scorecardresearch
Friday, 22 November, 2024
होमसमाज-संस्कृति'लोग हर समस्या को धर्म के चश्मे से देखने के आदी हैं' - अभद्र भाषा पर उर्दू प्रेस

‘लोग हर समस्या को धर्म के चश्मे से देखने के आदी हैं’ – अभद्र भाषा पर उर्दू प्रेस

पेश है दिप्रिंट का राउंड-अप कि कैसे उर्दू मीडिया ने पिछले सप्ताह के दौरान विभिन्न समाचार संबंधी घटनाओं को कवर किया और उनमें से कुछ ने इसके बारे में किस तरह का संपादकीय रुख इख्तियार किया.

Text Size:

कांग्रेस नेता राहुल गांधी की लोकसभा से अयोग्यता पर विपक्ष की एकता इस हफ्ते की सबसे बड़ी खबर रही, नफरत की राजनीति पर सुप्रीम कोर्ट की फटकार को भी उर्दू प्रेस में प्रमुखता मिली.

केंद्र सरकार के लिए कुछ सबसे तीखी टिप्पणियों में, जस्टिस के.एम. जोसेफ और जस्टिस बी.वी. नागरत्ना ने कहा कि अभद्र भाषा इसलिए हो रही थी क्योंकि राज्य ‘नपुंसक, शक्तिहीन’ हो गया था और धर्म और राजनीति को अलग किया जाना चाहिए.

इसके बावजूद, हालांकि, राहुल की अयोग्यता पूरे सप्ताह के दौरान सबसे बड़ी सुर्खियां बनी रही.

उर्दू प्रेस के पहले पन्नों पर छपी अन्य खबरों में कर्नाटक चुनाव, पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी का भारतीय जनता पार्टी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार के खिलाफ ‘वॉशिंग मशीन विरोध’ और विश्व मुक्केबाजी चैंपियनशिप में भारतीय महिलाओं का प्रदर्शन शामिल हैं.

पेश है दिप्रिंट का राउंड-अप कि कैसे उर्दू मीडिया ने पिछले सप्ताह के दौरान विभिन्न समाचार संबंधी घटनाओं को कवर किया और उनमें से कुछ ने इसके बारे में किस तरह का संपादकीय रुख इख्तियार किया.

हेट स्पीच

रामनवमी पर सांप्रदायिक तनाव और अभद्र भाषा पर सुप्रीम कोर्ट की फटकार तीनों उर्दू अखबार सियासत, रोज़नामा राष्ट्रीय सहारा और इंकलाब के पहले पन्नों पर प्रमुखता से छपी.

31 मार्च को सियासत और सहारा ने रामनवमी के जुलूसों के दौरान देश के कई हिस्सों में हिंसक घटनाओं की सूचना दी.

गुजरात के वड़ोदरा, महाराष्ट्र के औरंगाबाद, पश्चिम बंगाल के हावड़ा और बिहार के मुंगेर से ऐसी घटनाओं की सूचना मिली थी. दिल्ली के जहांगीरपुरी और कर्नाटक के हासन जिले में भी सांप्रदायिक तनाव देखा गया था.

सियासत ने वड़ोदरा में विश्व हिंदू परिषद (वीएचपी) द्वारा आयोजित रामनवमी के जुलूस में सांप्रदायिक तनाव की सूचना दी, जिसमें कहा गया कि पुलिस ने स्थिति को नियंत्रण में लाया। रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि नमाज के दौरान एक मस्जिद के बाहर लाउडस्पीकर पर बजने वाले गाने से महाराष्ट्र के जलगांव में तनाव पैदा हो गया.

उसी दिन एक संपादकीय में, सियासत ने सुप्रीम कोर्ट के हवाले से लिखा कि अगर राजनेता धर्म का उपयोग करना बंद कर देते हैं, तो नफरत फैलाने वाले भाषण तुरंत बंद हो जाएंगे. संपादकीय में कहा गया है कि यह एक निर्विवाद तथ्य है कि भारतीय राजनीति को धार्मिक रंग दे दिया गया है और लोग अब हर समस्या को धर्म के चश्मे से देखने के आदी हो गए हैं.

