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Monday, 23 December, 2024
होमडिफेंसलद्दाख में गर्मियों में फिर से तनाव-भरे दौर के लिए अपने मिसाइल हथियारों का भंडार बढ़ा रहा है भारत

लद्दाख में गर्मियों में फिर से तनाव-भरे दौर के लिए अपने मिसाइल हथियारों का भंडार बढ़ा रहा है भारत

भारत ने अघोषित संख्या में स्पाइस बम-गाइडेंस उपकरणों और करीब 300 से 320 के बीच लंबी दूरी की एंटी-टैंक गाइडेड मिसाइल स्पाइक की आपूर्ति के लिए इजरायल के साथ 20 करोड़ डॉलर का करार किया है.

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नई दिल्ली: पूर्वी लद्दाख में चीन के साथ गतिरोध पिछले आठ महीनों से लगातार जारी रहने के बीच भारत अपने मिसाइल हथियारों का भंडार बढ़ाने की प्रक्रिया में जुटा है और सेनाएं भी गर्मियों में पेश आने वाली संभावित चुनौतियों से निपटने के लिए खुद को पूरी तरह तैयार कर रही है.

सैन्य मामलों पर एक प्रमुख पत्रिका जेन्स डिफेंस वीकली में प्रकाशित एक रिपोर्ट के अनुसार, भारत ने इजरायल के राफेल एडवांस्ड डिफेंस सिस्टम के साथ 20 करोड़ डॉलर का करार किया है जिसके तहत अघोषित संख्या में स्पाइस बम-गाइडेंस उपकरणों और करीब 300 से 320 के बीच लंबी दूरी की स्पाइक एंटी-टैंक गाइडेड मिसाइल (एटीजीएम) की आपूर्ति की जानी है. इसके साथ बीनेट ब्रॉडबैंड आईपी सॉफ्टवेयर वाला रेडियो भी होगा, जो किसी रणनीतिक अभियान के जारी रहने के दौरान एक सुरक्षित संचार प्रणाली के तौर पर इस्तेमाल के लिए तैयार किया गया है.

24 दिसंबर को प्रकाशित रिपोर्ट के मुताबिक इन उपकरणों की आपूर्ति 2021 की शुरुआत में होनी है. यह खरीद इसी वर्ष जुलाई में केंद्रीय रक्षा मंत्रालय द्वारा सशस्त्र बलों को आपात खरीद के लिए दिए अधिकारों के तहत की गई है जिसमें आपात जरूरत के आधार पर 300 करोड़ रुपये तक के हथियार खरीदे जा सकते हैं.

भारतीय वायुसेना के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि हवा से जमीन पर मार करने वाली स्पाइस 2000 मिसाइलों की ताजा खरीद आपातकालीन सौदे का हिस्सा है.

यह हथियार वायुसेना के मिराज 2000 बेड़े और सुखोई-30 लड़ाकू विमानों में पहले ही लगाया जा चुका है. अधिकारी ने कहा कि जगुआर और स्वदेशी तेजस को इस 500 किलोग्राम वजन वाले स्पाइस 2000 बम से सुसज्जित किया जा सकता है.

अधिकारी ने आगे कहा, ‘स्पाइस 2000 बमों ने बालाकोट हमलों के दौरान अपनी क्षमता साबित की थी. लंबी दूरी से ही लक्ष्य को सटीकता से भेदने में सक्षम, जो किसी संघर्ष के दौरान बहुत अहमियत रखती है, इस मिसाइल को शस्त्रागार में शामिल करना भारतीय वायुसेना की क्षमताओं को बढ़ाएगा.

हालांकि, उन्होंने कहा कि सौदे के तहत मिलने वाले उपकरणों की संख्या मौजूदा समय में भारत के पास उपलब्ध करीब 250 सुखोई-30 और 50 मिराज-2000 के लिहाज से पर्याप्त नहीं है.

