नई दिल्ली: भारतीय वायुसेना (IAF) ने छह मिड-एयर रिफ्यूलिंग एयरक्राफ्ट के लिए टेंडर जारी किया है. ये सभी पैसेंजर जेट से बदले हुए विमान होंगे. इज़राइल एयरोस्पेस इंडस्ट्रीज (IAI) और उसकी भारतीय पार्टनर हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) शुरुआती दावेदारों के रूप में उभरकर सामने आए हैं. यह जानकारी दिप्रिंट को मिली है.
रक्षा और सुरक्षा प्रतिष्ठान के सूत्रों ने बताया कि रिक्वेस्ट फॉर प्रपोज़ल (RFP) पिछले महीने कई कंपनियों को भेजा गया था, जिनमें वे मूल उपकरण निर्माता (OEM) भी शामिल हैं, जिनके पास अपना विशेष टैंकर उत्पादन होता है.
वायुसेना की कुल जरूरत लगभग 12 रिफ्यूलर्स की है. खरीद को दो कार्यक्रमों में बांटा जा सकता है.
पिछले महीने जारी हुआ मौजूदा RFP छह कन्वर्टेड रिफ्यूलर्स को कवर करता है, जिनमें एक कमर्शियल पैसेंजर विमान को टैंकर में बदला जाएगा. नए रिफ्यूलर्स के लिए एक अलग RFP बाद में जारी होने की उम्मीद है.
RFP में 30 प्रतिशत मेक इन इंडिया क्लॉज शामिल है. इंडस्ट्री सूत्रों ने बताया कि कम ऑर्डर संख्या की वजह से यह शर्त OEMs को हतोत्साहित कर सकती है.
भारत के पास अभी छह रूसी इल्यूशिन-78 टैंकर हैं, जिन्हें 2003 में शामिल किया गया था. लेकिन इन्हें मेंटेनेंस और सर्विस से जुड़ी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है.
भारत को पिछले महीने पहली बार लीज पर लिया गया बोइंग KC-135 स्ट्रैटो टैंकर मिला है. यह पूरी तरह वेट लीज है. जैसा कि दिप्रिंट ने बताया था, इस विमान को अमेरिकी फर्म मैट्रिया मैनेजमेंट के पायलट और क्रू उड़ाएंगे, संचालित करेंगे और मेंटेन करेंगे.
अप्रैल 2022 में HAL और IAI ने भारत में सिविल (पैसेंजर) विमानों को मल्टी-मिशन टैंकर ट्रांसपोर्ट (MMTT) विमान में बदलने के लिए एक समझौता किया था.
समझौते के तहत HAL सिविल एयरक्राफ्ट को मिड-एयर रिफ्यूलिंग, कार्गो और ट्रांसपोर्ट क्षमताओं वाले विमान में बदलेगा.
जिस विमान को बदला जाएगा, वह बोइंग 767 पैसेंजर एयरक्राफ्ट है. यही विमान इटली और जापान की सेनाओं में भी इस्तेमाल होता है.
बोइंग का एक विशेष टैंकर भी है, KC-46 पेगासस, जो बोइंग 767 का ही एक संस्करण है. पैसेंजर विमान को कार्गो और टैंकर में बदलना IAI के लिए एक मुनाफ़ेदार कारोबार रहा है. IAI इस क्षेत्र का एक प्रमुख खिलाड़ी बन चुका है.
मिड-एयर रिफ्यूलिंग भारतीय वायुसेना के लिए एक अहम क्षमता का अभाव रहा है. इस तकनीक से फाइटर जेट बिना लैंड किए अधिक दूरी तय कर सकता है और बीच हवा में ईंधन भरवा सकता है.
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