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Sunday, 15 December, 2024
होमडिफेंसपांगोंग झील पर चाणक्य और हेलीकॉप्टर: आर्मी चीफ के ऑफिस में नई पेंटिंग क्यों बनी विवाद की जड़

पांगोंग झील पर चाणक्य और हेलीकॉप्टर: आर्मी चीफ के ऑफिस में नई पेंटिंग क्यों बनी विवाद की जड़

चीन को संदेश देने के रूप में बनाई गई यह पेंटिंग हिंदू प्रतीकवाद को आधुनिक सैन्य उपकरणों के साथ जोड़ती है. युद्ध के दिग्गजों ने 1971 में पाकिस्तान के समर्पण को दर्शाने वाली पेंटिंग को हटाने की आलोचना की है.

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नई दिल्ली: सेना प्रमुख के कार्यालय में अब एक नई पेंटिंग ‘कर्म क्षेत्र’ लगी है, जिसका मतलब है ‘कर्म भूमि’. यह पेंटिंग पैंगोंग त्सो और चीन के साथ वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर भारत की ताकत को दिखाती है. इसने 1971 में पाकिस्तान के आत्मसमर्पण के दौरान लेफ्टिनेंट जनरल ए.ए.के. नियाज़ी और भारत के लेफ्टिनेंट जनरल जगजीत सिंह अरोड़ा को दिखाने वाली मशहूर पेंटिंग की जगह ले ली है, जिससे विवाद खड़ा हो गया है.

इस पेंटिंग में झील और बर्फीले पहाड़ों के साथ इतिहास और हिंदू धार्मिक प्रतीकों को आधुनिक सेना के उपकरणों से जोड़ा गया है। इसमें चाणक्य, गरुड़ और महाभारत में कृष्ण द्वारा अर्जुन का रथ चलाने का दृश्य दिखाया गया है. साथ ही, टैंक, हेलिकॉप्टर और नावें भी नजर आती हैं.

यह पेंटिंग तब सामने आई है जब भारत और चीन ने लगभग दो महीने पहले एलएसी पर सैनिक हटाने की प्रक्रिया पूरी की थी, जिसके बाद देपसांग और देमचोक में गश्त फिर शुरू हुई. यह विजय दिवस से ठीक पहले हुआ है, जो 16 दिसंबर 1971 को ढाका में पाकिस्तानी सेना के भारतीय सेना के सामने आत्मसमर्पण की याद में मनाया जाता है.

The painting of Pakistani Lt Gen A.A.K. Niazi signing the Instrument of Surrender in 1971, in the presence of India's Lt Gen J.S. Aurora | X/@sandeep_PT
1971 में पाकिस्तान के लेफ्टिनेंट जनरल ए.ए.के. नियाजी द्वारा समर्पण पत्र पर हस्ताक्षर करने की पेंटिंग, जिसमें भारत के लेफ्टिनेंट जनरल जे.एस. अरोड़ा भी उपस्थित थे. | X/@sandeep_PT

नई पेंटिंग की झलक सेना के आधिकारिक सोशल मीडिया पोस्ट में मिली. ये तस्वीरें नेपाल सेना प्रमुख जनरल अशोक राज सिग्देल की भारत यात्रा की हैं. उन्होंने इस हफ्ते भारतीय सेना प्रमुख जनरल उपेंद्र द्विवेदी से उनके ऑफिस में मुलाकात की. सेना ने कई तस्वीरें साझा कीं, जिनमें एक में सिग्देल तीनों सेनाओं के प्रमुखों के साथ नजर आए.

 

कई पूर्व सैनिकों ने 1971 की पेंटिंग हटाने की सोशल मीडिया पर आलोचना की है. उत्तरी सेना के पूर्व कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल एच.एस. पनाग (रिटायर्ड) ने लिखा: “1971 की जीत, जो भारत की पहली बड़ी सैन्य सफलता और एकजुट देश के रूप में पहली जीत थी, उसे हटा दिया गया है. इसे ऐसे लोग हटा रहे हैं जो मानते हैं कि पौराणिक कहानियां, धर्म और पुराना सामंती अतीत ही भविष्य की जीत की प्रेरणा बनेंगे.”

 

मेजर जनरल बी.एस. धनोआ (सेवानिवृत्त) ने ट्वीट किया, “अगर हमने कुछ और बड़े चाणक्य जोड़ दिए होते, तो चीनी लोग पांगोंग झील के उत्तर किनारे से भाग जाते.”

 

सेना के सूत्रों के अनुसार, यह नई पेंटिंग एक सक्रिय सेना अधिकारी, लेफ्टिनेंट कर्नल थॉमस जैकब ने बनाई है, जो 28 मद्रास रेजिमेंट से हैं.

सूत्रों ने बताया कि इस पेंटिंग में पांगोंग झील को दिखाकर चीन को एक संदेश दिया गया है, और यह भारत की महान सभ्यता का प्रतीक है. इसमें यह भी दिखाया गया है कि भारतीय सेना उस सभ्यता के मूल्यों, जैसे “न्याय और सत्य” की रक्षा करती है. सूत्रों के मुताबिक, “सेना इन मूल्यों को बनाए रखने के लिए युद्ध तक कर सकती है.” पेंटिंग में कठिन परिस्थितियों में साहस को भी दर्शाया गया है.

“चाणक्य की तस्वीर पेंटिंग में इसलिये है ताकि यह सिर्फ चाणक्य की कूटनीति को ही नहीं, बल्कि यह भी दिखाए कि कूटनीति भारतीय संस्कृति का एक अहम हिस्सा रही है,” सूत्रों ने बताया.

सूत्रों के अनुसार, इस पेंटिंग में नए और आधुनिक सैन्य उपकरणों को पारंपरिक प्रतीकों और इंसानी आकृतियों के साथ दिखाकर यह “तकनीकी रूप से उन्नत और एकीकृत सेना” को दर्शाती है और यह “भारतीय सेना की ताकत और साहस” का प्रतीक है.

(इस रिपोर्ट को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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