नई दिल्ली: सेना ने करीब 50 साल बाद मिलेट्स के आटे को सेना के जवानों के आहार में फिर से शामिल किया जाने वाला है. अब श्री अन्न की तीन किस्में – बाजरा, ज्वार और रागी – अब उनके राशन का हिस्सा होंगी.
चीन से लगी सीमाओं पर तैनात सैनिकों के खाने में बाजरे की चीजें और नमकीन शामिल करने पर विशेष जोर दिया गया है.
सेना ने बुधवार को जारी बयान में कहा कि यह फैसला सैनिकों को स्थानीय और पांरपरिक अनाज की आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए किया गया है.
सेना ने बताया, ‘संयुक्त राष्ट्र द्वारा घोषित अंतरराष्ट्रीय मिलेट्स वर्ष 2023 के आलोक में मोटे अनाज के उपभोग को बढ़ावा देने के लिए भारतीय सेना ने मोटे अनाज के आटे की शुरुआत सैनिकों के लिए की है. यह जवानों को स्थानीय और पांरपरिक अनाज की आपूर्ति करने का ऐतिहासिक फैसला है जिसे करीब पांच दशक पहले गेहूं के आटे की वजह से बंद कर दिया गया था.’
बाजरा प्रोटीन का एक बहुत अच्छा श्रोत है इस प्रकार यह एक सैनिक के आहार के पोषण तत्व को और बढ़ा देता है.
बाजरे के आटे की तीन लोकप्रिय किस्में – बाजरा, ज्वार और रागी के लाभ को देखते हुए इन्हे सैनिकों के लिए उपलब्ध कराया जायेगा.
बयान के मुताबिक, ‘पांरपरिक रूप से मोटे अनाज से बने व्यंजन सेहत के लिए लाभदायक साबित हुए हैं और हमारी भौगोलिक और जलवायु परिस्थितियों के अनुकूल है. इससे विभिन्न बीमारियों के असर को कम करने में मदद मिलेगी. अब से सभी पदों पर सेना के जवानों के दैनिक भोजन में ‘मोटे अनाज’ अभिन्न अंग होगा.’
सेना ने कहा कि पौष्टिक, स्वादिष्ट और पौष्टिक बाजरे के व्यंजन तैयार करने के लिए रसोइयों का केंद्रीकृत प्रशिक्षण लिया जा रहा है, बाजरा में प्रोटीन, पोषक तत्वों और फाइटो-केमिकल्स का अच्छा स्रोत होने का लाभ है, इस प्रकार एक सैनिक के आहार के पोषण संबंधी प्रोफाइल को बढ़ावा मिलता है.
केंद्र सरकार मिलेट्स के उपयोग को बढ़ाने पर जोर दे रही है. आईसीएआर-भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान की एक टीम मिलेट्स को नरम बनाने, लंबे समय तक चलने और इसे गेहूं और चावल के आटे के विकल्प के रूप में पेश करने के लिए एक पुरानी भारतीय तकनीक का उपयोग कर रही है.
उल्लेखनीय है कि सरकार ने वित्तवर्ष 2023-24 के लिए सेना को कुल राशन में से 25 प्रतिशत तक मोटे अनाज खरीदने के लिए अधिकृत किया है. यह खरीद विकल्प और मांग पर आधारित होगी और इसके तहत बाजरा, ज्वार और रागी के आटे का विकल्प होगा.
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