नई दिल्ली: सेना प्रमुख के कार्यालय में अब एक नई पेंटिंग ‘कर्म क्षेत्र’ लगी है, जिसका मतलब है ‘कर्म भूमि’. यह पेंटिंग पैंगोंग त्सो और चीन के साथ वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर भारत की ताकत को दिखाती है. इसने 1971 में पाकिस्तान के आत्मसमर्पण के दौरान लेफ्टिनेंट जनरल ए.ए.के. नियाज़ी और भारत के लेफ्टिनेंट जनरल जगजीत सिंह अरोड़ा को दिखाने वाली मशहूर पेंटिंग की जगह ले ली है, जिससे विवाद खड़ा हो गया है.
इस पेंटिंग में झील और बर्फीले पहाड़ों के साथ इतिहास और हिंदू धार्मिक प्रतीकों को आधुनिक सेना के उपकरणों से जोड़ा गया है। इसमें चाणक्य, गरुड़ और महाभारत में कृष्ण द्वारा अर्जुन का रथ चलाने का दृश्य दिखाया गया है. साथ ही, टैंक, हेलिकॉप्टर और नावें भी नजर आती हैं.
यह पेंटिंग तब सामने आई है जब भारत और चीन ने लगभग दो महीने पहले एलएसी पर सैनिक हटाने की प्रक्रिया पूरी की थी, जिसके बाद देपसांग और देमचोक में गश्त फिर शुरू हुई. यह विजय दिवस से ठीक पहले हुआ है, जो 16 दिसंबर 1971 को ढाका में पाकिस्तानी सेना के भारतीय सेना के सामने आत्मसमर्पण की याद में मनाया जाता है.
नई पेंटिंग की झलक सेना के आधिकारिक सोशल मीडिया पोस्ट में मिली. ये तस्वीरें नेपाल सेना प्रमुख जनरल अशोक राज सिग्देल की भारत यात्रा की हैं. उन्होंने इस हफ्ते भारतीय सेना प्रमुख जनरल उपेंद्र द्विवेदी से उनके ऑफिस में मुलाकात की. सेना ने कई तस्वीरें साझा कीं, जिनमें एक में सिग्देल तीनों सेनाओं के प्रमुखों के साथ नजर आए.
"Strengthening India-Nepal Ties"
Suprabal Janasewashree General Ashok Raj Sigdel, #COAS, #NepaliArmy, called on #GeneralUpendraDwivedi, #COAS. They discussed aspects of mutual interest and avenues to strengthen bilateral #DefenceCooperation. As a gesture of goodwill to the… pic.twitter.com/A7nzoqVKfR
— ADG PI – INDIAN ARMY (@adgpi) December 11, 2024
कई पूर्व सैनिकों ने 1971 की पेंटिंग हटाने की सोशल मीडिया पर आलोचना की है. उत्तरी सेना के पूर्व कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल एच.एस. पनाग (रिटायर्ड) ने लिखा: “1971 की जीत, जो भारत की पहली बड़ी सैन्य सफलता और एकजुट देश के रूप में पहली जीत थी, उसे हटा दिया गया है. इसे ऐसे लोग हटा रहे हैं जो मानते हैं कि पौराणिक कहानियां, धर्म और पुराना सामंती अतीत ही भविष्य की जीत की प्रेरणा बनेंगे.”
The photo/painting symbolising India’s first major military victory in a 1000 years and also first as a united nation, in 1971, has been removed by a hierarchy which believes that mythology, religion and distant fragmented feudal past will inspire future victories. https://t.co/tu0FzFq03h
— Lt Gen H S Panag(R) (@rwac48) December 12, 2024
मेजर जनरल बी.एस. धनोआ (सेवानिवृत्त) ने ट्वीट किया, “अगर हमने कुछ और बड़े चाणक्य जोड़ दिए होते, तो चीनी लोग पांगोंग झील के उत्तर किनारे से भाग जाते.”
If we added a few more oversized Chanakyas, the Chinese would run away from the North bank of the Pangong Tso😂 pic.twitter.com/aLhypxR1xZ
— Birender Dhanoa (@bsdhanoa) December 14, 2024
सेना के सूत्रों के अनुसार, यह नई पेंटिंग एक सक्रिय सेना अधिकारी, लेफ्टिनेंट कर्नल थॉमस जैकब ने बनाई है, जो 28 मद्रास रेजिमेंट से हैं.
सूत्रों ने बताया कि इस पेंटिंग में पांगोंग झील को दिखाकर चीन को एक संदेश दिया गया है, और यह भारत की महान सभ्यता का प्रतीक है. इसमें यह भी दिखाया गया है कि भारतीय सेना उस सभ्यता के मूल्यों, जैसे “न्याय और सत्य” की रक्षा करती है. सूत्रों के मुताबिक, “सेना इन मूल्यों को बनाए रखने के लिए युद्ध तक कर सकती है.” पेंटिंग में कठिन परिस्थितियों में साहस को भी दर्शाया गया है.
“चाणक्य की तस्वीर पेंटिंग में इसलिये है ताकि यह सिर्फ चाणक्य की कूटनीति को ही नहीं, बल्कि यह भी दिखाए कि कूटनीति भारतीय संस्कृति का एक अहम हिस्सा रही है,” सूत्रों ने बताया.
सूत्रों के अनुसार, इस पेंटिंग में नए और आधुनिक सैन्य उपकरणों को पारंपरिक प्रतीकों और इंसानी आकृतियों के साथ दिखाकर यह “तकनीकी रूप से उन्नत और एकीकृत सेना” को दर्शाती है और यह “भारतीय सेना की ताकत और साहस” का प्रतीक है.
(इस रिपोर्ट को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)
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