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Thursday, 26 December, 2024
होमडिफेंससेना प्रमुख बोले- भारतीय रक्षा कंपनियों को अगले 7 सालों में 8 लाख करोड़ के ऑर्डर मिलेंगे

सेना प्रमुख बोले- भारतीय रक्षा कंपनियों को अगले 7 सालों में 8 लाख करोड़ के ऑर्डर मिलेंगे

जनरल मनोज पांडे ने खुफिया, निगरानी और टोही (आईएसआर) को सेना की प्राथमिकता वाले क्षेत्र करार दिया जिसमें अग्रिम क्षेत्रों में मोबिलिटी सुविधा बढ़ाना, एआई और एन्क्रिप्टेड कम्युनिकेशन शामिल है.

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गांधीनगर: रूस-यूक्रेन युद्ध के मद्देनजर विदेशी आपूर्तिकर्ताओं पर निर्भरता घटाने की जरूरत को देखते हुए सेना प्रमुख जनरल मनोज पांडे ने बृहस्पतिवार को कहा कि आने वाले समय में स्वदेशी हथियार प्रणाली एक बेहतर विकल्प है और अगले 7-8 सालों में भारतीय कंपनियों को 8 लाख करोड़ रुपये के ऑर्डर दिए जाएंगे.

उन्होंने खुफिया, निगरानी और टोही गतिविधियों (आईएसआर) का उल्लेख किया—जिसमें ड्रोन, अग्रिम क्षेत्रों खासकर पहाड़ी क्षेत्रों में मोबिलिटी की सुविधा, लॉइटरिंग म्युनिशन जैसे विशेष आयुध, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और एन्क्रिप्टेड कम्युनिकेशन शामिल हैं—और कहा कि ये सेना के लिए प्राथमिकता वाले क्षेत्र हैं.

डेफएक्सपो 2022 गांधीनगर में चुनिंदा पत्रकारों से बातचीत के दौरान जनरल पांडे ने दिप्रिंट के एक सवाल का जवाब देते हुए कहा, ‘रूस-यूक्रेन युद्ध ने हमें बहुत कुछ सिखाया है. इसमें सबसे बड़ी बात तो यही है कि गोला-बारूद समेत तमाम जरूरतों के मामले में अधिक आत्मनिर्भर कैसे बनें और विदेशी निर्भरता न रहे.’

उन्होंने कहा कि सेना पहले ही गोला-बारूद के स्वदेशीकरण की दिशा में कदम उठा चुकी है, और अगर स्पेयर पार्ट्स की खरीद की बात करें तो इसके वैकल्पिक स्रोतों पर भी विचार किया जा रहा है.

उन्होंने कहा, ‘स्वदेशी प्रणालियां आगे एक बेहतर विकल्प होंगी. पिछले 3-4 वर्षों में हमारी स्वदेशी खरीद में तीन गुना वृद्धि हुई है. अगले 7-8 सालों में हम भारतीय फर्मों को लगभग 7-8 लाख करोड़ रुपये के ऑर्डर देने की उम्मीद कर रहे हैं.’

जनरल पांडे का मानना है कि भविष्य के युद्ध स्वदेशी प्रणालियों से लड़े जाएंगे. उन्होंने कहा कि पिछले साल सेना ने भारतीय फर्मों को 47,000 करोड़ रुपये के ऑर्डर दिए थे.

उन्होंने इस बात को रेखांकित किया कि सरकार की तरफ से चौथे दौर में सेनाओं के लिए विस्तारित आपातकालीन खरीद शक्तियां विशेष तौर पर स्वदेशी प्रणालियों के लिए ही हैं.

सेना प्रमुख ने उल्लेख किया कि पिछले तीन दौर की आपातकालीन खरीद शक्तियों—जिसमें सेनाएं लंबी और जटिल नियमित प्रक्रिया से गुजरे बिना 300 करोड़ रुपये तक के खरीद सौदे कर सकती हैं—के तहत सेना ने लगभग 6,000 करोड़ रुपये के सौदे किए थे.

उन्होंने यह भी कहा कि आपातकालीन शक्तियां मिलना सेनाओं के लिए अच्छी बात हैं क्योंकि इससे उनकी तत्काल आवश्यकताएं पूरी हो जाती हैं और उन्हें पूंजीगत बजट के माध्यम से बड़ी खरीद से पहले सिस्टम के परीक्षण का अवसर भी मिल जाता है.

स्वदेशीकरण पर ध्यान केंद्रित किए जाने से सशस्त्र बलों की तैयारियों के प्रभावित होने की आशंकाओं को दूर करने की कोशिश करते हुए जनरल पांडे ने कहा कि भारतीय रक्षा उद्योग आवश्यक समयसीमा में आपूर्ति क्षमता के साथ कई समाधान लेकर आया है.

उन्होंने कहा, ‘मैं तो कहूंगा कि आधुनिकीकरण के लिए हमें स्वदेशीकरण की आवश्यकता है. स्वदेशीकरण पर ध्यान केंद्रित करना कोई बाधा नहीं, बल्कि एक अवसर है.’

सेना प्रमुख ने कहा कि रक्षा प्रणालियों के डिजाइन, विकास और निर्माण के चार आधार हैं—संसाधन आवंटन, सक्षम नीतियां, व्यवहार्य बाजार और प्रतिस्पर्धा.

उन्होंने कहा, ‘मैं सेना की भूमिका सरकारी नीति पर अमल करने और एक व्यवहार्य बाजार बनाने में एक सूत्रधार के तौर पर रूप में देखता हूं.’

उन्होंने कहा कि सेना शानदार प्रौद्योगिकी मुहैया कराने वाली फर्मों को सुविधाएं भी दे रही है, जिसमें ट्रायल पीरियड में सहूलियत के साथ-साथ फायरिंग रेंज उपलब्ध कराना आदि शामिल है.

उन्होंने कहा, ‘यह सिर्फ खरीदार-विक्रेता वाला संबंध नहीं हो सकता. बल्कि यह एक साझेदारी होनी चाहिए.’

जनरल पांडे ने कहा कि सेना पहले से ही लंबी दूरी के नए रॉकेट सिस्टम, जैमिंग से बचाव वाले सॉफ्टवेयर डिफाइंड रेडियो, ड्रोन, आर-पार देखने वाले बख्तरबंद और अन्य नई तकनीक को शामिल कर रही है.

(इस ख़बर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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