लद्दाख में गतिरोध शुरू होने के बाद इस साल के शुरू में भारतीय वायुसेना ने अपने राफेल लड़ाकू विमानों के लिए विशेष तौर पर हवा से जमीन पर सटीकता से निशाना साधने में सक्षम फ्रेंच हैमर हथियार प्रणाली का विकल्प चुना था.

हैमर यानी हाइली एगाइल एंड मैनोवरेबल म्यूटेशन एक्सटेंडेड रेंज (एचएएमएमईआर) में 250 ग्राम के एक मानक एमके82 बम में एक गाइडेंस किट और एक रेंज बढ़ाने वाली किट लगी हुई है.

इसके अलावा, वायुसेना के शस्त्रागार में 10 से 15 किलोमीटर की मारक क्षमता वाले लेजर-गाइडेड बम भी हैं.

वायुसेना अधिकारी ने कहा, ‘ग्राउंड-अटैक में इस्तेमाल किए जाने वाले हर विमान में कम से कम पांच बम लोड करने की क्षमता होनी चाहिए, जिसका अर्थ है कि विमान को हर अभियान में 10 बम ले जाने और कम से कम 10×5 यानी 50 बम ले जाने में सक्षम होना चाहिए.’

एटीजीएम की बात करें तो सेना ने इस साल की शुरुआत में ही आपातकालीन खरीद के तहत स्पाइक-एलआर (लांग रेंज) एटीजीएम के लिए फिर खरीद की योजना बना रही थी.

लेह में तैनात सेना 14वीं कोर ने अन्य उपकरणों के अलावा अज्ञात संख्या में मिसाइलों के साथ लगभग 40 स्पाइक एटीजीएम लांचर्स की अनुमानित आवश्यकता बताई थी.

भारत ने अपनी मौजूदा एटीजीएम को चीन के साथ गतिरोध के मद्देनज़र लद्दाख में महत्वपूर्ण ऊंचाइयों पर तैनात कर रखा है.

सेना के एक वरिष्ठ अधिकारी ने दिप्रिंट से कहा कि स्पाइक चौथी पीढ़ी की मिसाइल है जो 4 किलोमीटर तक एकदम सटीक निशाना साधने में सक्षम है जो किसी भी संघर्ष के दौरान इसे एक घातक हथियार बनाती है. अधिकारी ने कहा, ‘हालांकि यह मुख्यत: टैंक-रोधी है लेकिन इसे दुश्मन की जमीनी किलेबंदी और बंकरों को ध्वस्त करने में भी बखूबी इस्तेमाल किया जा सकता है.


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शस्त्रागार और मजबूत होगा

नए सौदे के तहत खरीदी जा रही मिसाइलें पिछले साल के बाद एक बार फिर भारतीय शस्त्रागार को बड़े पैमाने पर बढ़ाने वाली हैं.

मोदी सरकार ने पिछले साल रूस से भारतीय वायु सेना (आईएएफ) के लिए लगभग 70 करोड़ डॉलर के हथियार की खरीद का ऑर्डर दिया था, जिसमें करीब 300 शॉर्ट-रेंज एयर-टू-एयर मिसाइल आर-73 और 400 मध्यम-रेंज की एयर-टू एयर गाइडेड मिसाइलें आरवीवी-एई, जिन्हे आर-77 भी कहा जाता है और राडार-बस्टिंग मिसाइल एक्स-31 भी शामिल हैं.

इन मिसाइलों को रूस निर्मित मिग और सुखोई विमानों में लगाने के लिए डिजाइन किया गया है.

आर-73 की रेंज 30 किलोमीटर है. आर-77 मध्यम दूरी की अमेरिकी मिसाइल एआईएम-120 अमराम का रूसी संस्करण है.

14 फरवरी के पुलवामा हमले के जवाब में बालाकोट पर वायुसेना के हवाई हमले के एक दिन बाद 27 फरवरी को भारत के सुखोई-30 को निशाना बनाने के लिए पाकिस्तानी वायु सेना (पीएएफ) ने अमेरिकी मिसाइल का ही इस्तेमाल किया था.

(इस खबर को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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