नई दिल्ली: सीमा नियंत्रण को लेकर अपनी बदलती फिलॉस्फी का संकेत देते हुए नरेंद्र मोदी सरकार चीन के साथ महत्वपूर्ण वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) के पास स्थित क्षेत्रों को धीरे-धीरे एडवेंचर स्पोर्ट्स और ट्रेकिंग के लिए खोल रही है. यह सीमा के पास मौजूदगी और अपने निशान स्थापित करने की एक बड़ी योजना का हिस्सा है.
सेना ने अभी हाल ही में एलएसी पर नागरिकों के साथ एडवेंचर स्पोर्ट्स गतिविधियों का समापन किया है, जबकि पहले ये क्षेत्र नागरिकों के लिए बंद थे. ये गतिविधियां अगस्त के अंत से नवंबर तक आयोजित की गईं, जिसमें अरुणाचल प्रदेश से सिक्किम तक के क्षेत्र शामिल थे.
सैन्य सूत्रों ने बताया कि पर्वतारोहण और व्हाइट-वाटर एक्पीडिशन से लेकर 700 किलोमीटर से अधिक की ट्रेकिंग तक स्थानीय क्षेत्रों के नागरिकों और समूहों ने तीन महीने तक चलने वाली इन गतिविधियों में हिस्सा लिया.
निश्चित तौर पर यह सीमावर्ती क्षेत्रों और खासकर एलएसी पर प्रबंधन को लेकर भारत के बदलते नजरिये को दर्शाता है. पहले नागरिकों के लिए ‘दुर्गम’ होने वाले ये इलाके अब धीरे-धीरे बाहरी दुनिया के लिए खुलते जा रहे हैं.
ये कदम ऐसे समय उठाए गए हैं जब सरकार पहले से ही बेहतर बुनियादी ढांचा उपलब्ध कराने के साथ एलएसी से लगते इलाकों में पलायन की गंभीर समस्या को दूर करने के उपायों पर ध्यान केंद्रित कर रही है, जैसा दिप्रिंट पहले ही बता चुका है.
सेना की उत्तरी कमान के पूर्व जनरल ऑफिसर कमांडिंग-इन-चीफ लेफ्टिनेंट जनरल दीपेंद्र सिंह हुड्डा (रिटायर्ड) ने दिप्रिंट को बताया, ‘आमतौर पर सुरक्षा चिंताओं के कारण हमने इन क्षेत्रों को नागरिकों और पर्यटकों के लिए कभी नहीं खोला. हालांकि, यह महत्वपूर्ण है कि अब हम वहां तक आने-जाने की सुविधा दे रहे हैं.’
एडवेंचर एक्टिविटीज की शुरुआत सरकार की तरफ से अरुणाचल और सिक्किम में एलएसी के नजदीक बुनियादी ढांचा मजबूत करने, 2019 में सियाचिन ग्लेशियर के कुछ हिस्सों को पर्यटकों के लिए खोलने के फैसले और लद्दाख, अरुणाचल प्रदेश, सिक्किम और नगालैंड आदि सीमावर्ती क्षेत्रों में पर्यटकों के लिए कैफे स्थापित करने की सीमा सड़क संगठन की योजना के बाद हुई है.
एक रक्षा विश्लेषक ने कहा, ‘कुल मिलाकर देखें तो तो यह बिना किसी झड़प आदि के सीमावर्ती क्षेत्रों में भारत का दावा मजबूत करने और वहां अपनी मौजूदगी दिखाने की बुद्धिमत्तापूर्ण रणनीति का हिस्सा लगता है.’
विश्लेषक ने कहा कि एक्सपीडिशन और एडवेंचर ट्रिप न केवल देश के भीतर इन स्थानों के बारे में ज्ञान बढ़ाती हैं, बल्कि क्रॉस-कल्चरल संपर्क भी बढ़ाती हैं और इन हिस्सों के भारत का अभिन्न अंग होने का पुख्ता सबूत देती हैं.
सूत्रों ने बताया कि चीनियों ने एलएसी के पास गांव बसाने शुरू कर दिए ताकि सीमावर्ती इलाके के अपने हिस्से या वर्षों से कब्जे वाले क्षेत्रों में नियंत्रण बनाया जा सके.
उन्होंने कहा कि चीनियों की पहली रणनीति एलएसी के भारतीय दावे वाले क्षेत्रों में अपनी उपस्थिति साबित करने के लिए चिप्स, जूस और यहां तक कि सिगरेट के पैकेट पीछे छोड़ना हुआ करती थी. पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) भी अपनी मौजूदगी दिखाने के लिए चट्टानों पर अपने झंडे पेंट कर दिया करती थी.
