नई दिल्ली: दिप्रिंट को मिली जानकारी के अनुसार चीन के साथ बढ़ते तनाव के बीच, भारत और अमेरिका वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) के सेन्ट्रल सेक्टर में सीमा रेखा से 100 किमी से भी कम दूरी पर स्थित उत्तराखंड के औली में दो सप्ताह के हाई-एल्टीट्यूड (अत्यधिक ऊंचाई) वाले सैन्य अभ्यास के लिए एक साथ आएंगे.
भारत-अमेरिका के इस संयुक्त अभ्यास को ‘युद्ध अभ्यास’ के नाम से जाना जाता है और इस साल इसका 15वां संस्करण होगा.
रक्षा और सुरक्षा प्रतिष्ठान के सूत्रों ने कहा कि इस संयुक्त अभ्यास को 14 से 31 अक्टूबर तक किये जाने योजना बनाई जा रही है, जहां दोनों देशों के सुरक्षा बल हाई-एल्टीट्यूड वारफेयर (अत्यधिक ऊंचाई वाले युद्ध) के ‘सम्पूर्ण दायरे का फायदा उठाने के लिए युद्धाभ्यास’ करेंगे. सूत्रों ने यह भी बताया कि 10,000 फीट की ऊंचाई पर स्थित वह स्थान जहां यह युद्ध अभ्यास होगा, खुद को ऊंची जगहों के अनुकूल बनाने (एक्लीमैटाईजेशन) के चरण 1 में आता है.
एक सूत्र ने कहा, ‘इस बार यह एक बहुत ही महत्वपूर्ण अभ्यास होने वाला है क्योंकि भारतीय पक्ष अपनी अत्यधिक-ऊंचाई वाली युद्ध रणनीतियों का प्रदर्शन करेगा, जबकि अमेरिकी पक्ष ऐसी कई तकनीकों का प्रदर्शन करेगी जिनका उपयोग ऐसे परिदृश्यों में किया जा सकता है. इस अभ्यास की योजना इस तरह से बनाई गई है कि दोनों पक्ष किसी भी परिदृश्य के लिए एक साथ आ सकें.’
एक अन्य सूत्र ने बताया कि दोनों पक्षों द्वारा दो सप्ताह के इस हाई-एल्टीट्यूड सैन्य अभ्यास का पूरी तरह से फायदा उठाने और यह देखने के लिए कि दोनों देशों के सैनिक एक साथ मिलकर कैसे काम कर सकते हैं, विभिन्न प्रकार की गतिविधियों की योजना बनाई गई है.’
सूत्रों ने आगे यह भी कहा कि ‘युद्ध अभ्यास’ के इस संस्करण में हवाई और ग्राउंड एसेस्ट्स का पहले से अधिक एकीकरण होगा, जिसका अर्थ है कि भारतीय वायु सेना भी इसमें महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी.
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चीन के साथ भारत-अमेरिका का तनाव
भारत और चीन ने लद्दाख में हुए गतिरोध के बाद पिछले दो वर्षों में एलएसी पर लगातार बढ़ते तनाव को देखा है. इस बीच, अमेरिकी कांग्रेस की अध्यक्ष (हाउस स्पीकर) नैन्सी पेलोसी के मंगलवार (2 अगस्त) को ताइवान में रुकने को लेकर अमेरिका और चीन के बीच भी तनाव बढ़ गया है.
चीन की सेना द्वारा इसके पश्चिमी थिएटर कमान – जो भारत से संबंधित मामलों की देखरेख करता है – के तहत बुनियादी ढांचे के जमावड़े को ‘आंखें खोलने वाला और खतरनाक’ बताते हुए अमेरिकी सेना के पैसिफिक कमांडिंग जनरल चार्ल्स फ्लिन ने इस साल जून में कहा था कि भारतीय और अमेरिकी सेना इस साल हाई-एल्टीट्यूड वारफेयर के लिए इंटरऑपरेबिलिटी (एक दूसरे के साथ मिलकर काम करने की समझ) बढ़ाने हेतु 9,000-10,000 फीट की ऊंचाई पर एक साथ प्रशिक्षण लेगी.
पत्रकारों के एक समूह के साथ बातचीत करते हुए, फ्लिन ने यह भी कहा कि एलएसी के आस-पास चीनी जमावड़ा और भूटान में इसके द्वारा किया गया गांवों का निर्माण ‘आंख खोलने वाला’ है .
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