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Friday, 22 November, 2024
होमडिफेंसपुरानी मारुति जिप्सी को बदलना चाहती है सेना, ऑपरेशंस के लिए चाहती है नए 4x4 सॉफ्ट टॉप वाहन

पुरानी मारुति जिप्सी को बदलना चाहती है सेना, ऑपरेशंस के लिए चाहती है नए 4×4 सॉफ्ट टॉप वाहन

पहले चरण में ऐसे 4,964 वाहन ख़रीदे जाएंगे और इसके लिए अगले कुछ महीनों में RFP जारी कर दिया जाएगा.

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नई दिल्ली: दिप्रिंट को ज्ञात हुआ है कि दशकों तक रेगिस्तानों और पहाड़ों में सुरक्षा बलों की सेवा करने के बाद, सेना की पुरानी मारुति जिप्सी को अब बदला जा रहा है.

रक्षा और सुरक्षा प्रतिष्ठान के सूत्रों ने बताया कि आने वाले कुछ महीनों में प्रस्ताव के लिए अनुरोध (आरएफपी) जारी किया जाएगा, जिसमें सॉफ्ट टॉप वाले नए 4×4 वाहनों की मांग की जाएगी, जो एक चरणबद्ध तरीक़े से 35,000 से अधिक जिप्सियों की जगह लेंगे.

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की अध्यक्षता में रक्षा ख़रीद परिषद (डीएसी) ने, पिछले सप्ताह हल्के वाहन जीएस 4X4 की ख़रीद के, सेना के प्रस्ताव को मंज़ूरी दे दी थी.

सूत्रों ने बताया कि उन्हें ऐसे 4,964 वाहनों की ख़रीद की मंज़ूरी मिल गई है और बाद में और वाहन कई चरणों में ख़रीदे जाएंगे.

सूत्रों ने बताया कि डीएसी ने वाहन के न्यूनतम कर्ब वेट में बदलाव करके, उसे 500 किग्रा. से 800 किग्रा. करने की भी अनुमति दे दी है.

एक सूत्र ने कहा, ‘ये वाहन जिप्सी की जगह लेंगे. अगले कुछ महीनों में आरएफपी जारी कर दिया जाएगा, और फिर एक ट्रायल के ज़रिए तय किया जाएगा, कि कौन सा वाहन सबसे उपयुक्त बैठता है.’

सूत्रों ने कहा कि सेना कोई ऐसा सॉफ्ट टॉप 4×4 वाहन चाहती है, जिसे मैदानों, रेगिस्तानों, और पहाड़ों जैसे ऊबड़-खाबड़ स्थानों में इस्तेमाल किया जा सके.

सॉफ्ट टॉप में सैनिक राइफलें रख सकते हैं, रिकॉइललेस बंदूकें लगा सकते हैं और इसके अलावा त्वरित प्रतिक्रिया दलों की गतिविधि भी आसान हो जाती है.

ये पूछने पर कि सेना की निगाह किस वाहन पर है, सूत्रों ने कहा कि ये एक खुला टेण्डर होगा और कंपनियां मौजूदा प्लेटफॉर्म्स के आधार पर, एक बिल्कुल नया वाहन भी विकसित कर सकती हैं.

ये भी संभव है कि अगर सबसे कम और सबसे अधिक बोलीकर्त्ताओं के वाहन ट्रायल्स में पास हो जाएं, तो दोनों बीच अनुबंध को विभाजित किया जा सकता है.

जिप्सी का वज़न क़रीब 985 किग्रा. होता है और इसे सबसे भरोसेमंद वाहन माना जाता है, जिसका रख-रखाव आसान होता है.

हालांकि मारुति ने जिप्सी बनाना बंद कर दिया था, क्योंकि वो सुरक्षा और उत्सर्जन मानकों पर पूरी नहीं उतरती थी, लेकिन 2018 में सेना को इसी वाहन का ऑर्डर देने के लिए, विशेष अनुमति मिल गई थी.

एक दूसरे सूत्र ने कहा, ‘अब समय आ गया है कि जिप्सी की जगह दूसरे ज़्यादा आधुनिक और मज़बूत वाहन लाए जाएं’.


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सफारी और हल्के स्ट्राइक वाहन चलते रहेंगे

सूत्रों ने बताया कि टाटा के हार्ड टॉप सफारी स्टॉर्म, जिन्हें सेना ने 2017 में ऑर्डर किया था, सेवा में बने रहेंगे.

उस समय अटकलें थीं कि सफारी गाड़ियां जिप्सी की जगह ले लेंगी, लेकिन सूत्रों ने कहा कि ऐसा कभी नहीं था, क्योंकि सफारी एक अलग श्रेणी की गाड़ी है.

उन्होंने कहा कि जिप्सी के मुक़ाबले सफारी कहीं ज़्यादा बड़ी और भारी है (क़रीब 1800 किग्रा.), इसलिए विशेष क्षेत्रों में उससे जिप्सी जैसे प्रदर्शन की अपेक्षा नहीं की जा सकती.

सफारी का इस्तेमाल स्थानीय फॉरमेशंस के वरिष्ठ अधिकारियों द्वारा, विशेष ऑपरेशन से जुड़ी भूमिका की बजाय, आने जाने के लिए किया जाता है.

हालांकि सफारी और महिंद्रा स्कॉर्पियो दोनों ने, क़रीब 15 महीने चला ट्रायल पास कर लिया था, लेकिन टाटा की बोली सबसे कम थी, और उसे 3192 इकाइयों का अनुबंध मिल गया.

सेना ने अपनी विशिष्ट इकाइयों- पैराशूट और पैरा एसएफ यूनिट्स के लिए 2018 में, फोर्स मोटर्स से हल्के स्ट्राइक वाहन भी ख़रीदे थे.

संयोगवश, इस तरह के विशिष्ट वाहनों की आवश्यकता वास्तव में, 2002 में ही महसूस कर ली गई थी, जब सेना ने विशेष बलों के आधुनिकीकरण के लिए एक स्टडी कराई थी.

सेना ने पिछले साल भी पुणे-स्थित कल्याणी समूह के भारत फोर्ज से, 27 एम4 बख़्तरबंद वाहन ऑर्डर किए थे, जिसका दक्षिण अफ्रीकी कंपनी पैरामाउंट समूह के साथ संबंध है.

फिर पिछले साल उसने महिंद्रा डिफेंस सिस्टम्स लिमिटेड (एमडीएसएल) के साथ, 1,056 करोड़ रुपए मूल्य के 1,300 हल्के विशिष्ट वाहनों की सप्लाई के लिए एक क़रार पर दस्तख़त किए.

इन बख़्तरबंद हल्के विशिष्ट वाहनों में मीडियम मशीन गनें, ऑटोमैटिक ग्रीनेड लॉन्चर्स और एंटी-टैंक गाइडेड मिसाइल रखे जा सकते हैं.

(इस खबर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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