फिरोजपुर, पंजाबः पंजाब में अंतरराष्ट्रीय सीमा से सटे फिरोजपुर सेक्टर के पास के खेतों में कोहरे की एक मोटी चादर इतने नीचे तक छाई है कि ऐसा लगता है कि यह मिट्टी की नमी से उपजी है. चाहे दिन हो या रात इस गहरी धुंध के कारण क्षेत्र में दृश्यता एकदम न्यूनतम हो जाती है, और लगता है कि यह पाकिस्तान की तरफ से कथित ड्रोन घुसपैठ की घटनाएं बढ़ाने में मददगार है. सीमा पार से ड्रोन का इस्तेमाल कथित तौर पर भारत में नशीले पदार्थ और हथियार-विस्फोटक आदि गिराने के लिए किया जाता है.
सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) के महानिदेशक पंकज सिंह ने नवंबर में कहा था कि 2022 में सीमावर्ती पंजाब सेक्टर में ड्रोन हमले लगभग दोगुने हो गए हैं, बीएसएफ ने इस साल नवंबर तक 266 से अधिक ड्रोन उड़ानें दर्ज की हैं.
फिरोजपुर सेक्टर में बीएसएफ के उपमहानिरीक्षक (डीआईजी) पवन बजाज ने बुधवार को दिप्रिंट को बताया, ‘पिछले साल की तुलना में इस बार पाकिस्तान की ओर से ड्रोन घुसपैठ में काफी वृद्धि हुई है. ये ड्रोन नशीले पदार्थों की तस्करी के लिए इस्तेमाल किया जा रहे हैं, आमतौर पर वे हेरोइन लाते हैं. कुछ के जरिये हथियार-विस्फोटक भी भेजे जाते हैं.
बीएसएफ ने 21 नवंबर को अंतरराष्ट्रीय सीमा पर फाजिल्का सेक्टर के पास एक ड्रोन को मार गिराया था, जिससे करीब 30 किलो हेरोइन बरामद हुई थी. बीएसएफ ने इन घुसपैठों पर काबू पाने के लिए पंजाब सीमा पर ड्रोन रोधी टेक्नोलॉजी इंस्टॉल करने की योजना शुरू की है. बीएसएफ के मुताबिक, उसने अकेले नवंबर में पंजाब में घुसपैठ की कोशिश कर रहे छह ड्रोन मार गिराए थे.
हालांकि, बीएसएफ ने दावा किया कि ड्रोन घुसपैठ के प्रयास लगातार जारी हैं.
ये ड्रोन आमतौर पर रात में काम करते हैं, क्योंकि उन्हें अंधेरे का फायदा मिलता है. एक सूत्र ने बताया कि लेकिन पिछले कुछ दिनों से पंजाब और उत्तर भारत में घने कोहरा ड्रोन घुसपैठ के लिहाज से एक बड़ी चुनौती बन गया है. सूत्र के मुताबिक, ड्रोन बिना रोशनी के संचालित किए जा रहे, जिससे उन्हें खासकर कोहरे के बीच स्पॉट करना काफी कठिन है.
डीआईजी बजाज ने बताया कि लेकिन बीएसएफ ने सिर्फ इनकी निगरानी करने से आगे बढ़कर इन्हें मार गिराने के लिए तकनीक को अपनाना और उसका इस्तेमाल करना शुरू कर दिया है.
डीआईजी ने कहा, ‘हमारे जवान अंतरराष्ट्रीय सीमा की रखवाली के लिए दिन में लगभग 14-16 घंटे सक्रिय तौर पर गश्त कर रहे हैं. हम मुख्य रूप से इन क्षेत्रों में तीन प्रकार की गश्त करते हैं—पैदल गश्त, नाव के जरिये गश्त और वाहनों से गश्त. यह सब दिन-रात चलता रहता है.’
बीएसएफ ने यह भी बताया कि घुसपैठ के मुकाबले के लिए कोबरा कंटीले तारों, नाइट इंटरसेप्शन टीमों, नाइट विजन टेक्नोलॉजी, खोजी कुत्तों और विभिन्न तकनीकी उपायों का भी इस्तेमाल किया जाता है.
बढ़ती घुसपैठ और पाकिस्तान निर्मित ड्रोन
सूत्रों ने दिप्रिंट को बताया कि इस साल फिरोजपुर सेक्टर में 35 से ज्यादा ड्रोन घुसपैठ की घटनाएं हुईं. उन्होंने दावा किया कि यह पिछले साल की 10-13 घटनाओं की तुलना में काफी ज्यादा वृद्धि को दर्शाती हैं.
