नई दिल्ली: ये चेतावनी देते हुए, कि भारत से लगे मुल्कों और हिंद महासागर क्षेत्र (आईओआर) में, अपना प्रभाव क़ायम करने के लिए, ‘आक्रामक’ चीन अपना ज़ोर दिखाता रहेगा, चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल बिपिन रावत ने, मज़बूती के साथ संयुक्तता और थिएटर कमांड्स की वकालत की. जनरल रावत बृहस्पतिवार को शुरू हुई, संयुक्त कमांडर कांफ्रेंस को संबोधित कर रहे थे
कॉलेज ऑफ डिफेंस मैनेजमेंट (सीडीएम) सिकंदराबाद, की ओर से आयोजित वेबिनार को मुख़ातिब करते हुए, जन. रावत ने कहा कि 2020 में, भारत चीन के सामने डटकर खड़ा हुआ, और ‘उनके नापाक इरादे को नाकाम कर दिया’. इसके बाद जन. रावत गुजरात के केवड़िया में, एक कॉनफ्रेंस के लिए निकल गए, जिसे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी संबोधित करेंगे.
उन्होंने कहा, ‘साल 2020 बहुत दिलचस्प रहा है. दुनिया को कोरोना महामारी से जूझना पड़ा…लाखों जानें चली गईं…हम (भारत) भी उत्तरी सीमाओं पर अपने आक्रामक पड़ोसी के सामने तन कर खड़े हुए, और उसके नापाक इरादे को नाकाम कर दिया. किसी भी दूसरे समय के मुक़ाबले, सैन्य बदलाव हमारे लिए अब बेहद आवश्यक है’. उन्होंने आगे कहा कि भारतीय सशस्त्र बलों ने, ख़ुद को हालात के मुताबिक़ ढाल लिया है.
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‘चीन अपना ज़ोर दिखाता रहेगा’
इस बात पर बल देते हुए, कि दुनिया की किसी भी दूसरी सेना की अपेक्षा, भारतीय सेना के सामने ज़्यादा बड़ी चुनौतियां हैं, जन. रावत ने कहा कि रक्षा प्रतिष्ठान को ग़ौर करना चाहिए, कि उन्हें किस चीज़ के लिए तैयारी करनी है.
उन्होंने कहा, ‘जिन ख़तरों से हमारी सेना को संगठित रहना चाहिए, वो बुनियादी तौर पर चीन और पाकिस्तान से हैं. भविष्य में, भारत से लगे मुल्कों और आईओआर में, अपना सिक्का जमाने के लिए, चीन अपना ज़ोर दिखाता रहेगा’.
सीडीएस ने कहा कि ऐसे नए यंत्र, तकनीक और युद्ध कौशल विकसित हो गए हैं, जिनका इस्तेमाल करके सामाजिक एकता को कमज़ोर किया जा सकता है, और जिनसे तेज़ी के साथ दर्शकों से जुड़ा जा सकता, जो पहले कभी मुमकिन नहीं था.
उन्होंने कहा, ‘सूचना वास्तव में अब ज़्यादा लोकतांत्रिक हो गई है’.
उन्होंने कहा कि आज़ादी के बाद से भारतीय सेना, सीमित युद्ध क्षमताओं वाले एक छोटे से बल से बढ़कर, एक विशाल और आधुनिक लड़ाई मशीन में बदल गई है.
उन्होंने कहा, ‘पारंपरिक युद्धों, या परमाणु ताक़त के साए में सीमित लड़ाईयों के लिए, संगठनात्मक ढांचा पहले से मौजूद है, लेकिन ज़रूरत इस बात की है, कि उन्हें फिर से तैयार किया जाए, फिर से सज्जित किया जाए, ताकि डिजिटाइज़ हो गए युद्ध के मैदान में, वो संयुक्त लड़ाइयां लड़ सकें’.
जन. रावत ने कहा कि संख्या की बजाय, गुणवत्ता पर बल दिया जाना चाहिए.
उन्होंने कहा, ‘सशस्त्र बलों को कम के साथ ज़्यादा हासिल करते रहना होगा. इसके लिए बलों के मौजूदा ढांचों, सिद्धांतों, अवधारणाओं और टेक्नोलॉजी पर, फिर से नज़र डालनी होगी’.
उन्होंने आगे कहा, ‘कुछ क़दम जो हमें उठाने की ज़रूरत है उनमें- राष्ट्रीय सुरक्षा रणनीति, उच्च रक्षा रणनीतिक मार्गदर्शन, उच्च रक्षा और परिचालन संगठनों में ढांचागत सुधार शामिल हैं’.
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सर्विस कमांड्स
जन रावत ने ये भी कहा कि इस समय 17 सिंगल सर्विस कमांड्स हैं, और उनमें से कोई भी एक दूसरे के निकट नहीं है.
उन्होंने कहा कि तीनों सेवाएं, अपनी रणनीतिक और परिचालन भूमिका को अलग-थलग होकर देखती हैं. उन्होंने ये भी कहा कि ऑपरेशंस के बीच कोई तालमेल नहीं है, यहां तक कि ख़रीद भी, ख़तरे की संयुक्त धारणा पर आधारित नहीं है.
‘काम करने का ऐसा संकीर्ण नज़रिया’ सशस्त्र बलों की तैनाती क्षमता पर असर डालता है, और इस कारण से थिएटर कमांड्स स्थापित करने पर, जितना बल दिया उतना कम है’.
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