नई दिल्ली: रक्षा मंत्रालय ने मेक इन इंडिया के जरिये एयरबस से सी-295 परिवहन विमान की खरीद के अलावा तेजस एमके 1-ए स्वदेशी लाइट कॉम्बैट हेलीकॉप्टर और इजरायल से अपग्रेडेड हेरॉन ड्रोन को उन प्रमुख सौदों की सूची में शामिल किया है जिन पर 2021 में हस्ताक्षर किए जाने हैं.
सी-295 और तेजस दोनों सौदे काफी समय से लंबित हैं. हालांकि, मंत्रालय ने अपनी वार्षिक रिपोर्ट में कहा कि निकट भविष्य में दोनों करार हो जाएंगे.
तेजस सौदे पर इसमें कहा गया है कि हिन्दुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (एचएएल) से उन्नत 83 एलसीए एमके 1-ए की खरीद का मामला सुरक्षा मामलों की कैबिनेट समिति (सीसीएस) की तरफ से अनुमोदन के अंतिम चरण में है और इस संबंध में करार पर ‘जल्द ही हस्ताक्षर होने की संभावना है.’
उम्मीद है कि अगले महीने इस पर हस्ताक्षर हो जाएंगे जब बेंगलुरु में भारत का एयर शो—एयरो इंडिया—का आयोजन होना है.
मंत्रालय ने अपनी रिपोर्ट में कहा है, ‘एयरबस से 56 सी-295 विमान खरीदने का मामला, जिसमें 40 विमान (कुल 56 में) का निर्माण भारतीय उत्पादन कंपनी को करना है, भी सीएफए की तरफ से अनुमोदन के स्तर पर है और करार पर निकट भविष्य में ही हस्ताक्षर होने की उम्मीद है.’
इसमें कहा गया है कि यह अपनी तरह का पहला करार है जिसमें निजी कंपनियों की भागीदारी की परिकल्पना की गई है और यह भारतीय रक्षा उद्योग को बढ़ावा देने वाला साबित होगा.
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एवरो 748 विमान की जगह लेगा सी-295
वायुसेना ने सी-295 को अपने परिवहन विमानों के पुराने बेड़े एवरो 748 की जगह लेने के लिए चुना है, जिसने पहली बार 1961 में उड़ान भरी थी. इसमें पहले 16 विमान स्पेन में एयरबस फैसिलिटी में बनाए जाने हैं, जबकि बाकी का निर्माण भारत में टाटा एडवांस्ड सिस्टम्स लिमिटेड द्वारा किया जाना है.
सी-295 एक मल्टीरोल ट्रांसपोर्ट एयरक्राफ्ट है जो अधिकतम 9.25 टन का पेलोड ले जा सकता है. चूंकि इसके डायमेंशन वायुसेना के परिवहन बेड़े के अन्य विमानों—सी 130जे, सी-17 और आईएल-76—की तुलना में छोटे हैं इसलिए सी-295 कई ऐसी हवाई पट्टियों पर भी उतर या उड़ान भर सकते हैं जहां बड़े विमान नहीं जा सकते.
इजरायली ड्रोन हेरॉन के उन्नत संस्करण और एचएएल से लाइट कॉम्बैट हेलीकॉप्टर की खरीद के बारे में मंत्रालय ने कहा कि इनकी ‘प्रक्रिया भी अंतिम चरण में ही है और 2021 की पहली तिमाही में अनुबंध पर हस्ताक्षर होने की संभावना है.’
एलएसी पर तनाव के बीच खरीद प्रक्रिया तेज
जैसा दिप्रिंट में प्रकाशित रिपोर्ट में बताया गया था कि योजना में ये बदलाव वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर जारी तनाव के बीच भारत के अपनी हथियार और निगरानी क्षमता बढ़ाने के लिए खरीदारी प्रक्रिया तेज करने के कारण आया है.
योजना के मुताबिक, हेरॉन को लेजर-निर्देशित बम, सटीक-निशाना साधने वाली युद्धक सामग्री और एंटी-टैंक मिसाइलों के साथ अपग्रेड किया गया होना चाहिए.
सेना ड्रोन को बेहतर निगरानी और टोही क्षमताओं से लैस करने की योजना भी बना रही है.
यह सब एक ऐसी योजना का हिस्सा है जिसे वास्तविक नियंत्रण रेखा पर जारी तनाव के कारण अचानक गति मिली है.
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