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Wednesday, 20 November, 2024
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चीनी डिफेंस कंपनियों की ग्लोबल बिक्री बढ़ी, भारत की HAL और BEL ने बेहतर प्रदर्शन किया

स्वीडिश थिंक टैंक सिपरी ने अपने एक अध्ययन में पाया है कि एशिया और ओशिनिया की कंपनियों ने यूरोपीय कंपनियों की तुलना में हथियारों की अधिक बिक्री दर्ज की, जबकि अमेरिकी निर्माताओं की बिक्री में 0.9 प्रतिशत की गिरावट देखी गई है.

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नई दिल्ली: कोविड महामारी के कारण आर्थिक मंदी के बावजूद चीनी रक्षा कंपनियों की ग्लोबल सेल्स में तेज वृद्धि नज़र आई है और उसकी आठ कंपनियां दुनिया के शीर्ष 100 हथियार निर्माताओं में शामिल हैं. जबकि अमेरिका ने अपनी हथियार बिक्री में गिरावट दर्ज की है. हालांकि, वह अभी भी सबसे बड़ा निर्यातक है.

स्वीडिश थिंक-टैंक स्टॉकहोम इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्टीट्यूट (सिपरी) की एक रिपोर्ट के मुताबिक, 2021 में आठ चीनी कंपनियों की हथियार बिक्री 109 बिलियन डॉलर तक पहुंच गई, जो कि उनके 2020 की कमाई की तुलना में 6.3 प्रतिशत अधिक है.

सिपरी की वार्षिक रिपोर्ट में बताया गया कि दुनियाभर के शीर्ष 100 हथियार निर्माताओं की बिक्री 2021 में बढ़कर 592 बिलियन डॉलर हो गई है, जिसमें 2020 की कुल बिक्री की तुलना में 1.9 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई है.

खासकर, एशिया और ओशिनिया क्षेत्र की 21 कंपनियों की संयुक्त हथियार बिक्री पिछले साल 27 यूरोपीय कंपनियों के 123 बिलियन डॉलर के मुकाबले 136 बिलियन डॉलर तक पहुंच गई है.

सिपरी मिलिट्री एक्सपेंडिचर एंड आर्म्स प्रोडक्शन प्रोग्राम की निदेशक डॉ. लूसी बेराउड-सुद्रो ने कहा, ‘हमने सप्लाई चेन को लेकर किसी मसले के बिना 2021 में हथियारों की बिक्री और अधिक ही रहने की उम्मीद की थी.’

इसके साथ ही, सिपरी का मानना है कि यूक्रेन-रूस जंग हथियार कंपनियों के लिए सप्लाई चेन का मसला और जटिल बना देगी, और इस प्रकार इस वर्ष बिक्री के आंकड़े प्रभावित होंगे. रिपोर्ट में कहा गया है कि रूस के हथियारों के उत्पादन में इस्तेमाल होने वाले कच्चे माल का एक प्रमुख आपूर्तिकर्ता होने के कारण यह जंग यूरोप और अमेरिका में उत्पादन को बाधित कर सकती है.


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सूची में भारत से केवल एचएएल और बीईएल का नाम

टॉप-100 इंडेक्स में भारत की सिर्फ दो ही कंपनियों हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (एचएएल) और भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड (बीईएल) के नाम हैं. हालांकि, दोनों कंपनियों ने पिछले साल अपना राजस्व बढ़ाया है.

एचएएल ने अपने राजस्व में 6.7 प्रतिशत की वृद्धि देखी और टॉप-100 में 42वें स्थान पर रही. इस बीच, बीईएल की सेल्स में 20 प्रतिशत की भारी-भरकम वृद्धि हुई और वह सूची में 63वें स्थान पर रही.

सिपरी की रिपोर्ट में बताया गया है, ‘2020 में भारत की जो ऑर्डिनेंस फैक्टरियां टॉप-100 में शामिल रही थीं. उन्हें अक्टूबर 2021 में सात छोटी कंपनियों के तौर पर पुनर्गठित कर दिया गया था और इस तरह वो रैंकिंग से बाहर हो गई हैं.’

