नई दिल्ली: शीर्ष सैन्य अधिकारियों ने दिप्रिंट को बताया है, कि सेना को दो साल पहले सैन्य पुलिस कोर (मिलिट्री पुलिस) में शुरू की गई, महिला भर्ती की पहल की इतनी जबर्दस्त प्रतिक्रिया मिली है, कि उम्मीदवारों की संक्षिप्त सूची बनाने में, 10वीं क्लास के अंकों की 80 प्रतिशत से ऊंची कट-ऑफ रखनी पड़ी थी.
2019 में, जब सेना ने पहली बार सैन्य पुलिस कोर में, 100 पदों के लिए आवेदन आमंत्रित किए, तो सेकंडरी परीक्षा में कम से कम कुल 45 प्रतिशत, और सभी विषयों में अलग अलग, कम से कम 33 प्रतिशत अंक का पात्रता मापदंड रखा गया था. लेकिन, केवल 100 रिक्त पदों के लिए 1.5 लाख आवेदन मिलने के बाद, 2019 में उम्मीदवारों की संक्षिप्त सूची बनाने के लिए, कट-ऑफ 86 प्रतिशत पर पहुंच गई.
अगले वर्ष 2020 में, उम्मीदवारों की संक्षिप्त सूची के लिए, कट-ऑफ 84 प्रतिशत थी, हालांकि पात्रता मापदंड 45 प्रतिशत ही था.
दोनों वर्षों में, आवेदन आमंत्रित करने वाले नोटिस में उल्लेख किया गया था, कि उम्मीदवारों के पंजीकरण का काम पूरा होने के बाद, एक कट-ऑफ लिस्ट तैयार की जाएगी, और रिक्त पदों के अनुपात में, एक सीमित संख्या में ही, उम्मीदवारों को लिखित परीक्षा के लिए एडमिट कार्ड्स जारी किए जाएंगे. उसके बाद एक मेडिकल जांच कराई जाएगी.
इसकी पुष्टि करते हुए, एक वरिष्ठ सेना अधिकारी ने दिप्रिंट को बताया: ‘मांग बहुत थी. इसलिए पिछले दो वर्षों में, उम्मीदवारों को शॉर्टलिस्ट करने के लिए, कट-ऑफ प्रतिशत 86 और 84 निर्धारित करनी पड़ी थी’.
2019 और 2020 दोनों वर्षों में, भर्ती के नोटिस को ज़बर्दस्त प्रतिक्रिया मिली थी. सेना के सूत्रों के अनुसार, 2019 और 2020 दोनों वर्षों में, 100 विज्ञापित पदों के लिए, क़रीब 1.6 लाख महिलाओं ने पंजीकरण कराया था.
नौकरी की भारी मांग पर बात करते हुए, एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने कहा, कि इसका कारण बहुत से लोगों का, आमतौर पर सैन्य नौकरियों के प्रति आकर्षण हो सकता है- जो न सिर्फ ऐसी नौकरियों से जुड़े रोमांच और साहस की वजह से होता है, बल्कि सरकारी नौकरी को सुरक्षा, तथा अन्य फायदों से भी जोड़कर देखा जाता है.
अधिकारी ने कहा, ‘मौजूदा हालात में इसकी अहमियत और बढ़ जाती है, जब निजी नौकरियों का बाज़ार बहुत अच्छी स्थिति में नहीं है, और बेरोज़गारी का स्तर ऊंचा बना हुआ है’.
2019 में जब महिलाओं के लिए भर्तियां खोली गईं, तो ये सोचा गया था कि यूनिट के लिए, हर वर्ष 100 महिलाएं भर्ती की जाएंगी, जिससे 17 साल पूरे होने पर सैन्य पुलिस कोर में, महिलाओं की संख्या 1,700 पहुंच जाएगी. ये कोर की कुल संख्या का 20 प्रतिशत होगी. नौ साल पूरा होने के बाद, इसकी मध्यावधि समीक्षा की जाएगी.
इस पहल का उद्देश्य महिलाओं को, ज़्यादा सक्रिय सैन्य ज़िम्मेदारियां देना था.
डॉ (मेजर जनरल) रश्मि गुप्ता (रिटा.) ने दिप्रिंट से कहा, कि महिलाओं के हर साल इतनी भारी संख्या में, थल सेना की सैन्य पुलिस में शामिल होने की इच्छा से ज़ाहिर होता है, कि वो सशस्त्र बलों में कहावती सीमाओं को लांघना चाहती हैं.