संपादकीय में कहा गया है कि वास्तविक ‘सीमा’ तब है जब त्योहारों के आसपास राजनीति की जाती है. इसमें आगे कहा गया कि यहां तक ​​कि कब्रिस्तान और श्मशान घाटों को भी नहीं बख्शा जाता है, स्थानीय नेताओं से लेकर सरकार के उच्चतम पदों पर बैठे लोगों को अब धार्मिक राजनीति का सहारा लेने के लिए मजबूर किया जाता है.


यह भी पढ़ेंः शहबाज़ शरीफ अमन की बात कर रहे हैं- पाकिस्तान को पाकिस्तान के जिम्मे छोड़, भारत रहे चुप


राहुल गांधी की अयोग्यता

लोकसभा से राहुल गांधी की अयोग्यता के खिलाफ विपक्ष के चल रहे विरोध ने उर्दू अखबरों को गुलजार कर दिया. राहुल को पिछले हफ्ते संसद से अयोग्य घोषित कर दिया गया था जब सूरत की एक अदालत ने उन्हें आपराधिक मानहानि का दोषी पाया और 2019 के आम चुनावों में एक चुनावी रैली में दिए गए भाषण के सिलसिले में उन्हें दो साल की जेल की सजा सुनाई.

राहुल केरल के वायनाड से सांसद थे.

25 मार्च को, सियासत की मुख्य हेडलाइन में कहा गया था कि मोदी को “बदनाम” करने के दो साल पुराने मामले के लिए कांग्रेस नेता को लोकसभा से अयोग्य घोषित कर दिया गया था.

उस दिन सहारा के पहले पन्ने का आधा शीर्ष इस मुद्दे को समर्पित था। मुख्य समाचार में कहा गया था कि राहुल की लोकसभा की सदस्यता रद्द कर दी गई है और कांग्रेस कानूनी लड़ाई की तैयारी कर रही है.

अखबार में छपी एक अन्य रिपोर्ट में कहा गया है कि विरोध कर रहे कांग्रेस नेताओं को हिरासत में ले लिया गया है. एक तीसरे ने कहा कि कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा पर पलटवार किया और उनकी पार्टी पर जाति की राजनीति में लिप्त होने का आरोप लगाते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर भी निशाना साधा.

अखबार ने एक रिपोर्ट भी छापी थी, जिसमें पूर्व केंद्रीय मंत्री रेणुका चौधरी को हिंदू महाकाव्य रामायण की एक पात्र शूर्पणखा कहे जाने पर नाराजगी जताई गई थी, जो पीएम मोदी के खिलाफ मानहानि का मामला दर्ज करने की तैयारी कर रही थी.

26 मार्च को सहारा के पहले पन्ने पर राहुल के हवाले से लिखा गया था कि चाहे संसद के अंदर हो या बाहर, वह लोकतंत्र के लिए लड़ते रहेंगे. राहुल ने यह भी कहा कि वह अपने 2019 के चुनावी भाषण के लिए माफी नहीं मांगेंगे क्योंकि वह ‘गांधी हैं, सावरकर नहीं.’

इसी अखबार की एक और रिपोर्ट में कहा गया है कि निर्दलीय सांसद कपिल सिब्बल राहुल पर लगे आरोपों से खफा हैं.

एक तीसरी रिपोर्ट में कहा गया है कि दोषी पाए जाने और दो साल या उससे अधिक की सजा पाए जाने पर विधायकों की स्वत: अयोग्यता को चुनौती देते हुए सीएम में एक याचिका दायर की गई थी.

27 मार्च को इंकलाब में राजघाट पर कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी के भाषण को प्रमुखता से छापा गया. रिपोर्ट में कहा गया है कि अपने भाषण में, प्रियंका ने बताया कि कैसे ‘भारतीय लोकतंत्र की रक्षा’ में ‘उनके वंश का खून’ खो गया था.

28 मार्च को सहारा और सियासत ने अपने पहले पन्ने पर खबर दी कि राहुल को बंगला खाली करने का नोटिस दिया गया है.

इस मामले में, इंकलाब ने 30 मार्च को बताया कि सुप्रीम कोर्ट में उनकी सुनवाई से ठीक पहले राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के नेता मोहम्मद फैसल की लोकसभा सदस्यता बहाल कर दी गई थी. लक्षद्वीप के एक सांसद फैसल, जिन्हें हत्या के प्रयास के मामले में दोषी ठहराए जाने के बाद जनवरी में अयोग्य घोषित कर दिया गया था, केरल हाई कोर्ट द्वारा उनकी सजा पर रोक के बाद इसे उलटने के लिए लड़ रहे थे.