सूत्रों के मुताबिक, ड्रोन के जरिये हेरोइन की तस्करी होती है, जिसमें बड़ी मात्रा में ड्रग्स पंजाब में स्थानीय उपयोग के लिए आता है. अभी, ड्रोन के जरिये विस्फोटक तो कम भेजा जा रहा है. लेकिन आम तौर पर राइफल या पिस्तौल भेजी जा रही हैं.
डीआईजी बजाज ने दावा किया, ‘जो ड्रोन पकड़े गए हैं वे मुख्य रूप से कराची या लाहौर में बने हैं, कुछ चीन निर्मित भी हैं. हर ड्रोन की पेलोड क्षमता अलग-अलग होती है.’
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पैसे वाले तस्कर ड्रोन का इस्तेमाल कर रहे
एक दूसरे सूत्र ने कहा, ‘पैसे वाले तस्कर पाकिस्तान से इन ड्रोनों को संचालित करते हैं. उनके पास इन तकनीकों तक पहुंचने और उनका उपयोग करने के लिए पर्याप्त धन है.’
भारत में ड्रग्स मंगाने वालों में ड्रग पेडलर्स से लेकर नार्को-टेरर नेटवर्क तक शामिल है. यहां तक कि ऐसे लोग भी शामिल हैं जो निजी उपभोग के लिए इन्हें मंगाते हैं. गरीब तस्कर घुसपैठ के लिए ऐसे क्षेत्रों और नदी के रास्तों का इस्तेमाल करते हैं, जहां सुरक्षा थोड़ी कमजोर होती है क्योंकि वे ड्रोन तकनीक का उपयोग नहीं कर सकते.
ड्रोन में रखे किसी हथियार या मादक द्रव्य का वजन उस पेलोड पर निर्भर करता है जिसे वह उठा सकता है. कई पाकिस्तानी तस्कर हैंगिंग मैथड का इस्तेमाल करते हैं जिसमें किसी पदार्थ को ड्रोन पर लटका दिया जाता है. इससे उन्हें सीमा पार पेलोड गिराना आसान भी हो जाता है. ऊपर उद्धृत सूत्र ने कहा कि उन्हें केवल इतना करना होता है कि ड्रोन भारतीय क्षेत्र में घुसपैठ कर जाए.
साथ ही आगे जोड़ा, ‘प्रतिबंधित पदार्थों को भेजने का एक और अनूठा तरीका लैंडपाइप भी बना हुआ है. तस्कर कंटीली बाड़ों के बीच बची रह जाने वाली जगह पर पाइप घुसाकर उसके रास्ते प्रतिबंधित पदार्थ भेजने का तरीका भी अपनाते हैं.
गश्त में तेजी और एचआईटी का इस्तेमाल
देश में ड्रोन घुसपैठ में इस वर्ष आई तेजी के बीच बीएसएफ ने इनका मुकाबला करने के लिए नए और उन्नत तरीके और साधन इस्तेमाल करने शुरू कर दिए हैं.
एक तीसरे सूत्र ने कहा, ‘तीन प्रकार की गश्त को काफी ज्यादा बढ़ा दिया गया है. कोहरे की स्थिति से निपटने के लिए उपयुक्त तरीके अपनाए जा रहे हैं. इसके अलावा, यह सुनिश्चित करने के लिए कहीं कोई कोई चूक न हो दिन-रात गश्त जारी रहती है.’
बीएसएफ रात में भी हॉट इंटरसेप्शन टीम (एचआईटी) का इस्तेमाल करती है. उनके पास ड्रोन, लोगों या समूहों को घुसपैठ को रोकने के लिए कड़े कदम उठाने की ऑपरेशनल पॉवर है. इसमें अपने विवेक के आधार पर ड्रोन को मार गिराने का अधिकार भी शामिल है.
बड़े पैमाने पर गश्त और इंटरसेप्शन यूनिट के अलावा बीएसएफ ने बॉर्डर गेट पर कोबरा कांटेदार तार भी लगाए हैं. तीसरे सूत्र ने बताया कि रात में किसी भी तरह की घुसपैठ रोकने के लिए इन्हें बिजली के तारों से जोड़ दिया जाता है.
(अनुवादः रावी द्विवेदी | संपादनः ऋषभ राज)
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