scorecardresearch
Friday, 20 December, 2024
होमसमाज-संस्कृतिबिना मंज़ूरी टी-20 लीग खेलना पड़ा महंगा, इन 58 खिलाड़ियों को झेलना पड़ सकता है बैन

बिना मंज़ूरी टी-20 लीग खेलना पड़ा महंगा, इन 58 खिलाड़ियों को झेलना पड़ सकता है बैन

Text Size:

इन खिलाड़ियों ने पिछले वर्ष मॉरीशस में आयोजित किये गए एक अस्वीकृत क्रिकेट टूर्नामेंट में भाग लिया। इस आयोजन में इंग्लैंड, पाकिस्तान एवं श्रीलंका के पूर्व खिलाड़ी भी थे।

बेंगलुरू: इंडियन प्रीमियर लीग की सफलता की बदौलत घरेलू ट्वेंटी -20 लीगों की जैसे एक बाढ़ सी आयी है। इसके कारण शिड्यूलिंग की समस्या तो उत्पन्न हुई ही है, कुछ और कपटपूर्ण घटनाएं भी हुई हैं जिन्हें हम सामने होकर भी नहीं देख पा रहे ।

आईपीएल, बिग बैश लीग, कैरीबियाई प्रीमियर लीग और अन्य वैध टूर्नामेंटों को अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट परिषद (आईसीसी) का समर्थन प्राप्त है क्योंकि ये घरेलू कार्यक्रम हैं जो मेजबान सदस्यों द्वारा अनुमोदित और संचालित किए जाते हैं।वहीं दूसरी ओर एक नई श्रेणी के ट्वेंटी 20 टूर्नामेंट भी हैं जो इस खेल की आत्मा को ही खतरे में डाल रहे हैं।

इसी तरह का एक (एकमात्र नहीं,और भी हैं) टी-20 टूर्नामेंट है, मॉरीशस टी-20 क्रिकेट लीग जो कि पहली दफा 24 से 31 जून 2017 के दौरान खेला गया और अब दूसरे संस्करण की तैयारी है।

बोर्ड ऑफ कंट्रोल फॉर क्रिकेट इन इंडिया (बीसीसीआई) ने पहले संस्करण में भाग लेने वाले अपने 58 खिलाड़ियों का संज्ञान लिया है और 2018 में इसे वापस न दोहराने के सख्त निर्देश भी दिए हैं। ऐसा आईसीसी के उस पत्र के बाद हुआ है जिसमें इस टूर्नामेंट को “डिसअप्रूव्ड क्रिकेट” की श्रेणी में डाला है।

टूर्नामेंट में श्रीलंका, पाकिस्तान और इंग्लैंड के खिलाड़ी भी थे।

यह भी पढ़े : A cricketer is a crook depending on which TV camera is watching him

इन खिलाड़ियों पर अपने अपने बोर्डों द्वारा बैन लगाए जाने का भी खतरा है। यह संभव है कि इन खिलाड़ियों को आइसीसी या राष्ट्रीय बोर्डों द्वारा संचालित आधिकारिक टूर्नामेंटों में खेलने न दिया जाए।

जब बीसीसीआई को दिप्रिंट द्वारा 2017 की इस घटना की जानकारी दी गई, तो खजांची अनिरुद्ध चौधरी ने कहा: “यह एक खतरनाक प्रवृत्ति है और इसमें कोई दो राय नहीं कि अब हालात पर काबू पाए जाने की आवश्यकता है। यहां बाज़ी पर क्रिकेट के इस खेल की पवित्रता लगी हुई है। इस तरह के टूर्नामेंटों के आयोजक स्पष्ट रूप से नियम तोड़ रहे हैं और उनके आसपास अनियमितता का एक पर्दा है। ”

चौधरी ने यह भी कहा कि यह पहली बार नहीं था जब बीसीसीआई को इस तरह के खतरे का सामना करना पड़ा था।

उन्होंने कहा,“भारत में इस तरह की लीग के आयोजन की शुरुआती कोशिशों को बीसीसीआई की एन्टी करप्शन यूनिट की मदद से काबू कर लिया गया था। शायद यही वजह है कि यह टूर्नामेंट एक ऐसे देश में हुआ/हो रहा है जोकि आईसीसी का सदस्य नहीं है।” “ध्यान देनेवाली बात है कि इन सभी टूर्नामेंटों के प्रसारण अधिकार एक ही कंपनी के पास हैं।”

