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Friday, 3 May, 2024
होमडिफेंससेना ने पुंछ में नागरिकों की मौत और यातना के वीडियो की जांच शुरू की, नए अधिकारियों को मिल सकती है कमान

सेना ने पुंछ में नागरिकों की मौत और यातना के वीडियो की जांच शुरू की, नए अधिकारियों को मिल सकती है कमान

दिप्रिंट ने शनिवार को सबसे पहले रिपोर्ट दी थी कि सरकार पुंछ क्षेत्र के घटनाक्रम को गंभीरता से ले रही है और सेना किसी भी तरह की चूक के लिए जवाबदेही तय करने की प्रक्रिया में है.

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नई दिल्ली: सेना ने पुंछ में अपने सैनिकों की हिरासत में कथित तौर पर तीन नागरिकों की यातना और मौत दिखाने वाले वीडियो की उच्च स्तरीय आंतरिक जांच शुरू कर दी है. सेना का कहना है कि लोकाचार और मानक के किसी भी उल्लंघन के लिए जीरो टॉलरेंस होगी. दिप्रिंट को इसकी जानकारी मिली है. 

यह भी पता चला है कि पुंछ-राजौरी क्षेत्र में जमीनी कमांडरों को बदले जाने की संभावना है. स्वतंत्र और निष्पक्ष जांच के लिए नए चेहरों को लाया जाएगा, जबकि क्षेत्र में ऑपरेशन को और बढ़ाया जाएगा, जो आतंकवादियों के लिए एक नया केंद्र बन गया है. 

सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे वीडियो में सेना की वर्दी पहने कुछ लोग नागरिकों की पीठ पर लाल मिर्च पाउडर डालते दिख रहे हैं, जबकि दूसरे वीडियो में वो गंभीर पिटाई करते हुए दिखाई दे रही है. वीडियो की प्रामाणिकता की पुष्टि नहीं की गई है.

तीन नागरिकों – सफ़ीर हुसैन (43), मोहम्मद शोकेट (27) और शब्बीर अहमद (32) के शव, जो बुफलियाज़ के टोपा पीर गांव के निवासी थे – कथित तौर पर सेना द्वारा उठाए गए लोगों में से थे, मुठभेड़ स्थल के पास मिले. जबकि कई को घायल अवस्था में अस्पताल में भर्ती कराया गया है.

मौतों और यातना के वीडियो ने पहले ही कश्मीर में हलचल पैदा कर दी है, जो अब तक काफी हद तक शांत था.

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रक्षा और सुरक्षा प्रतिष्ठान के सूत्रों ने कहा कि कुछ अधिकारियों को तुरंत छुट्टी पर भेजे जाने की संभावना है. उन्होंने कहा कि अपने लोगों के हाथों नागरिकों की कथित यातना और मौत के अलावा, क्षेत्र में परिचालन संबंधी असफलताओं की सीरीज पर नजर रखी जा रही है. 

उन्होंने कहा, “सेना अपने लोकाचार या मानक संचालन प्रक्रियाओं के किसी भी उल्लंघन के प्रति जीरो टॉलरेंस की नीति रखती है. अगर सामने आए वीडियो और आरोपों में सच्चाई है तो सख्त कार्रवाई की जाएगी.”

सूत्रों ने बताया कि स्थिति का जायजा लेने और आवश्यक कार्रवाई के लिए शनिवार को सेना मुख्यालय और रक्षा मंत्रालय में एक उच्च स्तरीय बैठक हुई.

जिम्मेदारी तय की जाएगी

दिप्रिंट ने शनिवार को सबसे पहले रिपोर्ट दी थी कि सरकार ने पुंछ क्षेत्र के घटना को गंभीरता से लिया है और सेना किसी भी चूक के लिए जवाबदेही तय करने की प्रक्रिया में है.

इसमें बताया गया कि 16 कोर के मौजूदा कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल संदीप जैन का कार्यकाल पहले ही खत्म हो रहा है और वह 1 जनवरी को कार्यभार सौंपने वाले हैं.

