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Sunday, 5 May, 2024
होमडिफेंसभारत-चीन 16 घंटे चली कमांडर स्तर की बैठक के बाद लद्दाख से ‘सैन्य वापसी प्रक्रिया बढ़ाने’ पर राजी

भारत-चीन 16 घंटे चली कमांडर स्तर की बैठक के बाद लद्दाख से ‘सैन्य वापसी प्रक्रिया बढ़ाने’ पर राजी

कोर कमांडर स्तर की बैठक के दौरान गोगरा, हॉट स्प्रिंग, देपसांग मैदान और देमचोक क्षेत्रों से सेनाओं की वापसी के मुद्दे पर चर्चा हुई.

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नई दिल्ली: भारत और चीन के बीच कोर कमांडर स्तर की 10वें दौर की बैठक 16 घंटे तक चली और दिप्रिंट को मिली जानकारी के मुताबिक इसमें लद्दाख, जहां पिछले साल अप्रैल से दोनों के बीच तनातनी चल रही है, से सैन्य वापसी को और बढ़ाने के व्यापक मानदंडों पर सहमति बनी है.

रक्षा और सुरक्षा प्रतिष्ठान से जुड़े सूत्रों ने दिप्रिंट को बताया कि चीन के इलाके में हुई ये बैठक, जो शनिवार सुबह 10 बजे शुरू हुई थी और देर रात करीब 2 बजे तक चली, काफी ‘रचनात्मक’ रही और दोनों पक्षों को सकारात्मक नतीजों की ‘उम्मीद’ है.

14वीं कोर कमांडर के लेफ्टिनेंट जनरल पी.जी.के. मेनन के नेतृत्व में भारतीय प्रतिनिधिमंडल ने चीनी अधिकारियों से कहा कि वास्तविक नियंत्रण रेखा पर अमन-चैन सुनिश्चित करने के लिए गोगरा, हॉट स्प्रिंग, देमचोक से सैन्य वापसी और देपसांग मैदानों में भारतीय गश्त में कोई अड़चन न डालना सबसे जरूरी है.

दोनों पक्षों ने कैलाश रेंज समेत उत्तरी और दक्षिणी तटों से बख्तरबंद, सशस्त्र टुकड़ियों और पैदल सैनिकों के लौटने के साथ पैंगोंग त्सो में पूरी हो चुकी सैन्य वापसी प्रक्रिया की भी समीक्षा की.

समझा जाता है कि दोनों पक्षों ने गोगरा और हॉट स्प्रिंग क्षेत्रों में सैन्य वापसी प्रक्रिया पर अमल के लिए आपसी सहमति की रूपरेखा तैयार कर ली, जहां भारत और चीन के बीच गतिरोध लगातार कायम रहा है.

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यद्यपि दोनों ने पिछले साल जुलाई में इन क्षेत्रों से सैन्य वापसी पर सहमति जताई थी, लेकिन चीनियों ने समझौते पर पूरी तरह से अमल नहीं किया.

सूत्रों ने कहा कि बैठक के दौरान देपसांग मैदान और देमचोक के मुद्दे पर भी चर्चा हुई और यह ‘रचनात्मक’ नतीजे का हिस्सा हैं.

हालांकि, उन्होंने इस बारे में कोई जानकारी नहीं दी कि इन दोनों क्षेत्रों के बारे में क्या सहमति बनी है.

जाहिर है कि दोनों पक्ष अब अपने-अपने उच्च अधिकारियों को इस पर जानकारी देंगे और आने वाले दिनों में कोर कमांडर  स्तर पर बैठक में बनी सहमति की बारीकियां तय करने के लिए स्थानीय कमांडर परस्पर चर्चा करेंगे.

देमचोक भी एक तनातनी वाला क्षेत्र

दिप्रिंट ने गत शनिवार को ही ये जानकारी दे दी थी कि तीन क्षेत्रों—देपसांग, गोगरा और हॉट स्प्रिंग—से सैन्य वापसी के बारे में चर्चा होने की पूर्व सूचना के विपरीत भारत ने देमचोका मुद्दा भी उठाया है.

सूत्रों ने दिप्रिंट को बताया कि देमचौक में कुछ तंबू गड़े होने के कारण थोड़ा बहुत अतिक्रमण बना हुआ है. लेकिन यह एक विवादग्रस्त इलाका है.

यहां कोई बड़ा उल्लंघन न होने पर जोर देते हुए एक सूत्र ने कहा, ‘यहां पहले भी कई मौकों पर ऐसा होता रहा है. लेकिन अप्रैल के बाद से चीनियों की आक्रामकता बढ़ गई है.’


यह भी पढ़ें: भारत-चीन के इन्फेंट्री सैनिक पैंगोंग त्सो के दक्षिण में कैलाश रेंज से पीछे हटने शुरू हुए


देपसांग पूर्व में भी तनातनी की वजह रहा

दिप्रिंट ने पिछले साल अगस्त में बताया था कि देपसांग के मैदानों में तनाव पहले भी कई मौकों पर नजर आ चुका है और यह 2013 में रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण दौलत ओल्डी बेग बेस के पास 18 किलोमीटर तक चीन के अतिक्रमण और 2017 में डोकलाम गतिरोध के दौरान भी टकराव की वजह बना था.

डेपसांग मैदान का मुद्दा चीन द्वारा भारतीय गश्ती दलों को पैट्रोल पॉइंट (पीपी) 10, 11, 11ए, 12 और 13 तक पहुंचने से रोके जाने से भी जुड़ा है.

भारतीय गश्ती दल को बॉटल नेक कहे जाने वाले क्षेत्र में गश्त के लिए पैदल की आगे जाना होता है क्योंकि उसके आगे वाहन नहीं जा सकते हैं.

करीब एक किलोमीटर से कम के इस क्षेत्र को पार करने के बाद ‘वाई’ जंक्शन आता है, जहां से एक रास्ता पीपी 10, 11, 11ए और 12 की ओर जाता है, और दूसरा सीधे पीपी 13 की तरफ जाता है.

यही वह जगह है जहां चीनी वाहनों पर आते हैं और भारतीय गश्ती दल को आगे बढ़ने से रोकते हैं, और 2017 के डोकलाम विवाद के बाद से इसमें ज्यादा आक्रामकता आई है.

इसी तरह, भारतीय भी चीनी गश्ती दल को बॉटल नेक क्षेत्र से आगे बढ़ने पर रोकते हैं. ऐसा इसलिए क्योंकि एलएसी के बारे में चीन की धारणा है कि यह बॉटल नेक क्षेत्र (एलएसी पर 18-20 किलोमीटर अंदर) से आगे है और बुत्से से मात्र 1.5 किलोमीटर दूर है, जहां 2015 में राष्ट्रपति शी जिनपिंग की भारत यात्रा के दौरान चीनी पहुंच गए थे.

(इस खबर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)

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