नई दिल्ली: भारत की तरफ से मिसाइल टेस्ट की तैयारियों के बीच चीन ने अपने युआन वांग-6 नामक एक जासूसी जहाज को हिंद महासागर में भेज दिया है, जो इस तरह के परीक्षणों को ट्रैक करने में सक्षम है.
मिसाइल 10-11 नवंबर के बीच ओडिशा के तटीय क्षेत्र में अब्दुल कलाम द्वीप से दागे जाने की संभावना है, जिसके लिए भारत पहले ही एक नोटम (नोटिस टू एयरमेन) जारी कर चुका है. माना जा रहा है कि भारत पनडुब्बी से दागी जा सकने वाली बैलेस्टिक मिसाइल के-4 का टेस्ट करने जा रहा है जिसे स्वदेशी परमाणु सक्षम बैलिस्टिक मिसाइल पनडुब्बियों (एसएसबीएन) को ध्यान में रखकर विकसित किया गया है.
लोकप्रिय ट्विटर हैंडल @detresfa_ संचालित करने वाले एक प्रमुख ओपन सोर्स इंटेलिजेंस एक्सपर्ट डेमियन साइमन का कहना है कि भारत की तरफ से जारी नोटम के मुताबिक, मिसाइल 2,200 किलोमीटर की दूरी तक उड़ान भर सकती है.
रक्षा प्रतिष्ठान से जुड़े सूत्रों ने कहा कि चीनी स्पाई शिप मिसाइल टेस्ट की ट्रैजेक्टरी, सटीकता, गति और रेंज को ट्रैक करने में सक्षम है.
डेमियन साइमन ने कहा कि युआन वांग-5 भारतीय मिसाइल टेस्ट के स्प्लैश जोन के पास तो होगा ही, इस खुफिया जहाज को ऐसे समय तैनात किया गया है जब 15 से 20 नवंबर के बीच बंगाल की खाड़ी के ऊपर उड़ान भरने वाले एक चीनी एयरोस्पेस मिशन का आयोजन होना है.
दुनिया भर में जहाजों की आवाजाही पर नजर रखने वाली वेबसाइट, मरीनट्रैफिक के मुताबिक, चीनी शिप यह रिपोर्ट दर्ज करने से छः घंटे पहले बाली के तट से रवाना हो रहा था.
चीनी पोत युआन वांग सीरीज का तीसरी पीढ़ी का ट्रैकिंग शिप है. यह 2008 में सेवा में शामिल हुआ था और चीन के 708वें रिसर्च इंस्टीट्यूट की तरफ से डिजाइन किया गया है.
माना जाता है कि युआन वांग पोतों को पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) की स्ट्रैटजिक सपोर्ट फोर्स संचालित करती है, हालांकि इसे सैन्य जहाजों के तौर पर वर्गीकृत नहीं किया गया है.
हालांकि, रक्षा सूत्रों ने बताया कि चीन की तरफ से उठाया गया कदम असामान्य नहीं है और जब भी कोई बड़ा नोटम जारी किया जाता है तो वह ऐसे जहाजों को तैनात करता है. सूत्रों ने यह भी कहा कि भारतीय नौसेना हिंद महासागर क्षेत्र में प्रवेश करने वाले सभी चीनी जहाजों पर गहन नजर रखती है. और साथ ही जोड़ा कि किसी भी जहाज को अंतरराष्ट्रीय जल क्षेत्र से गुजरने की अनुमति है.
अगस्त में चीन ने हिंद महासागर में युआन वांग-5 नामक एक और जहाज तैनात किया था. यह ईंधन भरने और आपूर्ति के रिप्लेसमेंट के लिए श्रीलंका के हंबनटोटा बंदरगाह में रुका था.
भारत और अमेरिका ने इस पर कड़ी आपत्ति जताई थी. कई विशेषज्ञों का भी तर्क था कि चीन ने मिसाइल और सेटेलाइट ट्रैकिंग में सक्षम जहाज युआन वांग-5 को हंबनटोटा बंदरगाह पर डॉक करके हिंद महासागर क्षेत्र में बदलते शक्ति संतुलन को एक बड़ा मुद्दा बना दिया है.
(इस खबर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)
यह भी पढ़ेंः 1962 वॉर, गलवान- क्यों चीन के दिए गए संकेतों को नजरअंदाज करना भारत के लिए पड़ सकता है भारी