सूत्रों ने आगे कहा कि समय के साथ भारतीय सेना ने भी उसी तरह की रणनीति अपनानी शुरू कर दी और अपने गश्ती दलों की तस्वीरें और वीडियो लेने शुरू कर दिए, जो सीमा मुद्दे पर बैठकों के दौरान काफी काम भी आई.
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नया नहीं है इस तरह का अभियान
8 माउंटेन डिवीजन लद्दाख के पूर्व जीओसी और असम राइफल्स के डीजी रह चुके लेफ्टिनेंट जनरल शौकीन चौहान (रिटायर्ड) ने दिप्रिंट को बताया, ‘सीमावर्ती क्षेत्रों को पर्यटकों और नागरिकों के लिए सुलभ बनाना कोई नई नीति नहीं है, अब बेहतर बुनियादी ढांचे के कारण यह बड़े पैमाने पर हो रहा है.’
हुड्डा ने भी कहा कि यह कहना सही होगा कि इन गतिविधियों पर अब कुछ अतिरिक्त ध्यान दिया जा रहा है.
चौहान ने स्पष्ट किया कि सेना ने 2000 के दशक की शुरुआत में एलएसी के साथ कुछ क्षेत्रों के अलावा सियाचिन में नागरिकों के लिए ट्रेकिंग शुरू की थी. इसके पीछे सामान्य धारणा अपनी मौजूदगी के जरिये सीमाओं के दूरदराज के क्षेत्रों पर दावा जताना ही थी. खासकर यह देखते हुए कि ये इलाके साल के अधिकांश समय निर्जन रहते हैं. उन्होंने कहा, ‘यह भूमि भारत की है और हमें इस पर काबिज रहना चाहिए. इसे चीन को हथियाने देने का कोई सवाल ही नहीं उठता है.’
ये कदम ऐसे समय उठाए गए हैं जब चीन पहले से ही क्षेत्र पर अपना दावा जताने के लिए अरुणाचल प्रदेश से लगते एलएसी के पूर्वी हिस्से में गांव बसाने में जुटा है.
लेफ्टिनेंट जनरल हुड्डा ने कहा, ‘एलएसी के पास चीन के गांवों का निर्माण यह दर्शाता है कि क्षेत्र पर अपना दावा बरकरार रखने के लिए आपको भी इन सीमावर्ती क्षेत्रों में अपने नागरिकों को बनाए रखना जरूरी है.’
उन्होंने आगे कहा कि इसीलिए, भारत यहां पर्वतारोहण अभियान चला रहा है, पर्यटकों की आवाजाही बढ़ा रहा है, और चारागाहों को भी बनाए रखे है, ये सभी एलएसी पर नागरिक उपस्थिति के जरिये अपने दावे को मजबूत करने में मदद करते हैं.
एडवेंचर स्पोर्ट्स और रोजगार के अवसर
रणनीतिक उद्देश्यों से इतर, सेना की तरफ से आयोजित एडवेंचर एक्टिविटीज स्थानीय अर्थव्यवस्था, रोजगार और साहसिक पर्यटन क्षेत्र के लिए भी महत्वपूर्ण हैं.
सेना के एक सूत्र ने कहा, ‘इस अभियान ने एडवेंचर टूरिज्म सर्किट में सुगबुगाहट पैदा की है और नार्थ-ईस्ट में एडवेंचर टूरिज्म की क्षमताओं को लेकर जागरूकता भी बढ़ी है. साथ ही जोड़ा कि इसने इस क्षेत्र में एलएसी पर तीन महीनों के दौरान ‘नागरिक-सैन्य’ संबंधों के सकारात्मक पहलू को भी उजागर किया.
एडवेंचर टूरिज्म पर ध्यान देने से इन क्षेत्रों में रोजगार के अवसर बढ़ने के साथ अर्थव्यवस्था में भी सुधार लाया जा सकता है, जिससे सीमावर्ती क्षेत्रों में बसे समुदायों के लिए विकास का एक स्थायी मॉडल उपलब्ध हो सकता है.
सूत्रों ने आगे कहा कि राज्यों और सेना के बीच सक्रिय भागीदारी और सहयोग और इस पहल में दिखी समावेशिता, जिसमें पुरुषों और महिलाओं दोनों की भागीदारी रही, में स्थानीय प्रतिभाओं के साथ-साथ तमाम जगहों के उत्साही लोगों ने भाग लिया. और यह बदलते समय और नार्थ-ईस्ट के उज्ज्वल भविष्य का संकेत है.
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(अनुवाद: रावी द्विवेदी )
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