नई दिल्ली: दिप्रिंट को पता चला है कि सेना अगले दो वर्षों में अपनी संख्या बल को लगभग दो लाख कम करना चाहती है, जिसमें कुछ स्टैटिक यूनिट के अलावा, राष्ट्रीय राइफल्स, जम्मू और कश्मीर के एंटी टेरर यूनिट में भी बदलाव देखने को मिल सकता है.
रक्षा और सुरक्षा प्रतिष्ठान के सूत्रों ने कहा कि सेना अपनी संख्या बल को 12.8 लाख से कम कर लगभग 10.8 लाख करना चाहती थी.
यह पूछे जाने पर कि क्या कोई समयसीमा तय की गई है, सूत्रों ने कहा कि सैनिकों की संख्या को रैशनलाइज करना एक सतत प्रक्रिया है और इसके लिए कई पहलुओं पर गौर किया जा रहा है.
सूत्रों ने बताया कि पिछले दो वर्षों में कोई भर्ती नहीं होने के कारण सेना पहले से ही लगभग 1.35 लाख कर्मियों की कमी का सामना कर रही है.
भले ही अग्निपथ योजना शुरू की गई हो, लेकिन इस साल केवल 35,000 से 40,000 कर्मियों की भर्ती की जा रही है.
सूत्र ने बताया, ‘औसतन, लगभग 60,000 कर्मी हर साल सेना से सेवानिवृत्त होते हैं. अग्निपथ योजना के जरिए से सेना में कमी का केवल एक हिस्सा भरा जा सकेगा. ‘
सूत्रों ने बताया कि भर्ती प्रक्रिया पूरी होने के बाद इन्फैंट्री, आर्मर्ड, ईएमई (कॉर्प्स ऑफ इलेक्ट्रॉनिक्स एंड मैकेनिकल इंजीनियर्स) जैसी विभिन्न इकाईयों के लिए आवंटन प्रक्रिया रैशनालाइज की जाएगी.
उदाहरण के लिए, बेस डिपो में मरम्मत और रखरखाव का काम उस कंपनी को आउटसोर्स किया जाएगा जिससे वाहन खरीदा जाता है.
सूत्रों ने कहा कि राष्ट्रीय कैडेट कोर (एनसीसी) जैसे संगठनों में प्रतिनियुक्ति में भी काफी कटौती की जा रही है.
एक अन्य क्षेत्र जिसमें प्रतिनियुक्ति में कमी देखने को मिलेगी वह है रेजिमेंटल हेडक्वार्टर्स
एक दूसरे सूत्र ने कहा, ‘यह सुनिश्चित करने पर भी विचार किया जा रहा है कि टीथ-टू-टेल अनुपात स्वस्थ तरीके से ही बनाए रखा जाए.’ टीथ टू टेल अनुपात एक सैन्य शब्द है जो प्रत्येक लड़ाकू सैनिक (दांत) की आपूर्ति और समर्थन (पूंछ) के लिए किए जाने वाले सैन्य कर्मियों की मात्रा को संदर्भित करता है.
पहले सेना की अरेंजमेंट आर्मी मुख्यालय में हुआ करता था. इसने 2021 में कई बदलाव किए जो प्रक्रियाओं को सुव्यवस्थित करने और फ्लैब को कम करने पर केंद्रित थे.
पूर्व रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर द्वारा गठित शेकतकर समिति ने दिसंबर 2016 में एक रिपोर्ट पेश की थी जिसमें सशस्त्र बलों को लीनर, एकजुट और आधुनिक बनाने के लिए कई बदलावों की मांग की गई थी.
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कश्मीर में सेना में बदलाव संभव
सूत्रों ने बताया कि नई नीति के तहत जम्मू-कश्मीर में राष्ट्रीय राइफल्स (आरआर) की तैनाती के पुनर्गठन पर विचार किया जा रहा है.
जबकि केंद्र शासित प्रदेश में लगभग 63 आरआर बटालियन हैं, यह सेना की अन्य इकाइयों से अलग और बेहतरीन है. आरआर बटालियन में से प्रत्येक में एक नियमित पैदल सेना गठन के चार की तुलना में छह कंपनियां हैं, और प्रत्येक कंपनी – जिसमें 100 से 150 सैनिक शामिल हैं -जिसका नेतृत्व मेजर करता है.
सूत्रों ने कहा कि ऐसा विचार किया जा रहा था कि प्रत्येक बटालियन में दो कंपनियों को कम किया जाएगा.
दूसरा यह देखना कि क्या आरआर बटालियनों की वास्तविक संख्या कम की जा सकती है और क्या आतंकवाद-रोधी ग्रिड को प्रभावित किए बिना प्रत्येक की जिम्मेदारी का दायरा (एओआर) बढ़ाया जा सकता है.
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