चौधरी ने कहा कि खिलाड़ियों के दिमाग में भ्रम के लिए कोई जगह नहीं होनी चाहिए।

उन्होंने कहा, “नियम बिल्कुल स्पष्ट हैं, कोई भी खिलाड़ी किसी अननुमोदित टूर्नामेंट में भाग नहीं ले सकता है और दूसरी बात, किसी भी खिलाड़ी को भारत के बाहर टूर्नामेंट में भाग लेने के लिए पूर्व अनुमति की आवश्यकता है।”

“बीसीसीआई का यह कर्तव्य है कि वह इस बारे में जागरूक हो और उन खिलाड़ियों के मामलों की जांच पड़ताल शुरू करे जो बीसीसीआई से नियमतः जुड़े एवं पंजीकृत हैं। जहां तक आईसीसी से मिले निर्देशों की बात है तो मैं ऐसी किसी बातचीत से अनभिज्ञ हूँ और मुझे लगता है कि राज्य स्तर के एसोसिएशनभी इस मामले में कुछ नहीं जानते ”

प्रतिभागी

आईसीसी द्वारा ‘डिसअप्रूव्ड क्रिकेट’ घोषित किये गए इस टूर्नामेंट में भाग लेनेवाली टीमें थीं- फ्लैक रॉयल्स, ट्रायलेट टाइटन्स, रोज़बेल वॉरियर्स, पोर्ट लुई थंडर, तामारिना रोरिंग पैंथर्स और क्वात्रे बोर्न फ्रंटियर्स। हालांकि, और जोकि नियमतः सही भी है, आईसीसी ने अपने सदस्यों को इस मामले से अवगत करा दिया है और साथ ही साथ उन्हें किसी को एनओसी देने से भी मना किया है।

आईसीसी ने ऐसा इसलिए किया है ताकि बीसीसीआई जैसे सदस्य संघ अपने स्तर से यह यह सुनिश्चित कर सकें कि उनके खिलाड़ियों को अस्वीकृत लीगों में खेलने की अनुमति न दी जाए।

इसके बावजूद लीग में विश्वभर के पूर्व अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेटर तो थे ही, भारत के प्रथम श्रेणी के क्रिकेटर और बीसीसीआई द्वारा अनुमोदित कर्नाटक प्रीमियर लीग जैसे टूर्नामेंटों में अपनी छाप छोड़ चुके कुछ युवा खिलाड़ी भी थे।

कर्नाटक स्टेट क्रिकेट एसोसिएशन (केएससीए) के साथ पंजीकृत खिलाड़ियों ने इस टूर्नामेंट के प्रथम संस्करण में काफी ज़ोर शोर से भाग लिया था।

केएससीए के सहायक सचिव संतोष मेनन ने कहा कि उन्हें याद नहीं कि किसी ने भी एनओसी के लिए अनुरोध किया हो।

“राज्य या देश के बाहर खेलने के इच्छुक किसी भी खिलाड़ी को सामान्यतया केएससीए से लिखित अनुमति प्राप्त करनी होती है। हम अनुरोध के साथ बीसीसीआई से संपर्क करते हैं और बोर्ड को अनुमति देने या अस्वीकार करने का विशेषाधिकार प्राप्त है। ”

कानूनी कारणों से हम यहां खिलाड़ियों के नाम नहीं दे पाएंगे लेकिन यह पूरी सूची मॉरीशस ट्वेंटी-20 क्रिकेट लीग की आधिकारिक वेबसाइट पर उपलब्ध है।

अनुभवी क्रिकेट दर्शक एक पूर्व श्रीलंकाई आलराउंडर के अलावा एक तेज़ गेंदबाज़ को भी अवश्य पहचानेंगे जो नो बॉल फेंकने के लिए कुख्यात था। पाकिस्तान से अंतर्राष्ट्रीय स्तर के कम से कम नौ पूर्व खिलाड़ी – पेशावर का एक तेज़ गेंदबाज़, एक ऑफ ब्रेक गेंदबाज़ जो एक दूसरा एक्सपर्ट भी था, एक बल्लेबाज जिससे पूरी दुनिया को उम्मीद थी, गलत पांव के ऊपर से गेंद फेंकने वाला एक बांयें हाथ का गेंदबाज़, विकेटकीपरों के एक परिवार से निकला एक विकेटकीपर बैट्समैन, एक धुरंधर लेग स्पिनर का बेटा जो स्वयं भी एक लेग स्पिनर है, एक मध्यम ऑर्डर का बल्लेबाज़, एक तेज़ गेंदबाज़ और एक टॉप ऑर्डर बल्लेबाज़। इस खिचड़ी में दो पूर्व अंग्रेज़ क्रिकेटर भी हैं।

