नई दिल्ली: चीनी रक्षा मंत्रालय के प्रवक्ता सीनियर कर्नल वू कियान की तरफ से बुधवार को जारी एक लिखित बयान के मुताबिक, करीब 9 महीने तक चली तनातनी के बाद चीनी और भारतीय सशस्त्र बलों की सीमावर्ती टुकड़ियों ने पैंगोंग त्सो के दक्षिणी और उत्तरी तटों से ‘सिंक्रोनाइज और ऑर्गनाइज वापसी’ शुरू कर दी है.
हालांकि, भारत की तरफ से इस पर कोई आधिकारिक बयान जारी नहीं किया गया है, लेकिन रक्षा और सुरक्षा प्रतिष्ठान से जुड़े सूत्रों ने कहा कि दोनों देशों ने पैंगोंग त्सो के दक्षिणी तट से अपने बख्तरबंद वाहनों को वापस बुलाना शुरू कर दिया है.
उन्होंने कहा कि झील के उत्तरी तट से भी वापसी हो रही है, और यह सैन्य वापसी सिर्फ पैंगोंग त्सो तक सीमित नहीं है. हालांकि, यह स्पष्ट नहीं हुआ है कि और कहां से वापसी हो रही है.
पिछले साल 29-30 अगस्त की रात को भारतीय सैन्य बलों की विशेष टुकड़ी के सैन्य अभियान के बाद देशों ने अपने टैंक दक्षिणी तट पर तैनात कर दिए थे. सूत्रों के अनुसार, ये टैंक एकदम ‘खतरनाक ढंग’ से एक-दूसरे से मात्र कुछ फीट की दूरी पर ही आ गए थे.
यह पूछे जाने पर कि क्या भारतीय सैनिकों को पैंगोंग त्सो के पास कैलाश रेंज से भी वापस बुलाया जा रहा है, सूत्रों ने कहा कि वे फिलहाल वहीं पर तैनात बने हुए हैं.
यह भी पढ़ें: सेना के मॉर्डेनाइजेशन के लिए बनेगा 2.38 लाख करोड़ का फंड, कैप्टिल एक्सपेंडिचर में 19% की हुई वृद्धि
वापसी प्रक्रिया
चीनी रक्षा प्रवक्ता के बयान में लिखा है, ‘चीनी और भारतीय सीमावर्ती टुकड़ियों ने 10 फरवरी से पैंगोंग त्सो के दक्षिणी और उत्तरी तटों से सिंक्रोनाइज और ऑर्गनाइज वापसी शुरू कर दी है…..यह कदम चीन-भारत के बीच कमांडर स्तर की बातचीत में 9वें दौर की बैठक के दौरान दोनों पक्षों के बीच बनी सहमति के अनुसार उठाया गया है.’
गौरतलब है कि दिप्रिंट ने 25 जनवरी को खबर दी थी कि साढ़े 16 घंटे तक चली कोर कमांडर स्तर की मैराथन बैठक के बाद भारत और चीन ने ‘गतिरोध’ तोड़ने में कामयाबी हासिल कर ली है.
सूत्रों ने कहा कि भारत और चीन के बीच बनी सहमति के मुताबिक वापसी प्रक्रिया के लिए कई कदम उठाए जाने हैं, जिनमें से सबसे पहला बख्तरबंद टैंकों को पीछे करना है.
सूत्रों ने कहा कि आगे की प्रक्रिया की रूपरेखा तैयार करने के लिए स्थानीय कमांडरों के स्तर पर आगे बातचीत की गई.
दिप्रिंट ने नवंबर में यह भी बताया था कि भारत और चीन एक संभावित समाधान के करीब पहुंच रहे हैं, और दोनों पक्षों के बीच सैन्य वापसी संबंधी प्रस्ताव पर चर्चा चल रही है. प्रस्ताव के अनुसार, चीनी सैनिक पैंगोंग त्सो के उत्तरी तट पर फिंगर 4 क्षेत्र से हटके फिंगर 8 के पास चले जाएंगे, लेकिन यह क्षेत्र दोनों पक्षों के लिए नो-गो जोन बन जाएगा.
इस दौरान टैंक और बख्तरबंद कर्मियों के वाहनों आदि की वापसी के अलावा दक्षिणी सेक्टर में अग्रिम चौकियों पर पहुंचाए गए गोला-बारूद को हटाए जाने पर भी चर्चा की गई.
(इस ख़बर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)
यह भी पढ़ें: सेटेलाइट ने पूर्वी हिंद महासागर में चीनी सर्वेक्षण जहाज़ को समुद्र तल की मैपिंग करते हुए दिखाया है