यह भी पढ़ेंः उर्दू प्रेस ने पूर्व SC जज के हवाले से कहा- ‘बाबरी फैसले ने ज्ञानवापी जैसे समान मुकदमों की झड़ी लगा दी है’


चुनाव की तारीखें

चुनाव आयोग ने कर्नाटक विधानसभा चुनाव और अन्य विविध उपचुनावों की घोषणा को तीनों पत्रों में पहले पन्ने पर जगह दी.

27 मार्च को, सहारा ने कर्नाटक में सत्ता में आने पर मुसलमानों के लिए आरक्षण पर कांग्रेस के वादे की सूचना दी.

30 मार्च को सियासत ने बताया कि चुनाव 10 मई को होंगे और चुनाव की अधिसूचना 13 अप्रैल को जारी की जाएगी.

समाचार पत्र में कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे के राज्य से संबंधित एक बयान को जगह दी थी, खड़गे के हवाले से कहा गया है कि कांग्रेस बिना मुख्यमंत्री चेहरे के चुनाव लड़ेगी.

उसी दिन एक संपादकीय में सियासत ने कहा कि भले ही अभी कर्नाटक में चुनाव की तारीखों की घोषणा की गई है, राजनीतिक दल महीनों से कमर कस रहे थे. संपादकीय में कहा गया है कि पार्टियां मतदाताओं को लुभाने और उन्हें चांद का वादा करने के लिए पूरी कोशिश करेंगी, लेकिन जनता को वोट देते समय विवेक का इस्तेमाल करना चाहिए.

बीजेपी की ‘वॉशिंग मशीन’

सियासत ने 29 मार्च को एक संपादकीय में कहा कि देश में मौजूदा राजनीतिक माहौल और असंतोष को कुचलने के लगातार प्रयास चिंताजनक हैं. इसमें कहा गया है कि सिलसिलेवार घटनाओं ने दिखाया है कि मौजूदा सरकार कोई विरोध बर्दाश्त नहीं करती है.

30 मार्च को, पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के कोलकाता में भाजपा के खिलाफ ‘वॉशिंग मशीन’ के विरोध ने पहले पन्ने की खबर बनाई.

मोदी सरकार द्वारा कथित रूप से कुछ केंद्रीय फंडों को रोके जाने के विरोध में बनर्जी की टीएमसी कोलकाता के रेड रोड पर दो दिवसीय धरना दे रही थी.

सियासत ने विरोध प्रदर्शन की एक तस्वीर में पश्चिम बंगाल के मुख्यमंत्री को मंच पर दो कपड़े – एक काला और एक सफेद – पकड़े हुए दिखाया, जबकि पास में ‘बीजेपी’ लेबल वाली एक वॉशिंग मशीन खड़ी थी.

साथ की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि बनर्जी ने ‘दिखाने’ के लिए वाशिंग मशीन में काला कपड़ा डाला कि भाजपा में शामिल होने के बाद सबसे भ्रष्ट भी कैसे ‘साफ’ हो जाता है.

महिला मुक्केबाजी

2023 आईबीए महिला विश्व मुक्केबाजी चैंपियनशिप में भारतीय दल की सफलता ने उर्दू प्रेस के पहले पन्ने पर जगह बनाई.

27 मार्च को, सहारा ने लिखा कि भारतीय मुक्केबाज़ निखत ज़रीन के बाद, लवलीना बोरगोहेन ने भी एक स्वर्ण जीता था और भारत की कुल तालिका अब चार स्वर्ण पदकों की है. इंकलाब ने विजेता ज़रीन की एक तस्वीर छापी, जिसके कैप्शन में लिखा था कि 51 किग्रा वर्ग की चैंपियन ने एक बार फिर से दुनिया जीत ली है.

(उर्दूस्कोप को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


यह भी पढ़ेंः बीजेपी ने किया दरकिनार, ‘विचारधारा’ को लेकर परिवार ने बनाई दूरी- वरुण गांधी होने की मुश्किलें


share & View comments