हालांकि कोई भी पूर्व भारतीय खिलाड़ी इस टूर्नामेंट में नहीं खेला फिर भी बीसीसीआई से सम्बद्ध 58 खिलाड़ी इस गड़बड़झाले में थे। ये खिलाड़ी भिन्न-भिन्न किस्मों के हैं- आयु समूह के क्रिकेटर, रणजी ट्रॉफी के खिलाड़ी, कर्नाटक प्रीमियर लीग के खिलाड़ी, आईपीएल खिलाड़ी और यहां तक ​​कि एक पूर्व क्रिकेट खिलाड़ी जो मौजूदा राज्य चयनकर्ता हैं,

डिसअप्रूव्ड क्रिकेट और उसके दुष्परिणाम

संपर्क करने पर, एक आईसीसी प्रवक्ता ने पुष्टि की कि लीग एक अनियंत्रित घटना थी क्योंकि मॉरीशस आईसीसी सदस्य नहीं था।

प्रवक्ता ने कहा, “हम पुष्टि कर सकते हैं कि 2017 में मॉरीशस में एक अस्वीकृत घटना हुई थी।” “आईसीसी पहले से ही अपने सभी सदस्यों को सूचित कर चुका है कि चूंकि मॉरीशस आईसीसी सदस्य नहीं है, इस साल की घटना अस्वीकृत क्रिकेट होगी और इसलिए उन्हें अपने खिलाड़ियों को खेलने की अनुमति नहीं देनी चाहिए।”

यह भी पढ़े : BCCI re-stakes claim over Indian cricket, says only its committees can take decisions

एक बार टूर्नामेंट के ‘डिसअप्रूव्ड क्रिकेट’ घोषित हो जाने के बाद आईसीसी का अधिकार क्षेत्र समाप्त हो जाता है। उसके बाद यह प्रत्येक सदस्य राष्ट्र पर निर्भर है वे सुनिश्चित कर सकें कि उनके खिलाड़ी ऐसी किसी घटना में भाग नहीं लेते हैं। और यदि वे ऐसा करते हैं तो प्रासंगिक संगठन आचार संहिता या संस्था का खिलाड़ियों के साथ हुए अनुबंध के आधार पर उन पर प्रतिबंध भी लगाया जा सकता है।

आईसीसी ने विनियमन 32 ए को अपनी प्लेयिंग कंडीशन्स में विशेष रूप से स्वीकृत एवं अस्वीकृत टूर्नामेंटों से निपटने के लिए पेश किया था और यह नियम स्पष्ट रूप से बताता है कि कोई भी खिलाड़ी टूर्नामेंट में तभी भाग ले सकता है जब उसके पास उस बोर्ड द्वारा जारी किया गया प्रमाणपत्र हो जिसका वह प्रतिनिधित्व करता है।

इसका मतलब यह है कि पूर्व खिलाड़ी या वैसे खिलाड़ी जिन्होंने ने अभी तक अपने देश का प्रतिनिधित्व नहीं किया है, उन्हें टूर्नामेंट में खेलने से पहले अपने सम्बंधित अधिकारी से लिखित रूप में अनुमति लेने की आवश्यकता है और ऐसा करने में असफल होने पर उस खिलाड़ी पर प्रतिबंध तक लगाया जा सकता है।

विनियमन 32 के उपखंड 2.8 के अनुसार खिलाड़ी किसी भी टूर्नामेंट में हिस्सा लेने के अपने फैसले के लिए स्वयं जिम्मेदार होंगे।

“आईसीसी या उसके किसी भी राष्ट्रीय क्रिकेट संघ के अधिकार क्षेत्र के अंतर्गत आने वाले सभी व्यक्तियों के लिए अस्वीकृत क्रिकेट में भागीदारी प्रतिबंधित है। प्रत्येक व्यक्ति की यह जिम्मेदारी है कि वह किसी भी मैच में हिस्सा लेने के पूर्व यह सुनिश्चित करले कि वह अप्प्रूव्ड क्रिकेट है, नाकि डिसअप्रूव्ड क्रिकेट।

इसके अलावा, क्लॉज 3.4 निर्धारित करता है कि हर सदस्य को इन नियमों का उल्लंघन करने वाले किसी भी खिलाड़ी के खिलाफ कार्रवाई करनी चाहिए: “एक राष्ट्रीय क्रिकेट संघ को चाहिए कि:

