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बुधवार, 11 जून, 2025
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रक्षा मंत्रालय रायसीना डायलॉग की तर्ज पर ‘रण संवाद’ सम्मेलन करेगा, अगस्त में आयोजित होने की संभावना

ऐसा माना जा रहा है कि इसका संचालन प्रत्येक सेवा - सेना, नौसेना और भारतीय वायुसेना - द्वारा बारी-बारी से किया जाएगा, तथा इसमें तीनों सेनाओं के थिंक टैंक सेंटर फॉर ज्वाइंट वारफेयर स्टडीज का भी सहयोग लिया जाएगा.

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नई दिल्ली: रक्षा मंत्रालय ‘रायसीना डायलॉग’ और ‘शांग्री-ला डायलॉग’ की तर्ज पर केवल सैन्य मामलों और युद्ध रणनीति पर केंद्रित अपना खुद का सेमिनार या वैश्विक कार्यक्रम शुरू करने की योजना बना रहा है.

रक्षा सूत्रों ने बताया कि इस पहल को ‘रण संवाद’ कहा जाएगा और अगले 3 वर्षों में इसे ऊपर बताए गए दोनों कार्यक्रमों के बराबर या उससे बेहतर बनाने की योजना है.।

सूत्रों ने बताया कि यह कार्यक्रम हर बार किसी एक सेवा—सेना, नौसेना और वायुसेना—के द्वारा बारी-बारी से आयोजित किया जाएगा, जबकि तीनों सेनाओं का साझा थिंक टैंक ‘सेंटर फॉर जॉइंट वॉरफेयर स्टडीज (CENJOWS)’ इसका स्थायी हिस्सा रहेगा.

पहला संवाद सेना द्वारा मध्य प्रदेश के महू में 26 से 27 अगस्त को आयोजित किया जाएगा. सूत्रों के अनुसार, पहला संस्करण छोटे स्तर पर होगा, लेकिन इसमें भारत में तैनात सभी रक्षा अधिकारियों (डिफेंस अटैशे) को आमंत्रित किया जाएगा.

यह संवाद मुख्य रूप से युद्ध से संबंधित मामलों पर केंद्रित होगा और अगले 2 वर्षों में इसमें अमेरिकी रक्षा सचिव जैसे महत्वपूर्ण विदेशी गणमान्य लोगों को शामिल करने पर ध्यान दिया जाएगा.

सूत्रों ने कहा कि इसका उद्देश्य भारत को वैश्विक रक्षा संवादों का प्रमुख हिस्सा बनाना और ग्लोबल साउथ की आवाज के रूप में सहयोगी दृष्टिकोण को आगे बढ़ाना है.

रायसीना डायलॉग विदेश मंत्रालय द्वारा प्राइवेट थिंक टैंक ऑब्जर्वर रिसर्च फाउंडेशन (ORF) के साथ मिलकर आयोजित किया जाता है, जिसकी स्थापना धीरूभाई अंबानी के दान से हुई थी.

सूत्रों ने बताया कि रायसीना डायलॉग में भले ही रक्षा से जुड़ा एक हिस्सा हो, लेकिन यह पूरी तरह रक्षा केंद्रित नहीं है. इसकी शुरुआत 2016 में हुई थी और यह हर साल होता है.

शांग्री-ला डायलॉग, जो सिंगापुर में होता है, स्वतंत्र थिंक टैंक ‘इंटरनेशनल इंस्टीट्यूट फॉर स्ट्रैटजिक स्टडीज (IISS)’ द्वारा आयोजित किया जाता है.

IISS की स्थापना 1958 में लंदन में हुई थी। इसके पहले निदेशक रक्षा पत्रकार एलेस्टेयर बुचन थे और पहले अध्यक्ष ब्रिटेन के पूर्व लेबर प्रधानमंत्री क्लेमेंट एटली थे.

(इस रिपोर्ट को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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