चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल बिपिन रावत ने मंगलवार को कहा कि पूर्वी लद्दाख के गलवान और एलएसी में अन्य कई स्थानों पर झड़प के बाद चीन को अहसास हो गया है कि उसे बेहतर ट्रेनिंग और तैयारी की जरूरत है.
सीडीएस रावत ने कहा कि चीनी सेना के जवान थोड़े समय तक ही टिके रह सकते हैं और पर्वतीय इलाकों में लड़ने का उनके पास अनुभव नहीं है.
आगे उन्होंने कहा, ‘पिछले साल मई-जून में गलवान की झड़प के बाद बॉर्डर के पास चीन ने सेना की तैनाती अलग तरीके से की है.’ चीनी सेना को गलवान वैली में 15 जून को पिछले साल काफी नुकसान हुआ था.
जनरल रावत ने कहा कि भारत को चीन के सभी एक्टिविटीज़ पर नज़र रखनी पड़ी और भारत के सैनिक इस क्षेत्र में लड़ने के लिए काफी कुशल हैं.
उन्होंने कहा, ‘तिब्बत स्वायत्त क्षेत्र काफी दुर्गम है. यह पर्वतीय क्षेत्र है. यहां पर लड़ने के लिए आपको स्पेशल ट्रेनिंग की जरूरत है, जिसमें हमारे सैनिक काफी कुशल हैं क्योंकि उन्हें इसकी काफी ट्रेनिंग दी जाती है.’
जब उनसे पूछा गया कि क्या सेना की तैनाती की देखते हुए क्या यह माना जा सकता है कि उत्तरी सीमा भी पश्चिमी सीमा जितनी महत्त्वपूर्ण हो गई है तो उन्होंने कहा कि हमारे लिए दोनों फ्रंट महत्त्वपूर्ण हैं.
आगे उन्होंने कहा, ‘हमने सेना की तैनाती इस तरह से की है कि उत्तरी बॉर्डर पर तैनात टुकड़िया पश्चिमी बॉर्डर में काम आ सकती हैं और पश्चिमी बॉर्डर पर तैनात टुकड़ियां उत्तरी बॉर्डर पर काम आ सकती हैं.’ उन्होंने कहा कि ज्यादा तेज़ी को देखते हुए हमने उत्तरी बॉर्डर पर कुछ अतिरिक्त टुकड़ियां तैनात की हैं.
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