3.4.1 जो भी कार्रवाई आवश्यक है (उदाहरण के लिए, इन नियमों के कार्यान्वयन को अपने नियमों और विनियमों में शामिल करके) यह सुनिश्चित करने के लिए कि ये प्रावधान अपने अधिकार क्षेत्र के अंदर आ रहे व्यक्तियों के खिलाफ लागू किये जा सकें।

3.4.2 इन प्रावधानों का उल्लंघन करने वाले किसी भी संबद्ध व्यक्ति के खिलाफ तत्काल और प्रभावी अनुशासनात्मक कार्रवाई करें;

स्पष्टीकरण नोट: अगर कोई भी संबद्ध व्यक्ति डिसअप्रूव्ड क्रिकेट में भाग लेकर इन नियमों का उल्लंघन करता है तो आईसीसी और इसके राष्ट्रीय क्रिकेट संघ उन्हें उचित अवधि के लिए स्वीकृत क्रिकेट में भागीदारी से प्रतिबंधित कर सकते हैं। राष्ट्रीय क्रिकेट संघों को ऐसा करने में सक्षम बनाने के लिए अपने नियमों और विनियमों में संशोधन लाने या उन्हें और मजबूत बनाने की ज़रूरत है।

इस मुद्दे को नियंत्रित करने वाले पूर्ण नियम आईसीसी की वेबसाइट पर पाए जा सकते हैं।

मॉरीशस ने इसे कैसे आयोजित किया

मॉरीशस ट्वेंटी -20 क्रिकेट लीग के मामले में, इस कार्यक्रम को मंजूरी मिलने का कोई सवाल नहीं था क्योंकि मॉरीशस आईसीसी के साथ किसी भी तरह से संबद्ध अफ्रीकी क्षेत्र के 22 सदस्यों में से एक नहीं है।

श्रृंखला का एक मैच चल रहा हैं ।मॉरीशसटीट्वेंटी.इन

स्पष्ट कर दें कि आईसीसी द्वारा किसी भी टूर्नामेंट को मंजूरी देने या न देने के पीछे का मुख्य कारण ऐसे टूर्नामेंटों का रोज़ाना उदय होना है जो केवल सट्टेबाज़ी के अड्डे भर हैं, चाहे कानूनी हो या ग़ैर कानूनी।

इस तरह के लीग मुख्यतः एशियाई मूल के हैं लेकिन अब पूरे विश्व में अपने पंख पसार रहे हैं। इनकी कार्यप्रणाली के दो मुख्य उद्देश्य होते हैं: एक प्रसारक का इंतज़ाम करना और फिर किसी सट्टेबाज़ी कंपनी से स्वयं को सम्बद्ध करना।

एक बार ऐसा करने के बाद, रास्ता सीधा है। एक टीम या फ़्रैंचाइज़ी बेची जाती है, और फिर ये मालिक एक समझौता करते हैं । खेल के कुछ हिस्से इसी समझौते के अनुसार खेले जाएंगे। एक बार उनके पास यह अग्रिम ज्ञान हो जाए उसके बाद वे अपनी पसंद के माध्यमों से सट्टे लगा सकते हैं। सुनने में तो आया है कि दस दिन में तिगुना फायदा भी संभव है।

मॉरीशस ट्वेंटी -20 क्रिकेट लीग का प्रसारण नियो स्पोर्ट्स पर किया गया था। लीग के कुछ पूरे मैच और कुछ की हाइलाइट्स, यूट्यूब पर उपलब्ध हैं।

यह एक बेहद बुनियादी सिंगल कैमरा उत्पादन है, और पूरे मैच के दौरान एक ही कमेंटेटर होता है। उपलब्ध विज़ुअल्स को देखकर मालूम होता है कि मैदान पर एक भी दर्शक मौजूद नहीं था। भ्रष्टाचार विरोधी प्रोटोकॉल के लागू होने के भी कोई सबूत नहीं दिखे।

जहां तक बात उन खिलाड़ियों की है जिन्होंने नियमों की पहुंच से बाहर हो रहे इस आयोजन में भाग लिया, चाहे वह अज्ञानतावश हो या लालचवश, उन्हें इसकी भारी कीमत अदा करनी पड़ सकती है।

आनंद वासु एक स्वतंत्र पत्रकार हैं। वह @anandvasu पर ट्वीट करते हैं।

Read in English : An unsanctioned T20 league that went unnoticed. Now, 58 players from India face bans

share & View comments