खास बात यह है कि पहली बार ताइवान की एक कंपनी को टॉप-100 में जगह मिली है. एनसीएसआईएसटी या नेशनल चुंग-सैन इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस एंड टेक्नोलॉजी एक मिसाइल और सैन्य इलेक्ट्रॉनिक्स निर्माता कंपनी है और 2021 में इसकी सेल्स 2 बिलियन डॉलर की रही.

टॉप-100 में 40 कंपनियां अमेरिका की है. हालांकि, रिपोर्ट बताती है कि 2021 में उनकी बिक्री 0.9 प्रतिशत घटकर 299 अरब डॉलर रह गई है.


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चार चीनी कंपनियां टॉप-10 में शामिल

सिपरी की तरफ से जारी रिपोर्ट के मुताबिक, टॉप-100 में शामिल आठ चीनी कंपनियों में से चार ने सूची में टॉप-10 में जगह बनाई और उनमें से सात ने 2021 में अपने हथियारों की बिक्री में वृद्धि दर्ज की है. सातवीं रैंक पाने वाली नॉरिन्को एक लैंड सिस्टम स्पेशलिस्ट है और चीन की शीर्ष रैंक वाली फर्म है. 2021 में इसका राजस्व बढ़कर 21.6 बिलियन डॉलर हो गया, जो 2020 की तुलना में 11 प्रतिशत अधिक है.

रिपोर्ट में कहा गया है, ‘हथियारों की बिक्री में वृद्धि चीन के सैन्य उपकरणों के आधुनिकीकरण के पैमाने और प्रमुख हथियारों की सभी श्रेणियों के उत्पादन में आत्मनिर्भर बनने के उद्देश्य को दर्शाती है.’

रिपोर्ट में कहा गया है, ‘चीन ने अपनी दो जहाज निर्माण कंपनियों चाइना स्टेट शिपबिल्डिंग कॉरपोरेशन (सीएसएससी) और चाइना शिपबिल्डिंग इंडस्ट्री कंपनी (सीएसआईसी) के सफल विलय को भी अंतिम रूप दे दिया है, जिसके परिणामस्वरूप सीएसआईसी नाम से एक नई संयुक्त जहाज निर्माण इकाई ऑपरेशनल हुई है.

रिपोर्ट के मुताबिक, ‘11.1 अरब डॉलर की हथियारों की बिक्री के साथ सीएसएससी 2021 में दुनिया में सबसे बड़ी सैन्य जहाज निर्माता कंपनी थी.’


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एशिया-ओशिनिया क्षेत्र की कंपनियों की तुलना में कम बिक्री के बावजूद यूरोपीय फर्मों ने 2020 की तुलना में राजस्व में 4.2 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की है.

इसके साथ ही सिपरी ने अनुमान लगाया है कि ‘2022 में बिक्री में वृद्धि जारी रहेगी क्योंकि यूक्रेन पर रूसी हमले के कारण यूरोप में हथियारों की मांग बढ़ रही है.’

टॉप-100 में शामिल 27 यूरोपीय कंपनियों में से आठ यूनाइटेड किंग्डम की है—जो कि इस महाद्वीप में सबसे अधिक है. इन सभी की कुल बिक्री 40 बिलियन डॉलर की दर्ज की गई है. हालांकि, यह पिछले साल की उनकी बिक्री की तुलना में 2.7 प्रतिशत कम है.

सिपरी की ताजा रिपोर्ट में रूस की छह कंपनियों को टॉप-100 में शामिल किया गया, जो 2020 में नौ की तुलना में तीन कम हैं. इसकी मुख्य वजह यह है कि अल्माज-अंते, क्रेट और रशियन इलेक्ट्रॉनिक्स के बारे में कोई डेटा उपलब्ध नहीं था.’

(अनुवाद: रावी द्विवेदी | संपादनः फाल्गुनी शर्मा)

(इस खबर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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