scorecardresearch
Sunday, 22 December, 2024
होमडिफेंसआत्मनिर्भर भारत को मजबूती देने के लिए सुरक्षा बलों को मिलेंगी भारत में बनी इजरायली असॉल्ट राइफल्स

आत्मनिर्भर भारत को मजबूती देने के लिए सुरक्षा बलों को मिलेंगी भारत में बनी इजरायली असॉल्ट राइफल्स

इन असॉल्ट राइफलों का इस्तेमाल करने वाले विशेष बल और अन्य इन्हें पूर्व इजरायली सरकार की कंपनी इजरायल वेपंस इंडस्ट्री से आयात करते थे जिसका 2005 में निजीकरण हो गया था.

Text Size:

नई दिल्ली: दिप्रिंट को मिली जानकारी के मुताबिक ‘आत्मनिर्भर भारत’ की पहल को बढ़ावा देने के लिए केंद्रीय बलों और विभिन्न राज्य पुलिस टीमों को अब भारत-निर्मित इजरायली टैवोर एक्स 95 राइफलों की आपूर्ति की जा रही है.

अब तक, इन असॉल्ट राइफलों का इस्तेमाल करने वाले विशेष बल और अन्य इन्हें पूर्व इजरायली सरकार की कंपनी इजरायल वेपंस इंडस्ट्री (आईडब्ल्यूआई) से आयात करते थे जिसका 2005 में निजीकरण हो गया था.

भारतीय सेना ने अंतिम प्रक्रिया जिसमें यूएई की फर्म कराकल को शॉर्टलिस्ट किया गया था, खत्म होने के बाद 93,895 कार्बाइन की फास्ट-ट्रैक खरीद (एफटीपी) के लिए एक नया अनुरोध पत्र (आरएफआई) जारी किया है.

सेना ने छोटे हथियारों का निर्माण करने वाली सभी प्रमुख विदेशी कंपनियों को आरएफआई जारी किया है, जिसमें कराकल, कोल्ट, सिग सॉर, बेरेट्टा और क्लाशनिकोव शामिल हैं. लेकिन इस बार एफटीपी में अहम बदलाव ये है कि आरएफआई अन्य कंपनियों के साथ जैसे ऑर्डिनेंस फैक्टरी बोर्ड, रिलायंस डिफेंस, एसएसएस डिफेंस, कल्याणी ग्रुप के भारत फोर्ज और अडानी-पीएलआर सिस्टम्स जैसी भारतीय फर्म को भी भेजा गया है.

रक्षा और सुरक्षा प्रतिष्ठान से जुड़े एक सूत्र ने कहा, ‘आमतौर पर ‘ग्लोबल खरीद’ की श्रेणी में आने वाली एफटीपी प्रक्रिया के तहत सेनाएं अपने लिए उपयुक्त किसी वैश्विक उत्पाद की खरीद करती हैं. लेकिन इस बार कार्बाइन के लिए भारतीय फर्म भी एफटीपी प्रक्रिया में भाग लेंगी.’

इस मोर्चे पर अडानी-पीएलआर सिस्टम के अग्रणी रहने की संभावना है, जो कि इजरायल गैलील ऐस 21 कार्बाइन का उत्पादन कर रही है जो अब भारत में निर्मित हो रही है.

सेना ने पूर्व में ऐस 21 कार्बाइन खरीदने का प्रयास (2013-14 में) किया था लेकिन सिंगल वेंडर की स्थिति के कारण सौदा नहीं हो सका क्योंकि भारतीय रक्षा खरीद नियमों के तहत इसकी अनुमति नहीं है.

हालांकि, आईडब्ल्यूआई ने एफटीपी (2017) में हिस्सा नहीं लिया था क्योंकि इसकी नजरें एक असॉल्ट राइफल सौदे (जिसे अमेरिकी फर्म ने हासिल किया) और लाइट मशीन गन (एलएमजी) के एक सौदे पर टिकी थीं जो कि इसने हासिल कर लिया था और सेना को इसकी आपूर्ति की प्रक्रिया में है.

सूत्रों ने कहा कि तीन लाख से अधिक कार्बाइन की खरीद के लिए एक बड़े टेंडर की प्रक्रिया भी चल रही है और इस साल के अंत में इसे जारी किया जा सकता है. यह एक ‘मेक इन इंडिया’. पहल होगी.

दिप्रिंट ने पिछले साल सितंबर में रिपोर्ट की थी कि कराकल सौदे को खत्म किया जा रहा है. दिसंबर में बताया गया कि यूएई की फर्म ने इन्हें भारत में निर्मित करने की पेशकश की है.


यह भी पढ़ें: OBC पैनल ने ताजा विज्ञापन पर मोदी सरकार से पूछा- ‘लेटरल एंट्री में आरक्षण क्यों नहीं?’


भारत निर्मित टैवोर

अडानी-पीएलआर सिस्टम 56×45 मिमी चैंबर वाली टैवोर एक्स 95 का भी निर्माण करता है जिसे विशेष बलों और अन्य इस्तेमाल करते हैं. ये राइफलें ‘मेड इन इंडिया’ मार्किंग के साथ आती हैं और हाल ही में आयोजित एयरो इंडिया 2021 के दौरान प्रदर्शित की गईं थी.

सूत्रों ने बताया कि अन्य राज्य पुलिस बलों के साथ सीआईएसएफ ने ये ‘मेड इन इंडिया’ राइफलें खरीदी हैं. उन्होंने यह भी बताया कि अडानी-पीएलआर सिस्टम ग्वालियर में भारत का पहला निजी बैरल विनिर्माण संयंत्र स्थापित करने की प्रक्रिया में है. इसके साथ ही राइफलों का स्वदेशी निर्माण लगभग 75 प्रतिशत पर पहुंच जाएगा.

ग्वालियर में लगने वाला संयंत्र इस साल के अंत तक काम करना शुरू कर देगा और उम्मीद है कि देश के बाहर से बैरल आयात करने के बजाये अन्य भारतीय निजी स्माल आर्म प्लेयर इसका ही उपयोग करेंगे.

(इस खबर को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


यह भी पढ़ें: CAA पर शाह की उलझन, राम बनाम दुर्गा और दिनेश त्रिवेदी- हर दिन बंगाल की सियासत मोड़ ले रही है


 

share & View comments