड हैं जो संकट की इस घड़ी में नागरिकों के इलाज की जरूरतों को पूरा कर सकते हैं. यह सैन्य बल ही तय करेगा कि उसे अपनी कोविड फैसिलिटी में कितने नागरिकों को लेना है.’
शीर्ष अधिकारी यह भी पता लगाएंगे कि राज्य सरकार उनसे और क्या अपेक्षा रखती है और यदि संभव हो सके तो वह किस तरह से मदद कर सकते हैं.
देश के सभी 63 छावनी बोर्डों से यह भी कहा गया है कि उनकी तरफ से चलाए जा रहे अस्पतालों में छावनी में रहने वालों के अलावा बाहर से वहां पहुंचने वालों के इलाज की व्यवस्था की जाए. यह काम जिला प्रशासन या कोविड के लिए नोडल अधिकारियों के साथ समन्वय स्थापित करके किया जा सकता है.
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और ज्यादा अस्थायी अस्पतालों की जरूरत
मिली जानकारी के मुताबिक, विभिन्न राज्य सरकारों ने रक्षा मंत्रालय से संपर्क करके कहा है कि अस्थायी अस्पतालों की व्यवस्था कराई जाए जैसे डीआरडीओ ने राष्ट्रीय राजधानी में स्थापित कराए हैं.
दिप्रिंट ने पूर्व में जानकारी दी थी कि डीआरडीओ और सरकार संचालित हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (एचएएल) की तरफ से उत्तर प्रदेश, गुजरात, बिहार और महाराष्ट्र जैसे राज्यों में ऐसे अस्थायी अस्पताल स्थापित करने की प्रक्रिया चल रही है.
एक अन्य सूत्र ने कहा, ‘यह आसान काम नहीं है. इन अस्पतालों को चलाने के लिए चिकित्सा कर्मियों के अलावा उपयुक्त जगह, बुनियादी ढांचे और धन की जरूरत होगी. रक्षा बल उन मरीजों के लिए अधिक बेड मुहैया कराने की कोशिश में जुटे हैं, जिन्हें गहन देखभाल की जरूरत है. अनुरोधों के आधार पर डीआरडीओ अधिक अस्थायी सुविधाएं स्थापित कर सकता है.’
ऊपर उद्धृत सूत्रों में से एक ने कहा, ‘पूरी कोशिश यही है कि रक्षा प्रतिष्ठान नागरिक प्रशासन के साथ मिलकर इस चुनौती से निपटने में उपलब्ध संसाधनों का पूरा इस्तेमाल कर सकें.’
यह संयोग ही है कि पूर्व सेना प्रमुख जनरल वी.पी. मलिक ने 18 अप्रैल को ही एक ट्वीट करके कहा था कि देश में जंग जैसे हालात हैं क्योंकि 24 घंटे में ही इतने अधिक भारतीय मारे गए हैं जितने पूरे कारगिल युद्ध में नहीं मरे थे.
Our nation is at war.1338 Indians died due to pandemic yesterday(1182 day before): more than 2.5 times TOTAL killed in action in Kargil war. Is the nation focused on this war? Election rallies, Faith events, Farmer agitation, in-fighting over resources going on…Wake up India!
— Ved Malik (@Vedmalik1) April 18, 2021
वहीं, अगले दिन उत्तरी कमान के पूर्व कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल (सेवानिवृत्त) डी.एस. हुड्डा ने कहा था कि देश एक ‘बड़े संकट’ से गुजर रहा है. उन्होंने संकट को स्वीकारने और एक-दूसरे पर दोष न मढ़ने जैसे तीन सुझाव भी दिए थे.
We are in a full blown corona crisis. Three suggestions for the national leadership from my experience. 1. Accept the existence of the crisis. 2. Own the crisis. Don’t pass the blame. 3. Overreact in resolving the crisis. Don’t underplay it
— Lt Gen D S Hooda (@LtGenHooda) April 19, 2021
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