उनके अधीन कमांड अधिकारियों में सेक्टर कमांडर ब्रिगेडियर पी. आचार्य के अलावा बटालियन के कमांडिंग ऑफिसर, सेकेंड इन कमांड के अलावा कंपनी कमांडर भी शामिल हैं.

रक्षा और सुरक्षा प्रतिष्ठान के सूत्रों ने कहा कि, नागरिकों की मौत जम्मू-कश्मीर पुलिस की जांच का हिस्सा है, वहीं सेना ने भी आंतरिक जांच शुरू कर दी है.

उन्होंने कहा कि क्षेत्र में कई स्तरों पर स्थानीय कमांडरों को बदले जाने की संभावना है, जिसमें नए चेहरे लाए जाएंगे जिनके पास आतंकवाद विरोधी अभियानों में व्यापक और सफल अनुभव है.


यह भी पढ़ें: 30 पाकिस्तानी आतंकवादियों के राजौरी-पुंछ सेक्टर में सक्रिय होने का संदेह, सेना ने बढ़ाई गस्ती: सूत्र


हमले में मृत सैनिकों की पहचान हो गई है

सूत्रों के अनुसार, नागरिकों को उसी फॉर्मेशन द्वारा उठाया गया था, जिसमें गुरुवार को पुंछ में आतंकवादियों द्वारा घात लगाकर किए गए हमले में चार सैनिक मारे गए थे.

सेना ने रविवार को आखिरकार मारे गए सैनिकों की पहचान नायक बीरेंद्र सिंह, नायक करण कुमार, राइफलमैन गौतम कुमार और राइफलमैन चंदन कुमार के रूप में की.

यह पता चला है कि कम से कम दो सैनिकों के शव क्षत-विक्षत थे और दोनों का अंतिम संस्कार केवल परिवारों की उपस्थिति में सेना प्रतिष्ठान में किया जा सकता था. हालांकि, अभी अंतिम फैसला नहीं लिया गया है.

जैसा कि दिप्रिंट ने नवंबर में रिपोर्ट किया था, राजौरी पुंछ क्षेत्र में पिछले डेढ़ साल में एक चिंताजनक प्रवृत्ति देखी गई है, जहां सैनिकों पर आतंकवादियों द्वारा घात लगाकर हमला किया जा रहा है, जो खुलेआम सक्रिय लगते हैं.

पुंछ-राजौरी इलाका सेना के लिए चुनौती बना हुआ है

लगभग 15 सालों के बाद क्षेत्र में आतंकवादी गतिविधियों में वृद्धि भारत के लिए चिंता का कारण है. पाकिस्तान अनुच्छेद 370 के निष्प्रभावी होने के बाद कश्मीर समस्या को और खराब करने की कोशिश में घात लगाकर हमले कर रहा है.

सूत्रों ने कहा कि इस क्षेत्र में सबसे बड़ी चुनौतियों में से एक 4,304 वर्ग किलोमीटर में फैले जंगलों वाला पहाड़ी इलाका है. नियंत्रण रेखा (एलओसी) इन सीमावर्ती जिलों के माध्यम से कई अंतरालों से होकर गुजरती है, जिससे यह घुसपैठ के लिए एक अच्छा विकल्प बन जाता है.

हालांकि, 2003 में ऑपरेशन ‘सर्प विनाश’ के बाद यह क्षेत्र शांत हो गया था जब सेना ने हिलकाका पुंछ-सूरनकोट क्षेत्र में अड्डे बनाने वाले आतंकवादियों को मार गिराया था.

लेकिन सेना सहित कई खुफिया सूचनाओं के साथ 2020 के बाद से देखी गई बढ़ी हुई आतंकी गतिविधि से संकेत मिलता है कि यह क्षेत्र फिर से एक आतंकी स्थान बन गया है.

(संपादनः ऋषभ राज)

(इस ख़बर को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें.)


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