हम भारतीयों को अपने खान-पान और संस्कृति पर बहुत गर्व है, और हो भी क्यों न- विविधता से भरे हुए, तरह-तरह के रंगों और मसालों से भरपूर भारतीय भोजन में हर तरह का स्वाद मिल जायेगा. भले कश्मीर का रोगन जोश हो या तमिलनाडु की चेट्टिनाड करी, राजस्थान का दाल बाटी चूरमा हो या अरुणाचल का लुकतर, यहां सब तरह के स्वाद की भरमार मिलेगी. ऐसे में मजाल है किसी की जो भारतीय व्यंजनों पर ऊंगली उठाये? पर हाल फिलहाल में किसी ने ऐसा सवाल उठाया जिसपर खूब बवाल भी हुआ.
हाल ही में एक अमेरिकी लेखक और प्रोफेसर का भारतीय खाने को ‘बकवास’ कहना महंगा पड़ गया. टॉम निकोल्स अमेरिका के नेवल वॉर कॉलेज में पढ़ाते हैं, साथ ही अमेरिकन राजनीति की अच्छी समझ रखते हैं. 24 नवंबर को उन्होंने ये ट्वीट किया कि ‘भारतीय भोजन बकवास है, और हम सब नाटक करते हैं कि हमें ये पसंद है.’
Indian food is terrible and we pretend it isn’t. https://t.co/NGOUtRUCUN
— Tom Nichols (@RadioFreeTom) November 23, 2019
दरअसल 14 नवंबर को एक ट्विटर यूज़र ने लोगों से ये पूछा कि खाने के मामले में उनकी सबसे विवादास्पद राय क्या है. ऐसे में निकोल्स ने ये ट्वीट जवाब के तौर पर किया जिसके बाद कई भारतीयों व गैर-भारतीयों ने उन्हें निशाना बनाया.
करीब 15 हज़ार कमैंट्स और 13 हज़ार रीट्वीट्स के साथ ये वायरल हो गया. लोगों को निकोल्स की राय पसंद नहीं आयी. इनमें से एक अमेरिकन सेलेब्रिटी होस्ट और शेफ पद्मालक्ष्मी भी थीं जिन्होंने ये कहकर निकोल्स पर निशाना साधा कि क्या उनके पास स्वाद ग्रंथियां नहीं है?
Do you not have tastebuds? https://t.co/o2IVYsrr8R
— Padma Lakshmi (@PadmaLakshmi) November 24, 2019
भारतीय खाने के दीवानों की दुनिया भर में कोई कमी नहीं है. देखिये अन्य ट्विटर यूज़र्स ने किस तरह से निकोल्स को आड़े हाथों लिया.
थॉर बेन्सन नाम के एक लेखक ने जवाब दिया, ‘मैं 1000 डॉलर की शर्त लगता हूं की अमेरिकी दूसरे देशों के खाने को नहीं समझ सकते.”
I'll take Americans not understanding food from other cultures for $1,000
— Thor Benson (@thor_benson) November 23, 2019
एक अन्य व्यक्ति ने कहा, ‘इतनी बेस्वाद ज़िन्दगी जीने की कल्पना करके देखो.’
Imagine going thru life being this flavorless. lol.
— Tuxedo Mask (@TheLoveBel0w) November 23, 2019
पत्रकार आदित्य राज कॉल ने जवाब दिया, ‘कुछ लोगों को इतनी गलतफहमियां होती हैं और वो दिखावा करते हैं की उन्हें सब पता है.
Indian food is terrible and we pretend it isn’t. https://t.co/NGOUtRUCUN
— Tom Nichols (@RadioFreeTom) November 23, 2019
लेखिका रश्मि नाइक ने कहा, ‘तो आप 400 सालों पुराने हमारे मसाले हमें लौटाना चाहते हैं?’
k u wanna return our spices from the past 400 years https://t.co/AtDh1Uykga
— Roshini Nair (like ?) (@nairoshini) November 23, 2019
एक अन्य यूजर ने तो इसकी तुलना ट्रम्प को पसंद करने से कर दी.
‘ये राय ट्रम्प को सपोर्ट करने से भी बुरी है’
Indian food is terrible and we pretend it isn’t. https://t.co/NGOUtRUCUN
— Tom Nichols (@RadioFreeTom) November 23, 2019
अन्य लोगों ने तो अमेरिकी खाने तक की बुराई कर दी.
‘मैं आपकी इस बात को समझ सकता हूं अगर आप नाश्ते में कॉर्नफ़्लेक्स, लंच और डिनर में बिना मसालों के पका बेस्वाद मीट और उबली सब्जियां, या कभी कभी ‘मसालों’ के नाम पर सिर्फ नमक और काली मिर्च के साथ पिज़्ज़ा खाकर जीते हैं.
Today in white male solipsism.
From the school of "women comedians are terrible" and "non-white literatures are terrible" and "hip-hop is terrible" and "anything that doesn't cater to me and reinforce my conviction that I am the center of the universe is terrible."
We who? pic.twitter.com/qLFlHCvoJ1
— Shailja Patel (@shailjapatel) November 23, 2019
कुछ लोगों ने निकोल्स के इस ट्वीट को रंगभेद और सांस्कृतिक साम्राज्यवाद से प्रेरित बताया. केन्या की एक्टिविस्ट ने लिखा, ‘महिला हास्य कलाकार बकवास हैं, गोरों के अलावा किसी और का लिखा हुआ साहित्य बकवास है, हमें जो पसंद न आये वो सब बकवास है.’
आखिर यहां ‘हम’ हैं कौन ?
Today in white male solipsism.
From the school of "women comedians are terrible" and "non-white literatures are terrible" and "hip-hop is terrible" and "anything that doesn't cater to me and reinforce my conviction that I am the center of the universe is terrible."
We who? pic.twitter.com/qLFlHCvoJ1
— Shailja Patel (@shailjapatel) November 23, 2019
हालांकि इसके बाद कुछ लोगों ने ‘रंगभेद’ वाली बात को अनावश्यक बताया और निकोल्स का साथ दिया.
‘ज़रा सोचिये जब मज़ाक में खाने के ऊपर दी हुई राय को इतना आगे बढ़ा दिया जाए.’
This would drive Michelin chefs, foodies, and people from cultures around the word into a paroxysm of fury. Because it *is* dumb to think that the best clam chowder or chili dogs will somehow make you more sophisticated and educate your palate. If you don't like it, you don't. /2
— Tom Nichols (@RadioFreeTom) November 24, 2019
हालांकि ये पहली बार नहीं है जब अपनी दी हुई किसी राय पर निकोल्स को आलोचना का सामना करना पड़ा है.
An autistic child who became focused on climate change at age *9* has not "done the work." That's the fallacy of the autodidact, and and "but Trump is stupid" is a "whatabout" diversion. A perfecta of bad reasoning. https://t.co/qarPnxAjSO
— Tom Nichols (@RadioFreeTom) August 29, 2019
इस से पहले उन्होंने पर्यावरण को लेकर जागरूक करने वालीग्रेटा थनबर्ग पर भी सवाल उठाये थे. उन्होंने कहा था कि 9 साल कि आटिज्म से पीडित बच्ची को पर्यावरण सरंक्षण जैसी व्यस्क बातों में नहीं उलझना चाहिए.
टॉम निकोल्स इस से पहले डोनाल्ड ट्रम्प की रिपब्लिकन पार्टी का हिस्सा भी थे जो उन्होंने बाद में ट्रम्प द्वारा नियुक्त ब्रेट कावानह के जज बनने पर आपत्ति जताते हुए छोड़ दी थी.
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