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Thursday, 24 July, 2025
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ऑपरेशन सिंदूर के दौरान पाकिस्तान ने चीन से सीखी हुई नाटो जैसी हवाई रणनीति अपनाई

कहा जा रहा है कि चीन ने पिछले कुछ सालों में नाटो देशों के रिटायर्ड फाइटर पायलटों और एयर फोर्स ऑपरेटर्स को काम पर रखा है ताकि वे अपनी ऑपरेशनल और उड़ान क्षमता को बेहतर बना सकें.

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नई दिल्ली: भारत के ऑपरेशन सिंदूर के दौरान, खासकर 7 मई को, पाकिस्तान ने शायद नाटो की हवाई रणनीति का इस्तेमाल किया जो उसने चीन से सीखी है. चीन ने ये रणनीति उन पश्चिमी देशों के पूर्व वायुसेना पायलटों और ऑपरेटरों से सीखी है जिन्हें बीते कुछ वर्षों में गुपचुप तरीके से हायर किया गया.

इस संभावना ने भारत और पश्चिमी दुनिया दोनों में कई स्तरों पर चिंता बढ़ा दी है, दिप्रिंट को जानकारी मिली है.

सूत्रों के मुताबिक, नाटो देश जो कई हवाई युद्ध रणनीति अपनाते हैं, उनमें से एक है “लॉन्च-एंड-लीव.” इसमें एक विमान मिसाइल दागता है, और दूसरा विमान उसे लक्ष्य तक पहुंचाने में मदद करता है.

इस तकनीक में मिसाइल दागने वाला विमान शांत (कोल्ड) रहता है और तभी सक्रिय (हॉट) होता है जब उसे फायर करना होता है.

सूत्रों ने बताया कि मिसाइल दागने के बाद विमान दुश्मन के हमले से बचने के लिए वहां से हट जाता है. इसके बाद मिसाइल को एक दूसरा विमान नियंत्रित करता है, जिसके पास ज्यादा उन्नत रडार या लक्ष्य प्रणाली होती है. दूसरा विमान ही मिसाइल को लक्ष्य तक पहुंचाने का काम करता है. इस तकनीक से दूर स्थित दुश्मन या भारी हवाई सुरक्षा वाले क्षेत्र में हमला करना संभव होता है.

सूत्रों ने बताया कि चीन ने इस तकनीक को विकसित किया और अपने हथियार प्रणाली भी इसी के अनुसार डिजाइन किए. ऐसा माना जाता है कि पाकिस्तान जिन चीनी जे-10 विमानों का इस्तेमाल करता है और स्वीडिश साब 2000 एरीआई (एक एयरबोर्न अर्ली वार्निंग एंड कंट्रोल विमान) भी इस तरह के ऑपरेशन करने में सक्षम हैं.

उन्होंने बताया कि चीन ने पाकिस्तान को यह तकनीक सिखाई है. जब पूछा गया कि चीन ने नाटो की रणनीति कैसे सीखी, तो सूत्रों ने बताया कि चीन ने चुपचाप विदेशी पायलटों और ऑपरेटरों को हायर किया, खासतौर पर फाइव आइज़ देशों — ऑस्ट्रेलिया, कनाडा, न्यूज़ीलैंड, यूके और अमेरिका — से.

2022 में ही ब्रिटेन के रक्षा मंत्रालय ने कहा था कि पूर्व ब्रिटिश सैन्य पायलटों को चीन बड़ी रकम देकर अपनी सेना को प्रशिक्षण देने के लिए लुभा रहा है. माना जाता है कि करीब 30 पूर्व ब्रिटिश सैन्य पायलट चीन की पीपल्स लिबरेशन आर्मी (PLA) को ट्रेनिंग देने गए थे.

2023 में डेर स्पीगेल में प्रकाशित एक रिपोर्ट के मुताबिक, बीते एक दशक में कई पूर्व जर्मन लुफ्टवाफे पायलटों ने PLA एयरफोर्स के पायलटों को ट्रेनिंग दी है. रिपोर्ट में अनाम जर्मन सुरक्षा अधिकारियों के हवाले से कहा गया था कि “यह बहुत संभव है कि इन पायलटों ने सैन्य रणनीति और गोपनीय ऑपरेशनल तकनीक साझा की हों और यहां तक कि हमले के परिदृश्य भी अभ्यास में लिए हों, जैसे कि ताइवान पर हमला.”

2024 में अमेरिका और उसके खुफिया साझेदारों ने चेताया था कि चीन वर्तमान और पूर्व पश्चिमी सैन्य पायलटों और अन्य सेवा सदस्यों को हायर करने की कोशिश कर रहा है ताकि वह अपनी हवाई ताकत को मजबूत कर सके और पश्चिमी हवाई रणनीति की समझ हासिल कर सके.

“चीन की पीपल्स लिबरेशन आर्मी (PLA) लगातार नाटो देशों और अन्य पश्चिमी देशों के वर्तमान और पूर्व सैन्य कर्मियों को हायर करने की कोशिश कर रही है ताकि PLA की क्षमताएं मजबूत हो सकें,” अमेरिका और उसके फाइव आइज़ साझेदारों द्वारा जारी एक संयुक्त बुलेटिन में कहा गया था. इसमें जोड़ा गया कि PLA दक्षिण अफ्रीका और चीन में स्थित निजी कंपनियों के जरिये कनाडा, फ्रांस, जर्मनी, यूके, ऑस्ट्रेलिया, अमेरिका और अन्य पश्चिमी देशों के पूर्व फाइटर पायलटों को PLA एयरफोर्स और नेवी एविएटर्स को ट्रेनिंग देने के लिए हायर कर रही है.

सुरक्षा चेतावनी में कहा गया, “PLA इन लोगों की विशेषज्ञता का उपयोग अपने हवाई ऑपरेशन को ज्यादा सक्षम बनाने और पश्चिमी रणनीति की गहराई से समझ हासिल करने के लिए कर रही है. पश्चिमी सैन्य टैलेंट से मिली यह जानकारी PLA को भविष्य की सैन्य योजना बनाने, पश्चिमी रणनीति को टक्कर देने और ऑपरेशन को बेहतर बनाने में मदद कर रही है.”

इसमें यह भी कहा गया कि पश्चिमी सैन्य विशेषज्ञों की भर्ती PLA को भविष्य के संघर्षों के लिए बेहतर योजना बनाने में मदद करती है और यह अमेरिका, उसके साझेदारों और उनके सैन्यकर्मियों की सुरक्षा के लिए खतरा बन सकती है.

बुलेटिन में कहा गया, “अब तक PLA के सबसे प्रमुख लक्ष्य रहे हैं सैन्य पायलट, फ्लाइट इंजीनियर और एयर ऑपरेशन सेंटर के कर्मचारी. चीन ने उन तकनीकी विशेषज्ञों को भी निशाना बनाया है जिनके पास पश्चिमी सैन्य रणनीति की जानकारी है. जो पश्चिमी लोग PLA को ट्रेनिंग देते हैं, वे संघर्ष की स्थिति में हमारे सैन्य बलों के लिए खतरा बढ़ा सकते हैं और हमारे डिटरेंस को कमजोर कर सकते हैं.”

(इस रिपोर्ट को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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