सेना ने पिछले साल महिला दलों के तीसरे बैच के लिए, ऑनलाइन आवेदन आमंत्रित किए थे. जैसा कि पिछली दो बार हुआ था, आवेदकों के लिए पात्रता की सूची में, साढ़े 17 वर्ष से 21 वर्ष के बीच आयु, और हायर सेकंडरी में कुल 45 प्रतिशत स्कोर, तथा अलग अलग विषयों में 33 प्रतिशत स्कोर मांगे गए थे.
आवेदन भेजने की अंतिम तिथि 20 जुलाई है.
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अभी तक की प्रगति
पुरुष सैनिकों के लिए, आवेदन की बेसिक योग्यता हायर सेकंडरी में कुल 45 प्रतिशत स्कोर है. इसके बाद, शारीरिक क्षमता की जांच के आधार पर, सूची को संक्षिप्त करने का पहला राउंड होता है, जिसके बाद मेडिकल जांच और लिखित परीक्षा होती है.
पुरुष सैनिकों के लिए रिक्तियों की संख्या भी कहीं अधिक होती है, चूंकि उनकी भर्ती सिर्फ पुलिस कोर नहीं, बल्कि सेना के दूसरे बहुत से अंगों में भी होती है. सैन्य पुलिस में महिलाओं की भर्ती के विपरीत, जहां रिक्तियां सीमित होती हैं, और भर्ती अखिल भारतीय आधार पर होती है, पुरुषों की भर्ती क्षेत्र-वार होती है.
पहले बैच की 100 महिला रंगरूटों ने, कामयाबी के साथ 62 हफ्ते की अपनी बेसिक और प्रोवोस्ट ट्रेनिंग पूरी कर ली थी, जो जनवरी 2020 में बेंगलुरू के, कोर ऑफ मिलिटरी पुलिस सेंटर एंड स्कूल में शुरू हुई थी. उनमें से क़रीब 40 प्रतिशत, अब जम्मू-कश्मीर और उत्तरपूर्व की अलग अलग इकाइयों में, लांस नायक की रैंक पर तैनात कर दी गईं हैं.
अपने बेसिक सैन्य प्रशिक्षण के साथ साथ, सभी महिलाओं को ड्राइव करना भी सिखाया गया है.
महिला सैन्य पुलिस कर्मियों के दूसरे बैच की सूची को भी, संक्षिप्त करने का काम पूरा किया जा चुका है, लेकिन मौजूदा कोविड-19 प्रतिबंधों के चलते, उनकी भर्ती प्रक्रिया अभी पूरी नहीं की जा सकी है.
सेना के सूत्रों ने बताया कि उनकी ट्रेनिंग, इस साल की अंतिम तिमाही में शुरू हो सकती है.
भविष्य में महिला सैन्य पुलिस कर्मियों की भूमिका जवाबी कार्रवाई में भी होगी, और इसके अलावा उनकी औपचारिक भूमिकाएं, और पुलिस की ज़िम्मेदारी भी होगी, जैसे भीड़ नियंत्रण और महिलाओं तथा बच्चों से जुड़े अपराधों की जांच वग़ैरह.
डॉ (मेजर जनरल) रश्मि गुप्ता (रिटा.) ने दिप्रिंट से कहा, कि हालांकि रक्षा बलों में महिलाओं के लिए अभी भी सीमाएं हैं, लेकिन सैन्य पुलिस कोर के पदों के लिए, इतनी बड़ी संख्या में आवेदन दर्शाते हैं, कि महिलाएं उन सीमाओं को लांघना चाहती हैं.
उन्होंने कहा, ‘महिलाओं को ज़रूरी सैन्य प्रशिक्षण दिया जा रहा है, और मुझे उम्मीद है कि इससे सेना के दूसरे अंगों की भी आंखें खुलेंगी, और वो भी महिलाओं की करने भर्ती की ओर प्रोत्साहित होंगे’.
उन्होंने कहा कि यहां भर्ती होने वाली महिला रंगरूट, पुरुषों को भी दिखाएंगी कि पीछे उनकी बेटियां क्या करने में सक्षम हैं. उन्होंने आगे कहा कि इससे देश में महिला सशक्तीकरण को भी बढ़ावा मिलेगा.
उन्होंने कहा, ‘लेकिन, इन महिलाओं के सामने भी बहुत ज़िम्मेदारियां हैं. उन्हें पेशेवर सैनिकों की तरह व्यवहार करना है, ताकि ज़्यादा से ज़्यादा महिलाएं, बलों में शामिल होने के लिए प्रोत्साहित हो सकें’.
पिछले साल, दिप्रिंट ने सबसे पहले ख़बर दी थी, कि सेना एक अध्ययन करा रही थी, जिससे सेना में अधिकारियों से इतर, दूसरे पदों पर महिलाओं की भर्ती की संभावनाओं का पता लगाया जा सके, और उन संभावित शाखाओं का पता लगाया जाए, जहां ये शामिल की जा सकती हों.
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