नई दिल्ली: दिप्रिंट को पता चला है कि मानव रहित विमानों (यूएवीज़) के आधुनिक युद्ध का एक अहम हिस्सा बनने के साथ ही, भारतीय वायु सेना स्वर्म ड्रोन कॉन्ट्रेक्ट्स के लिए IAF 5 स्टार्ट-अप्स को, प्रस्ताव के लिए अनुरोध (आरएफपी) जारी करने जा रही है, जो दंडात्मक कार्रवाई करने और भार वहन करने, दोनों में सक्षम होते हैं.
रक्षा और सुरक्षा प्रतिष्ठान के सूत्रों के अनुसार, ये आरएफपी स्वर्म ड्रोन्स के दो सेट्स के लिए जारी किए जाएंगे, जिनकी लागत क़रीब 100 करोड़ रुपए होगी, और जिसके लिए कंपनियों को काफी हद तक, ‘हाथ पकड़ कर’ चलाया जाएगा.
इसका मतलब है कि चुनी हुई कंपनी या कंपनियों को, कुछ चुनिंदा बेस रिपेयर डिपो से सहायता दी जाएगी, जिनके पास तकनीकी विशेषज्ञता है, और जो वायुसेना के विमानों तथा दूसरे उपकरणों की बड़ी मरम्मतें और ओवरहॉल करते हैं. उन्हें रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (डीआरडीओ) से ख़रीदे हुए अस्त्र-शस्त्र भी दिए जाएंगे.
पांच कंपनियां जो इस मैदान में होंगी- न्यूस्पेस रिसर्च एंड टेक्नॉलजीज़, वेदा डिफेंस सिस्टम्स प्रा. लि, राफे एम्फिबिर प्रा.लि, दक्षा अनमैन्ड सिस्टम्स प्रा. लि, और फ्लेयर अनमैन्ड सिस्टम्स प्रा. लि.- वो वायुसेना की मेहर बाबा स्वर्म ड्रोन प्रतियोगिता में भी शीर्ष प्रतिभागी थीं, जो 2018 में शुरू हुई थी.
ये प्रतियोगिता प्रसिद्ध एयर कमोडोर मेहर सिंह के नाम पर रखी गई है, जिन्हें आईएएफ में उनके साथी और प्रशंसक, ‘बाबा’ मेहर सिंह कहकर पुकारते थे. प्रतियोगिता में प्रतिभागियों ने 50 ड्रोन्स का एक झुंड बनाने के लिए मुक़ाबला किया था, और ये दो साल तक चली थी.
शीर्ष पांच में से दो प्रतिभागियों को हाल ही में, स्वर्म ड्रोन्स बनाने के लिए सेना से भी कॉन्ट्रेक्ट मिला है.
सूत्रों ने बताया कि कंपनियों को आईएएफ से हर संभव सहायता दी जाएगी, ताकि ज़्यादा जटिल सिस्टम्स तैयार किए जा सकें, और स्वर्म ड्रोन्स की क्षमताओं को उनके मौजूदा स्तर से, कहीं ज़्यादा ऊंचा ले जाया जा सके.
एक सूत्र ने कहा, ‘स्वर्म ड्रोन्स संख्या में काम करते हैं. ये जितने अधिक हों उतना बेहतर होता है. बड़े झुंडों को भी कई छोटे झुंडों में बांटा जा सकता है, जिनमें हर कोई एक विशेष लक्ष्य के लिए लैस होता है. ड्रोन्स की संभावनाओं की दुनिया ऐसी है, जिसे अभी समझा ही जा रहा है.
य़ह भी पढ़ें: भारतीय अर्थव्यवस्था का भविष्य मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर की बजाय सेवा क्षेत्र पर निर्भर करेगा
भारत का स्वर्म ड्रोन उद्योग
भारत में स्वर्म ड्रोन्स की उत्पत्ति की व्याख्या करते हुए, सूत्रों ने कहा कि 2018 में जब वायुसेना ने बाबा मेहर सिंह स्वर्म ड्रोन प्रतियोगिता शुरू की, तो उन्हें देशभर से 154 आवेदन प्राप्त हुए थे.
उनमें से 54 को पहले राउण्ड में चुना गया, और 20 का चुनाव दूसरे चरण में किया गया.
सूत्रों ने बताया कि चुने गए 20 प्रतियोगियों को 10 किमी. रेंज के 10 ड्रोन्स के प्रदर्शन, और पोकरण में 10 मेडिकल ड्रॉप्स के लिए कहा गया, और इसके लिए उनमें हर किसी को वायुसेना की ओर से 25-25 लाख रुपए दिए गए.
उनमें से शीर्ष पांच को ये काम दिया गया, कि 50 किमी. रेंज के साथ 20 ड्रोन्स और 20 मेडिकल या आपात सहायता ड्रॉप्स का प्रदर्शन करें,जो जीपीएस से वंचित, दुष्ट ड्रोन और ड्रोन विरोधी जाम के माहौल में होना चाहिए.
प्रतियोगिता में हिस्सा लेने वाली सभी पांच शीर्ष कंपनियां स्टार्ट-अप्स थीं, और उन्होंने शीर्ष रक्षा कंपनियों को हराया था.
सूत्रों ने बताया कि आईएएफ ने अंतत: फाइनल राउंड में हर प्रतियोगी को 2.5-2.5 करोड़ रुपए दिए, और ये सारी प्रक्रिया दो साल तक चली.
उन्होंने ये भी बताया कि प्रतियोगिता की कामयाबी को देखते हुए, संभावित साझा ख़रीद के लिए एक योजना बनाई गई. लेकिन वो योजना आगे नहीं बढ़ पाई, क्योंकि हर सेवा की ज़रूरतें अलग थीं.
दिसंबर 2020 में, आईएएफ ने अपनी स्वर्म ड्रोन क्षमता की तस्वीरें जारी कीं थीं, और कहा था कि उनकी ख़रीद की प्रक्रिया चल रही है.
(इस खबर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)
यह भी पढ़ें: आत्मनिर्भर भारत को मजबूती देने के लिए सुरक्षा बलों को मिलेंगी भारत में बनी इजरायली असॉल्ट राइफल्स