नई दिल्ली: अमेरिकी एविएशन दिग्गज बोइंग ने मंगलवार को एक मज़बूत दावेदारी पेश की कि भारतीय नौसेना, जो देश के पहले स्वदेशी विमानवाहक पोत- विक्रांत को अगले महीने कमीशन करने की तैयारी में है, उसके एफ/ए-18 सुपर हॉर्नेट लड़ाकू का चयन कर ले.
‘सुपर हॉर्नेट ब्लॉक 3 को विमानवाहक पोत के संचालन के लिए बनाया गया है, और ये वो लड़ाकू विमान है जिस पर अमेरिकी नौसेना अपने ऑपरेशंस के लिए निर्भर करती है’, ये कहना था बोइंग इंडिया प्रेसिडेंट सलिल गुप्ते का, जो दूसरी अमेरिकी कंपनियों- जनरल इलेक्ट्रिक, रेथियॉन, नॉर्थरॉप ग्रूमन- के प्रमुखों के साथ, जो इस परियोजना का हिस्सा हैं, एक दुर्लभ साझा प्रेस कॉन्फ्रेंस में बोल रहे थे.
बोइंग इंडिया प्रमुख की भविष्यवाणी थी कि सुपर हॉर्नेट्स के भारत के अगले कैरियर-आधारित लड़ाकू विमान होने से, भारत के एयरोस्पेस और रक्षा उद्योग पर 3.6 बिलियन डॉलर का आर्थिक असर पड़ेगा.
उन्होंने कहा, ‘ये आर्थिक प्रभाव बोइंग के मौजूदा ऑफसेट दायित्वों और देश के लिए उसकी योजनाओं के ऊपर होगा’.
बोइंग की डिफेंस, स्पेस और सिक्योरिटी विंग- बॉम्बर्स एंड फाइटर्स के वाइस प्रेसिडेंट और जनरल मैनेजर स्टीव पार्कर ने कहा, ‘ब्लॉक 3 सुपर हॉर्नेट जो हम भारतीय नौसेना को ऑफर कर रहे हैं, वो सबसे उन्नत और महत्वपूर्ण क्षमता से लैस हैं. अपने ओपन आर्किटेक्चर डिज़ाइन और लगातार विकसित होते क्षमता सूट के साथ, ये लड़ाकू विमान मौजूदा ख़तरों को पीछे छोड़ देगा, तेज़ी से क्षमता प्रविष्टि को सुविधाजनक बनाएगा, और इसे ख़रीदने की सामर्थ्य बेजोड़ होगी’.
जैसा कि दिप्रिंट ने पहले ख़बर दी थी, नौसेना फ्रांसीसी फर्म डसॉल्ट एविएशन के राफेल एम और F/A-18 सुपर हॉर्नेट के परिचालन प्रदर्शन की ट्रायल रिपोर्ट को तेज़ी से पूरा करने की प्रक्रिया में है.
नौसेना को उम्मीद है कि वो इस साल के अंत तक, 26 नए लड़ाकू विमानों की ख़रीद का प्रस्ताव रक्षा मंत्रालय को भेज देगी.
ये सब ऐसे समय हो रहा है जब स्वदेशी विमानवाहक पोत, विक्रांत, को अगले महीने के शुरू में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कमीशन करने जा रहे हैं. नौसेना ने कैरियर की डिलीवरी उसके निर्माता कोचिन शिपयार्ड लिमिटेड (सीएसएल) कोच्चि से, 28 जुलाई को प्राप्त की थी.
बोइंग इंडिया की भावी योजनाएं
ये पूछे जाने पर कि यदि समझौते पर दस्तख़त हो जाते हैं, तो बोइंग कंपनी विमान को कितनी तेज़ी के साथ डिलीवर कर सकती है, बोइंग डिफेंस, स्पेस और सिक्योरिटी व ग्लोबल सर्विसेज़ के इंडिया बिज़नेस डेलपमेंट सेक्शन की वाइस प्रेसिडेंट एलेन गार्शिया ने कहा कि डिलीवरी आमतौर से तीन साल की समय-सीमा में शुरू होती है.
लेकिन, पार्कर ने कहा कि भारतीय नौसेना की ज़रूरत के आधार पर वो इसे तीन साल से पहले दे देंगे.
बोइंग इंडिया की भावी योजनाओं के बारे में बात करते हुए कंपनी प्रमुख गुप्ते ने कहा कि वो अपने मौजूदा औद्योगिक आधार को बढ़ाना चाहते हैं, और पांच स्तंभों में लगातार निवेश के साथ आत्मनिर्भर के लिए अपनी प्रतिबद्धता को मज़बूत करना चाहते हैं.
इन योजनाओं में सप्लाई चेन विकास और मैन्युफैक्चरिंग; इंजीनियरिंग और प्रौद्योगिकी हस्तांतरण; दीर्घ-कालिक सप्लाई और ट्रेनिंग; इन्फ्रास्ट्रक्चर में निवेश; और हॉर्नेट इंडस्ट्री टीम का योगदान शामिल है, जिसमें जनरल इलेक्ट्रिक, नॉर्थरॉप ग्रूमन, और रेथियॉन शामिल हैं.
उन्होंने कहा कि नई योजना में बोइंग की 300 सप्लायर्स से 1 बिलियन डॉलर की सालाना सोर्सिंग में, भारतीय सप्लायर्स से पार्ट्स, असेम्बलीज़ और सर्विसेज़ की सप्लाई बढ़ाई जाएगी.
योजना में अतिरिक्त मैन्युफैक्चरिंग अवसरों की भी परिकल्पना की गई है, जिसमें एफ/ए-18 की आउटर विंग तथा नोज़ बैरल कॉम्पोनेंट मैन्युफैक्चरिंग तथा असेम्बली शामिल है.
उन्होंने कहा कि इसके अलावा, बोइंग सैकड़ों दूसरी मशीन असेम्बलीज़ की समीक्षा कर रही है, जिन्हें भारतीय सप्लायर्स को दिया जा सकता है.
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